रावन कृत कुमारभृतय व भैषज्य रत्नावली ने 12 मातृकाएं ( Matrikaye ) का वर्णन किया है जो कि बालको को आक्रांत करती है 1 दिन की उम्र से लेकर 12 वर्ष की आयु तक, इन 12 में से 6 बाल ग्रह से अलग है, आज इसी कारण हम आपको उन सबसे रूबा रूह करवाएंगे जो कि इस प्रकार है।
नाम | लक्षण | समय | बलि | स्नान व मंत्र |
नंदना | ज्वर, अशुभ शब्द कहना, दूध ग्रहण नहीं करना | 1 दिन, प्रथम महीने, प्रथम वर्ष | नदी किनारे की मिट्टी लेकर पुतली बनाकर, सफेद चावल, सफेद पुष्प, 7 श्वेत ध्वजा, 7 दीपक, 7 स्वस्तिक, 7 वडे, 7 पूरी, 7 जामुन, 7 मुठ्ठी चंदन, फूल, नागरपान, मछली का मांस, मदिरा, सुंदर चावल ले कर पूर्व दिशा में चोहराहा बलि दे। | पीपल के पत्ते कलश में डाल कर शांति जल से स्नान करवाए, लशुन, सरसो, बकरे के सींग, नीम के पत्ते, गंगाजल से धूपित करे। |
सुनंदा | ज्वर, बालक नेत्र खोलते ही कांपता है, सोता नहीं है, दूध नहीं पीता | दूसरे दिन, दूसरे महीने अथवा दूसरे वर्ष | चावल, एक पृष्ठ भाग, दही, गुड, घृत, सहनक, गंध, नागर पान, पीला फूल, पीली 7 ध्वजा, 7 दीपक, 10 स्वस्तिक, मछली का मांस, मदिरा, तिल का चुन, पश्चिम दिशा में चौराहे 3 दिन शायाम को बलि दे | गंगाजल, सरसो, बिल्व के रोम, खस, नेत्र बाला, घृत से धूप दे। |
पूतना | ज्वर, शरीर कपता है, मुठ्ठी बंद करता है, दूध नहीं पीता, पुकारता है | तीसरे दिन में , तीसरे महीने में या तीसरे वर्ष में | नदी किनारे की मिट्टी लेकर पुतला बनाए, चंदन, फूल, नगरपान, लाल चंदन, लाल फूल, सात लाल ध्वजा, सात दीपक, 7 स्वस्तिक, पक्षियों का मांस मदिरा, भांत दक्षिण दिशा में रात को चोहराहे पर रख दे। | गंगा जल, गुग्गूलु, सरसो, नीम पत्ते, बकरे का सिंग की 3 दिन धूप दे। |
मुख मंडिका | ज्वर, ग्रीवा निवता है, नेत्र खोलता है, चुकी धारण करता है | चतुर्थ दिन, चतुर्थ मास, चतुर्थ वर्ष | नदी के दोनों किनारों की मिट्टी लेकर पुतली बनाए, सफेद कमल, चंदन, नागर पान, भोजन, 10 ध्वजा, 4 दीपक, 13 स्वस्तिक, मछली का मांस, मदिरा उत्तर दिशा में रात को बलि दे। | लहसुन, सरसो, बकरे का सींग, नीम के पत्ते और गंगाजल से धूप करे, |
कट पूतना | ज्वर, दूध ग्रहण नहीं कारण, मुठ्ठी बांधना | पांचवे दिन , पांचवे महीने या पांचवे वर्ष | कुम्हार की मिट्टी से पुतली बना ले और चंदन, नाग पान, चावल, सफेद फूल, 5 ध्वजा, 5 दीपक, 5 बड ईशान दिशा में, बलि दे और उसी जल से स्नान करे। | स्नान करके गंगा जल, सांप की केचली, गूगल, नीम के पत्ते, नेत्र वाला, घृत लेकर धूप करे |
शकुनी | ज्वर, शरीर विवर्न होना, नींद न आना ( दिन रात जागते रहना ) | 6 दिन, 6 थे महीने या 6 थे वर्ष में | पिठी की पुतली बनाए और सफेद पुष्प, रक्त पुष्प, पीला पुष्प, चंदन, नागर पान, 10 दीपक, 10 स्वस्तिक, 10 मुष्टिक, 10 बड का दूध, जमब्दिका मचछली का मांस, मदिरा, अग्नि दिशा में दिन के मध्य में बलि दे | गंगा जल, लहसुन, गूगल, सांप की कांचली, नीम के पत्ते,घृत से धूप करे |
शुष्क रेवती | ज्वर, दूध ग्रहण नहीं कारण, मुठ्ठी बांधना, रोता रहता है। | सातवे दिन , सातवे महीने या 7 वे वर्ष | लाल व सफेद पुष्प, चंदन, नागर पान, लाल चावल, खिचड़ी, 13 स्वस्तिक, मछली का मांस, मदिरा, 13 ध्वजा, 5 दीपक, पश्चिम दिशा में ग्राम से निकल कर शायम को बलि दे। | गूगल, मेडा का सिंग, सरसो, खस, नेत्र बाला, घृत इसका धूप करे |
अर्य | ज्वर, गीढ़ के समान गंध आना, भोजन नहीं खाता, कपता है | आठवें दिन , आठवें महीने या 8 वे वर्ष | लाल, पीली ध्वजा, चंदन, फूल, पूरी, पापड़ी, मछली का मांस, मदिरा, जंबू, सुबह के समय बलि दे | |
भू सूतिका | ज्वर, नित्य वमन, शरीर विवर्णता होती है, मुट्ठी बंद कर सकते है | नोवे दिन , नोवे महीने या 9 वे वर्ष | नदी के निन्नरे की मिट्टी से सफेद वस्त्र लपेट कर, सफेद फूल, चंदन, नागर पान, 13 सफेद ध्वजा, 13 दीपक, 13 स्वस्तिक, 13 पुतली, 13 मछली पुतली, मछली मांस, मदिरा उत्तर दिशा में ग्राम से निकल कर बलि दे | गूगल, नीम के पत्ते, गो का सींग, सफेद सरसो, घृत करके धूप करे। |
निर्ऋता | ज्वर, शरीर कपता है, रोता है, मूत्र व विष्ठा विकार होता है | दसवे दिन , दसवे महीने या 10 वे वर्ष | समुद्र की मिट्टी लेकर पुतली बनाए, चंदन, नागर पान, लाल फूल, लाल चंदन, पांच वर्णों वाली ध्वजा, 5 दीपक, 5 स्वस्तिक, 5 पुतली, मछली मांस, मदिरा को वाव्य दिशा में बलि दे | काक की विष्ठा, गो का मांस, गो का सींग, लहसुन, बिल्व के लोम, नीम के पत्ते, घी की धूप दे। |
पिलिपिच्छिका | ज्वर, भोजन नहीं करता, ऊपर दृष्टि होती है, अंग भंग होता है | 11 वे दिन , 11 वे महीने या 11 वे वर्ष | पीठी से पुतली बना लाल चंदन से पुतली मुख लाल बना दूध मुख से सीचे, पीला फूल, चंदन, नागर पान, 7 पीली ध्वजा, 7 दीपक, 8 बड़े, 8 पूरी, 8 कचौर, मछली मांस, मदिरा पूर्व दिशा में बलि ड्र | गूगल, गो का सींग, साप की केेेचुली, घृत की धूप दे |
कामुका | ज्वर, बहुत हस कर बात करता है, बार बार मुस्कुराता है, भोजन नहीं करता | बारवहे दिन , बारवहे महीने या 12 वे वर्ष | दूध से पुतली बनाकर चंदन, नागर पान, सफेद फूल, 7 सफेद ध्वजा, 7 दीपक,7 पुडी, दही भांत की बलि दे | गूगल, गंगा जल, सरसो, घृत की धूप दे |
बलि के वक़्त ॐ नमो नारायणाय अमुकस्य व्याधि हन हन मुञ्च मुञ्च ह्री फट् स्वाहा। मंत्र का जाप करे।
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One reply on “Matrikaye | मातृकाएं – Symptoms, Management”
[…] का वर्णन किया है जिन्होंने उन्होंने मात्रिका नाम दिया है परन्तु नाम वह लक्षण […]