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Kumar Bhritya

Dantjanmika Adhaya (दंत जन्मिका अध्याय)

दंतोद्भेद काल व उसके लक्षण :-

मासउत्पन्न हुए दांत के लक्षणबालक की आयु
4थे मास में उत्पन्नदांत दुर्बल, शीघ्र गिरने वाले, बहुत रोग युक्तहीन आयु
5 वें मास में उत्पन्नहिलने वाले, हर्ष आदि रोग युक्त
6 वें मास में उत्पन्नटेढ़े-मेढ़े, विवर्ण, कीड़ों से खाए हुए
7 वें मास में उत्पन्नदो पुट जड़ वाले, चटकने वाले, रेखा युक्त, टेढ़े हुए, रुक्ष, आगे उबड हुए
8 वें मास में उत्पन्नसर्व गुण सम्पन्नदीर्घ आयु

प्रशस्त एवं अप्रशस्त दांत :-

प्रशस्त :

  • पूर्णता
  • समता
  • घनता
  • स्निग्धता
  • श्लक्ष्णता
  • निर्मलता
  • निरामयता
  • दूधदंत का उन्नत होना
  • मसूड़ों का समान होना
  • रक्त वर्ण
  • बृहत
  • घन
  • स्थिर मूल वाला

अप्रशस्त दंत :

  • दांतों का हीन होना
  • अधिक दांत होना
  • एकदम श्वेत होना
  • असित एवम् मसूड़ों का अलग-अलग होना

अप्रशस्त दंत का निवारण =

अनाहिताग्नि पुरुषों के स्थालीपाक (पुरोडाश ) प्रजापत्य यज्ञ।

पुरुष व स्त्री दंत में भेद :-

पुरुषस्त्री
देर में निकलते हैंजल्दी निकलते हैं
कष्ट अधिक होता हैकष्ट कम होता है
दंत स्थिर व दृढ़दंत सछिद्र व मृदु

दंत उत्पति का कारण :-

इससे दन्तनिषेक, मूर्त रूप होना, प्रकट होना, वृद्धि एवं पतन, गिरकर फिर न निकलना, स्थिर एवं क्षीण होना, हिलना, गिरना एवं दृढ़ता एवं दुर्बलता इन तथ्यों में जाति की विशेषता, निषेक, स्वभाव, माता-पिता का अनुकरण (वंश-परम्परा) तथा अपने कर्मों की अपेक्षा होती है ।

अष्टांग संग्रह :- दन्तोत्पत्ति का मूल कारण अस्थि एवं मज्जा है। इनके पूर्णतः पुष्ट न होने के कारण फिर से कालान्तर में दाँतों का गिरना होता है, तथा धातुओं के पुष्ट एवं अपरिपक्व होने पर फिर से दंत निकल आते हैं। यही कारण है कि वृद्ध अवस्था वाले दंत फिर नहीं आते।

** यदि माता पिता के दंत अच्छे होते हैं तो बच्चों के भी दंत अच्छे होते है।

चोट लगने के बाद दांत क्यों नहीं आते :-

दांत के आश्रय स्थान का धातु बीज सहसा नष्ट हो जाता है । दांत पोषण करने वाली सिरादि में इनका स्तत प्रवाह टूट जाता है। रक्तातिस्ट्राव से शिर निसार ही जाती है। इस कारण रोग के कारण दंत नहीं निकलते।

दंत भेद :-

कुल दंत 32 होते है उसमे 2 प्रकार होते है :-

  • सकृज्जात :- एक बार निकलने वाले दंत (8 की संख्या )
  • द्विज :- 2 बार निकलने वाले दंत ( 24 संख्या)
Modern Nameसंख्या ऊपर के हनू में
रजदंतCentral incisor2
वस्तLateral incisors2
दंष्ट्रा/ शीवनकीलकCanine / eye Teeth2
चर्वणBicuspids / Molars10

दंत भेद का काल :-

दंत जन्मिका अध्याय (Dantjanmika) में बताया है कि जिस महीने में दंत निकलते है उतनी ही उम्र में दंत गिर जाते है, जिस महीने में दंत निकलता है उतने ही दिन उसे निकालने में लगते है। जैसे :- एक बालक के 4थे महीने में दंत निकालना प्रारंभ हुए तो उन्हें निकालने में 4 दिन लगेंगे और 4 वर्ष की उम्र में वह गिर जाएंगे।

Dantjanmika
secondary dentision
TypePrimary Dentision
Lower Central incisors5-10 month
Upper Central incisors8-12 month
1st Molar12-14 month
Canine16-22 month
2nd molar24-30 month
3rd molar16-21 Years

Reference :- काश्यप संहिता सूत्र स्थान 20

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