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Swasthavrit Yoga

Matsyasna ( मतस्यासन् ) – Fish Pose, its indications

◆शरीर मछली की भाँति जल में तैरने से ही इसे मत्स्यासन कहा गया है।

स्थिति – उत्तान तानासन।

विधि ;

1, उतान ताड़ासन की स्थिति से।

2. दाहिने पैर को बायीं जाँघ पर और बाएँ पैर को दाहिनी जाँघ पर रखें इस प्रकार यहाँ पद्मासन जैसी स्थिति बन जाती है।

3 .दोनों हाथों से सहारा लेते हुए पीछे लेटे।

4.ग्रीवा को जितना पीछे हो सके, उतना मोड़े।

5.पीठ और छाती जमीन से ऊपर उठाते हुए कमान (धनुष) जैसी आकृति बननी चाहिए।

6.इस अवस्था में घुटने जमीन पर टिके हुए रहें।

7.हाथों से पैरों के अंगूठे पकड़कर कुहनियाँ भूमि पर टिकाये।

8.इस अवस्था में यथाशक्ति धारण करना चाहिए।

9.आसन छोड़ने के लिए. ग्रीवा और कमर को भूमि पर टिकाये। धीरे धीरे पैरों को सीधा करके शवासन को स्थित में आना चाहिए।

श्वास प्रश्वास विधि :-

  1. पद्मासन से पोछे लेटते समय-पूरक
  2. मत्स्यासन स्थिति में-कुम्भक
  3. पश्चात् पुन: पद्मासन के
  4. शवासन में-सामान्य श्वास प्रश्वास विधि।

लाभ-सर्वांगासन के सभी लाभ इस आसन में मिलते हैं।

  1. ग्रीवा. कंधे में दृढ़ता आती है।
  2. घुटने, कहानियों में लचीलापन।
  3. मेरुदण्ड में भी लचीलापन उत्पन्न होता
  4. गलरोगविनाशक-गलगण्ड,गण्डमाला नाशक आदि व्याधियों का नाश करता है।

तमकश्वास, श्वासनलिका शोफ (Bronchitis), स्वर विकार एवं स्त्रियों के मानसिक विकार की चिकित्सा में प्रयोग होता है।

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