Categories
Ras Shastra

Sfatika (स्फटिका / फिटकरी) – Potash alum : उपरस वर्ग

नाम:-

संस्कृतस्फटिका
हिंदीफिटकरी
EnglishPotash alum

Chemical formula:- K2 SO4 Al(SO4)3 24H2O

काठिन्य:- 3.5- 4

विशिष्ट गुरुत्व:- 2.6

पर्याय :-

तुवरी, सुराष्ट्रजा, सौराष्ट्री, सौराष्ट्रमृत्तिका, स्फटिकारि, स्फुटी, स्फटिका, स्फुटिकारिका, स्फुटिका, फटिका, शुभ्रा, कांक्षी।

उतपत्ति:

एक विशेष प्रकार की मिट्टी जो सौराष्ट्र देश के प त्थरों से पैदा होती है , उसे तुवरी कहा जाता है।

Habitat:-

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र, पंजाब के मियांवाली, नेपाल, झारखण्ड (बिहार), उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, मद्रास, महाराष्ट्र, मुंबई, राजस्थान एवं अफगानिस्तान।

types:-

रसर्तनसमुच्चयकार रसेन्द्रचूड़ामणिकार
1.फटकी1.स्फटिका: गुरु, स्निग्ध
2.फुल्लिका2.फुल्लिका: स्निग्ध, निर्भार : शुभ्र वर्ण

फिटकरी शोधन :

(1) फिटकरी को लोहे की कड़ाही में डालकर अग्नि पर फुलाने पर शुद्ध हो जाता है।

(2) फिटकरी को तीन दिन तक कब्जे में डुबोकर रखने पर शुद्ध हो जाती है।

फिटकरी गुण :-

फिटकरी रस में कषाय, कटु, अम्ल एवं वीर्य में उष्ण होती है।

●यह बाह्यप्रयोग से संकोचक प्रभाव करती है।

●यह कण्ठ्य, केश्य, व्रणघ्न, विषघ्न, श्वित्रहर, नेत्र्य, विषमज्वर, कण्डू त्रिदोषनाशक, रक्तस्रावरोधक, योनिसंकोचक।।

फिटकरी मात्रा :- 2 से 4 रत्ती तक

फिटकरी सत्वपातन :-

क्षार से मर्दित कर धमन करने या गाय के पित्त की की सौ भावना देकर धमन करने पर इसका सत्व प्राप्त हो जाता है और यह सत्व पारद का क्रामणकरता है।

फिटकरी का विशेष प्रयोगः

(1) फिटकरी के 5% जलीय विलयन को व्रणशोधन, मुखप्रक्षालन, गुदा एवं योनि का प्रक्षालन करने पर लाभ होता है।

(2) नासा से रक्तस्राव होने पर गोदुग्ध में फिटकरी घोलकर नाक में डालने पर रक्तस्राव बन्द हो जाता है।

(3) शरीर में कहीं पर कटने पर चूर्ण को लगाने पर रक्तस्राव बन्द हो जाता है।

(4) फिटकरी एक रत्ती एवं 3 ग्राम चीनी को दिन में 3 बार खाने से रक्त पित्त नष्ट हो जाता है।

फिटकरी के पाँच प्रमुख योग :

(1) शंखद्राव

(2) शुभ्राभस्म

(3) एलादि मंथ

(4) चतुःसुधादि रस

(5) शंखद्रावक रस

3 replies on “Sfatika (स्फटिका / फिटकरी) – Potash alum : उपरस वर्ग”

Leave a Reply