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Botanical Name :: Vitis vinifera
Family Name:: vitaceae
Vernacular names:-
Hindi : दाख, मुनक्का ,द्राक्ष,अंगूर।
Udiya:- drakya,gostoni.
Kannad:- drakshadr
Konakni :- dHaku
Gujarat:- drakh
Bengali:- maneka
Marathi :- अंगूर
Punjabi :- angor
Emglish name: common grapes vine, grapes
Comparative review name:-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
द्राक्षा | * | * | * | * | * | * |
स्वादुफल | * | |||||
मधुरसा | * | |||||
मृद्वीका | * | |||||
हारहरा | * | * | ||||
कृष्णा | * | * | ||||
प्रियाला | * | * | ||||
तापसप्रिया | * | * | ||||
काश्मीरिका | * | * | * | |||
रसाला | * | * | * | * | ||
करभर्दिका | * | |||||
यारूपला | * | * | ||||
गुच्छफला | * | |||||
अमृतफला | * | |||||
मधुसंयक | * | |||||
स्वादुफला | * | |||||
गुडा | * | * | ||||
वृष्या | * | |||||
स्वाद्वी | * |
अन्य जातीय:-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
गोस्तनी | * | * | * | * | * | * |
उत्तरापथिका | * | |||||
कपिला | * | |||||
फलोत्तमा | * | * | ||||
स्वादुपाका | * | |||||
मधुरसा | * | * | ||||
मृद्विका | * | * | * | * | * | |
कपिल द्राक्षा | * | |||||
कपिल फला | * | |||||
अमृतरसा | * | |||||
दीर्घफला | * | |||||
मधुवल्ली | * | |||||
मधुफला | * | * | * | * | ||
मधूली | * | |||||
हरिता | * | |||||
हारहरा | * | |||||
सुफला | * | * | ||||
मृद्वी | * | |||||
हिमा | * | |||||
उतरा | * | |||||
पथिका | * | |||||
हैमवती | * | |||||
शतवीर्या | * | |||||
कशमीरी | * | |||||
बडी मुन्नका | * | |||||
मधुयोनि | * | * | * | |||
फलोत्तमा | * | |||||
स्वादुफला | * |
Name | राज | Dhanvantri |
काकली द्राक्षा | * | |
जम्बुका | * | |
फलोत्तमा | * | * |
लघु द्राक्षा | * | |
निबींजा | * | |
सुक्ता | * | |
रूचिकारणी | * |
Name | मदनपाल |
अबीजा द्राक्षा | * |
Name | मदनपाल | भाव प्रकाश |
निवीर्या | * | |
पर्वतराज | * | * |
Classical Mentions :-
Bhavparkash :- आमादि फल वर्ग (3 भेद)
Dhanvantri :- आम्रादि वर्ग (2 भेद)
Raj :- आम्रादि वर्ग (3 भेद)
Kaidev :- औषधि वर्ग (3 भेद)
Chandu :- फल वर्ग (2 भेद)
Madanpal :- फलादि वर्ग (4 भेद)
External morphology::-
यह बृहत् प्रतान युक्त शाखा -प्राशाखा युक्त पर्णपाती आरोहीआ लता है।
◆stem ::इसका काण्ड पतला, पोला ,आरोही,रेखित तथा लग्भग अरोमश होता है।
◆leaves::इसके पत्र सरल ,15-20cm लंबे और चोड़े, गोलाकार -हृदयाकार ,पआंच किनारों में कटे हुऐ,उर्ध्व पृष्ठ पर हरे,अरोमश तथा अधः पृष्ठ पर धूसर वर्ण तथा रोमश् युक्त होता है।
◆flowers:: इसके पुष्प छोटे हरित वर्ण के तथा सुगन्धित होते है।जो पत्र के विपरीत ससीमाक्षी गुछ्ओं में लगे हुए होते हैं।
◆Fruits:: इसके फल गोलाकार से अंडाकार , बैंगनी कृष्ण अथवा हरे रंग के मुलायम ,मांसल सरस होते हैं,जो गुछ्ओं में लगे हुए होते हैं।
★इसका पुष्पकाल तथा फलकाल अगस्त से मई तक होता है।
Habitat: punjab ,kashmir, afganistan, gujarat ,uttrakahand.
Ras panchak::
रस- मधुर। गुण- गुरु,स्निग्ध,मृदु।
वीर्य- शीत।
विपाक- मधुर।
Chemical constituent:- glucose, citric acid , soduum potassium chloride,phosphorus, tartaric acid,in seeds- oil,tanin.
आयुर्वेदीय गुण कर्म और प्रभाव-
अंगूर के पके फल शीतल,नेत्रों को हितकारी,पुष्टिकारक,पाक या रस में मधुर स्वर को उततम् करने वाला ,कसैले मल तथा मूत्र को निकालने वाला वीर्यवर्धक कफकारक ,रुचिकारक है।
अवस्था भेद से :-
कच्चे :- रक्तपित्त कारक,अमल,गुरु
बाल :- कटु,उष्ण, विशद,पित्त्तविकार कारक, रक्तविकार कारक,रक्तपित्त कारक
तरुण :- अम्ल,रूचिकारक,अग्निदीपक
पका :-थोड़ाअम्ल,मधुर,कषाय,तृष्णा,स्निग्घ,शीत,हृद्या रक्तपित्त नाशक,मधुर विपाक,स्वर हितकर,वृष्य,चक्षुय,गुरु, कोष्ठ में वायु ,कफकारक, पुष्टिकारक ,रूचिकारक
सुखा :-थकावट, पीड़ा, तृप्तिकारक, पौष्टिक, श्वास, कास, शीत ,रक्तपित्त, मधुर, सनिदग,रूचिकारक,नेत्र हितकर,वमन,शोथ,तृष्णा,ज्वर,दाह, आध्मान,भ्रम।
पक्व शुष्क :- अत्यंत वृष्य,तृप्तिकारक,रती काल में असमर्थ के लिए उपयोगी (राज)
रस भेद से :-
मधुर :- वातपित्तनाशक
मधुर अम्ल :- कफपित्त कारक
अम्ल :- उष्ण, सारक,गुरु, वातनाशक,रक्तपित्त कारक (कैदेव)
आम द्राक्षा :- गुरु,अल्प गुण वाला ( मदनपाल )
Comparative review Gunn:-
Gunn | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
मधुर कषाय | * | * | ||||
मधुर विपाक | * | * | ||||
शीत | * | * | * | * | * | |
वातशामक | * | |||||
कफकारक | * | |||||
मधुर | * | * | * | |||
स्निग्ध | * | * | ||||
गुरू | * | |||||
मधुर अम्ल | * |
अन्य जातीय:-
Gunn | भाव प्रकाश | मदनपाल |
लघु | * | * |
कफकारक | * | |
अम्ल | * | |
कफशामक | * |
Gunn | Dhanvantri | राज | चंदु |
वातनाशक | * | * | * |
शीत | * |
औषधीय प्रयोग ,मात्रा एवं विधि:-
शिरो रोग- शिर शूल 8-10 नग मुनक्का ,10 ग्राम मिश्री तथा 10 ग्राम मुलेठी,तीनो को पीसकर नस्य देने से पित-विकृतिजन्य शिर शूल का शमन होता है।
नासा रोग – नकसीर 2-2 बून्द द्राक्षा रसका नस्य देने से नकसीर बंद हो जाती है।
मुख रोग:-मुख रोग 10नग मुनक्का तथा 3-4 ग्राम जामुन के पत्ते मिलाकर क्वाथ बनाकर कुल्ला करने से दंतशूल,मुखदौर्गन्ध्य तथा अरुचि का शमन होता है।
कंठ रोग :-अनगूर स्वरस का गरारा करने से कंठदाह,शूल तथा शोथ का शमन होता है।
हृदय रोग:-हृदयशूल यदि हृदय में पीड़ा हो तो 3 भाग मुनक्का कल्क में एक भाग शहद तथा 1/2भाग लौंग मिलाकर सेवन करें।
यकृतप्लीहा रोग :-पाण्डु कामला 500 ग्राम मुनक्का का कल्क 2 kg पुराना घी और 8 ली जल,सबको एकत्र मिलाकर पकाएं ,जब केवल घी मात्र शेष रह जाये तो उसे छानकर रख लें ,3 -10 ग्राम तक प्रातःसांय सेवन करने से पाण्डु कामला अदि में विशेष् लाभ होता है।
वृकवस्ति रोग :-पथरी काली द्राक्षा की भस्म को पानी में घोलकर दिन में दो बार पीने से मूत्राशयगत पथरी टूट टूट कर निकल जाती है।
2.मूत्रकृच्छ्र 8-10मुन्ककों एवं 10 से 20 ग्राम मिश्री कओ पीसकर दही के पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
विष चिकित्सा:– धतूरे का विष – 10 मिली अंगूर के सिरके को 100 मिली दूध में मिलाकर पिलाने से धतूर सेवन जन्य विषाक्त प्रभावों का शमन होता है।
Comparative review Karm:-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
सारक | * | * | ||||
चक्षुष्य | * | * | * | |||
बृहंण | * | * | ||||
स्वर कारक | * | * | ||||
मूत्रप्रवृतिकारक | * | * | ||||
मलप्रवृतिकारक | * | * | ||||
वृष्य | * | * | ||||
पुष्टिकारक | * | |||||
रुचिकारक | * | * | ||||
तृष्णा | * | * | * | * | * | |
ज्वर | * | * | * | |||
श्वास | * | * | ||||
वातरक्त | * | |||||
मूत्रकृच्छ | * | |||||
रक्तपित्त | * | * | ||||
मोह | * | |||||
दाह | * | * | ||||
शोष | * | |||||
मदात्सय रोग | * | |||||
हद्य | * | |||||
क्षय | * | |||||
मूत्र विकार | * | |||||
स्वरभेद | * | |||||
क्षतक्षय | * | |||||
वमन | * | * | ||||
वातरक्त | * | * | ||||
कामला | * |
अन्य जातीय:-
karm | Dhanvantri | राज | चंदु |
रक्तदोष | * | ||
श्वास | * | * | * |
कास | * | * | |
भ्रम | * | ||
तृष्णा | * | * | |
ज्वर | * | * | |
हद्य बलकारक | * | ||
मदकारक | * | ||
दाह | * | ||
मूच्छा | * | ||
उबकाई | * |
2 replies on “अंगूर ( Angoor/ Draksha ) -Vitis vinifera”
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