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Desh Bhed ( देश भेद ) – Types of Ecosystems

आयुर्वेद में 3 प्रकार के देशों का वर्णन मिलता है। आज हम इन्हीं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। देशों के बारे में बात करने से पहले यह जान लेते है कि देश भेद (Desh bhed) जानने की क्या आवश्यता है:-

देश भेद जानने की आवश्यता :-

यस्य देशस्य यो जन्तुस्तज्जं तस्यौषधं हितम् । देशादन्यत्र वसतस्तत्तुल्यगुणमौषधम्।।

वृद्ध वाग्भट के अनुसार जिस देश का रहने वाला जो प्राणी हो उसे उसी देश में उत्पन्न हुई औषधि हितकर हो सकती है।

Desh bhed

आनूप देश :-

Aanup
  • जो देश नदी, छोटी – छोटी जलाशय और पर्वतों से भरे हुआ हो
  • ताम्र वर्ण की भूमि वाली
  • अधिक विस्तृत स्थान वाली, नीरस, अनु उष्ण होती है
  • अधिक वर्षा होती हो
  • कमल आदि पुष्पो से युक्त
  • हंस, सारस, कारण्डव पक्षी, चक्रवाक पक्षी
  • खरगोश, सूअर, भैंस, रुरू, रोहि आदि पशुओं
  • हरे-हरे धान्य विशेष, शालि, केले, ईख आदि की फसल
  • बड़े पेड़, तमाल, नारियल के वृक्ष के घने वन
  • नदी या समुद्र तत्वी भूमि भाग हो
  • शीतल हवा चले
  • कफ दोष की प्रधानता होती है
  • वात कफ संबंधित रोग उत्पन्न करने वाला
  • रोग बहुत अधिक हो
  • उदर रोग व आम दोष उत्पन्न करने वाला
  • यहां के निवासी कोमल शरीर वाले होते हैं
  • Coastal areas/river beds can be said

भेद :-

  • प्रधान :- अधिक जल वाला, छाया वाला
  • मध्यम :- थोड़ा स्वच्छ जल युक्त
  • कनीय :- अत्यधिक जल से रहित

जांगल देश :-

Jaangal Desh
  • थोड़े जल व वृक्ष से युक्त हो (कम हो)
  • देश से विपरीत त्रिन व घास युक्त हो
  • धूसर वर्ण की मिट्टी वाली व उष्ण होती है।
  • मूंग, धान, यव आदि धन्य वर्ग युक्त
  • चारो ओर खुला सूखा आसमान फैला हो
  • हवा अधिक चलती हो
  • गाय भैंस अधिक दूध देती है
  • कुओ स पानी मिलता है
  • शमी, करील, बेल, मदार, पीलू, बेर, अर्जुन, धव, तिनिश, सल, विज्यक्षार आदि वृक्ष
  • सुखी हवा के झोंके से छोटे-छोटे वृक्ष झुकते व लोच खाते रहे
  • बालू व छोटी कंकरीट भ्रम उत्पन्न करती हो ( Hallucinations)
  • हिरण, एन, रीक्ष, श्वेत बिंदु मृग, गोकर्ण, गधा आदि पशु
  • रोग बहुत कम हो
  • निवासी ठोस व कठोर शरीर वाले हो
  • वात, पित्त, रक्त रोग उत्पन्न करने वाला
  • Can be considered desert areas

भेद :-

  • प्रधान :- उपर्युक्त सब लक्षण युक्त
  • मध्यम :- थोड़े वृक्षों युक्त
  • कनिष्ट :- कुआ खोदने पर सरलता से जल निकल जाए

साधारण देश :-

Sadharan desh
  • आनूप व जांगल देश के मिश्रित लक्षण होते हैं
  • शीत, वर्षा, गर्मी, वायु समान रूप से होते है
  • अधिक गेहूं तथा यव के नाल, उड़द आदि धान्य हो
  • सभी को सुख देने वाली
  • वात, पित्त, कफ की समता होती है
  • आहार, विहार, निद्रा आदि का सही आचरण किया जाए तो रोग नहीं होती
  • रोगी भी अधिक न हो
  • यहां के निवासी स्थिर शरीर, कोमल प्रकृति, बलशाली, उत्तम वर्ण वाले, सुसंगठित देश वाले होते है

आगे हर देश को क्षेत्रों में भागा है, अब हम उन क्षेत्रों के बारे में वर्णन करेंगे :-

क्षेत्र भेद :-

Shetra bhed

ब्रह्मा आदि क्षेत्र :-

जातियों के अनुसार देश का वर्गीकरण किया है।

ब्रह्मा क्षेत्र :-

  • अधिक वृक्ष वाला
  • जल से भरा हुआ
  • कुश अंकुर युक्त
  • रमणीय व सफेद मात्रिका युक्त
  • द्रव्य दोष रहित व सिद्धि देने वाले होते है
  • देवता :- ब्रह्मा

क्षात्र क्षेत्र :-

  • ताम्र वर्ण की भूमि युक्त
  • पहाड़ रहित
  • सिह आदि जानवरों के निवास स्थान वाला
  • भयंकर शब्द करने वाला
  • खेर वृक्ष युक्त
  • उत्पन्न हुए द्रव्य अलि व पलित्य को जीत लेते है
  • देवता :- इन्द्र

वैश्यीय क्षेत्र :-

  • सोने के समान चमकदार मिट्टी
  • उपयोग के योग्य
  • सिद्ध, किन्नर, गंधर्व आदि द्वारा अच्छी लगने वाली
  • लौह आदि को सिद्ध करने वाला
  • देवता :- कुबेर

शोद्र क्षेत्र :-

  • श्याम वर्ण युक्त
  • अधिक धान्य उत्पन करने वाला
  • त्रिंन धास युक्त
  • सुशोभित, बबूल वृक्ष युक्त
  • कृषि के लिए लाभ दायक
  • उत्पन्न द्रव्य शीघ्र ही रोग दूर करने वाले है
  • देवता :- भूदेव

पंचभौतिक क्षेत्र के भेद :-

यहां पार 5 महाभूत के अनुसार भेद किया है :-

पार्थिव क्षेत्र :-

  • पीत वर्ण के चमकते हुई मिट्टी युक्त
  • चौकोर, पीत वर्ण के मृगों युक्त
  • पीत वर्ण के लता, पुष्प युक्त
  • सब प्रकार से उन्नत व कठिन क्षेत्र
  • द्रव्य रोग नाश करने वाले होते है, बलवर्धक, स्वादु व स्थिर
  • देवता :- ब्रह्मा

जलीय क्षेत्र :-

  • चमकदार सफ़द कमल, पत्थर युक्त
  • नदी आदि के किनारे
  • द्रव्य :- कटु, कषाय, शीतल व पित्त नाशक होते है
  • देवता :- विष्णु

तेजस क्षेत्र :-

  • खेर आदि वृक्ष युक्त
  • चित्र विचित्र बांस युक्त
  • लाल पत्थर युक्त
  • द्रव्य :- तिक्त, लवण, अग्नि वर्धक, अरुचि नाशक
  • देवता :- शिव

वायवीय क्षेत्र :-

  • धूम्र वर्ण वाला स्थल
  • षट् कोण पत्थर युक्त
  • मृगों से व्याप्त
  • शाक, त्रिंन व रूखे वृक्षों युक्त
  • द्रव्य :- शीतल, उष्ण, अम्ल, बलहीन होते है
  • देवता :- रुद्र

आंतत्रिक्ष क्षेत्र :-

  • अनेक वर्ण वाला, गोलाकार, उत्तम, स्वच्छ
  • उच्चे उच्चे पर्वत युक्त
  • देवता को पवित्र करने वाला
  • द्रव्य :- नीरस होते है
  • देवता :- सदा शिव

इन देश भेदों (Desh bhed) के अलावा काश्यप संहिता में कुरुक्षेत्र को मध्य में लेकर पूर्व, पश्चिम आदि देशों में विभाग किया है। यहां हमने उनका वर्णन नहीं किया है क्योंकि वह अध्याय सम्पूर्ण नहीं मिलता बस पूर्व व कुरुक्षेत्र का वर्णन मिलता है। परन्तु एक बात विशेष होने के कारण हम उसे यहां बता रहे है :-

पूर्व दिशा के राज्य :- कलिंग, मगध, ऋषब, कोशलाय, महाराष्ट्र, चीन, प्रियांगु आदि। यहां पर प्लीहा व गलगण्ड रोग अधिक होते है क्योंकि यहां लोग गुड़, चावल व मछली का सेवन करते है जो कि मधुर होता है और यहां के लोग वात-कफ प्रकृति के होते है।

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