AFTER READING MOD GARBH, READ POLYCYSTIC OVARIAN SYNDROME.
मूढ़ के पर्याय :-
मोहित, व्याकुल, भ्रान्त, विचलित, जड़ी भूत आदि।
• गर्भ जब अपनी स्वाभाविक स्थिति, स्वाभाविक गति व स्वाभाविक अवस्था को त्यागकर सर्वथा विपरीत भावों को ग्रहण कर उद्विग्न व्याकुल का जड़ीभूत हो जाता है।
• उसका स्वाभाविक प्रसव संशयात्मक हो जाता है व जटिल अवस्थाओं के कारण उसका, माता या दोनों का जीवन खतरे में पड़ जाता है । तब उसे मूढ़ गर्भ (Mod garbh) की संंज्ञा दी जाती है।
वाग्भट्ट = वही गर्भ जब असम्यक अपत्यपथ में अनेक रूपों में अनुष्ठित होकर, विरुद्ध या विपरीत गति वाली वायु
द्वारा पीड़ित व मोहित हो जाता है, उसे मूढ़ गर्भ (Mod garbh) कहा जाता है ।
◾कारक –
- अपत्यपथ की असम्यक्ता प्रजनन अंगों की विकृति विशेष रूप से संकुचित या आकृतिक विकृति।
- गर्भ का विकृत स्थिति या विकृत प्रस्तुतियों में उपस्थित होना।
- विगुण वायु (अपान वायु की स्वाभाविक गति अधो गति है। अपनी गति से हट जाना)
◾हेतु –
मैथुन, वाहन की सवारी, मार्ग में पैदल चलना, पैर फिसलकर गिरना, भिड़ में दबना, जोर से दौड़ना, पेट पर चोट लगाना, ऊंचे बिस्तर पर सोना, उकड़ूं बैठना, उपवास करना, मलमूत्र आदि के उपस्थित वेगों को रोकना, अत्यधिक रूक्ष, कटु व तिक्त रस वाले द्रव्यों का सेवन, शोक आदि मनोविकार, क्षारों का अतिसेवन, वमन, विरेचन, झूलना, अजीर्ण, गर्भपातक द्रव्यों का सेवन।
मूढ़ गर्भ की गतियां व भेद :-
- कील – जो गर्भ हाथ, सिर और पैर को ऊपर रखकर योनि मार्ग को कील की तरह अवरुद्ध कर देता है। इसे chest, back and side presentation कहते हैं।
- प्रतिखुर – जिस गर्भ के हाथ पैर और सिर निकल जाएं, परंतु शरीर का मध्य भाग योनि में फंसकर उसे अवरुद्ध कर दें। Presentation of the head with 2 hands and 2 legs.
- बीजक – जिस गर्भ की एक भुजा और सिर बाहर निकल जाए परंतु शेष भाग अंदर फंसा रहे। Head presentation with 1 head or both hands prolapsing.
- परिघ – जो गर्भ क्षैतीज स्तिथि में आकर योनि को परिघ के समान अवरुद्ध कर देता है। Transverse presentation
सुश्रुत =
जब विगुण अपान वायु से पीड़ित वह गर्भ अपत्यमार्ग में अनेक प्रकार से आता है, तो संख्या निश्चित नहीं होती।
उदाहरण :-
- दोनों टांगों से योनि मुख में (full breech presentation)
- एक टांग (footling or knee presentation)
- टांगों और शरीर को टेढ़ा करके नितम्ब से (Frank breech presentation)
- पार्श्वातरण (transverse presentation)
- भ्रंशहस्त स्कंधोदय (transverse presentation with prolapse of the head)
- जटिलोदय (complex presentation)
- जटिलोदय प्रतिखुर (compound presentation)
- पादजानूदय (foot knee presentation)
✓ वाग्भट्ट = असंख्य भेेद
3 मुख्य वर्ग :
- ऊर्ध्व गति (pelvic presentation)
- तिर्यक गति (shoulder/ transverse presentation)
- न्युब्ज गति (cephalic presentation)
चिकित्सा :-
तीन प्रकार के चिकित्सा संबंधी मत :
- मूढ़ गर्भ (Mod garbh) की चिकित्सा अपरा पातन के समान
- अथर्व वेद में बताए गए मंत्रों द्वारा गर्भ को बाहर निकालना।
- शल्यकर्म
औषधि चिकित्सा :-
- अतः प्रयोगार्थ =
- रसोई घर के धुएं अथवा हिंग और सेंधा नमक को कांजी के साथ पीसकर पिलाने से गर्भ बाहर निकल जाता है।
- नागदमन और चित्रक की जड़ को सम्भाग लेकर जल के साथ पीसना
- राई, हींग और सेंधा नमक को कांजी के साथ घोलकर पीने से।
- बाह्य प्रयोगार्थ =
- सांप के केंचुल को संपुट कर मधु मिलाकर अंजन लगाना चाहिए।
- थुहर के दूध का मस्तिष्क पर प्रक्षेपण करें।
- स्थिरा मूल का कल्क लेकर उसे नाभि, वस्ति, भग प्रदेश पर लेप करें।
- लांगली मूल को गरम जल के साथ पीसकर नाभि पर लेप करें।
निम्न क्रियाएं =
- उत्कर्षण
- अपकर्षण
- व्यावर्तन
- उत्कर्तन
- छेदन
- पीडन
- भेदन
- ऋजुकरण
One reply on “Mod Garbh / मूढ़ गर्भ : Malpresentation and retention of the fetus”
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