★विरुद्ध भोजन के सेवन से होने वाले ज्वर रक्तपित्त आदि अष्ट रोग विष के समान मृत्यु कारक होने कारण महागद कहलाते हैं।
अष्टमहागद में भिन्न भिन्न आचार्यों ने भिन्न भिन्न व्याधियों को सम्मलित किया है–
Sno. | चरक संहिता | सुश्रुत | अष्टांगसंग्रह | |
1. | वातव्याधि(neurologicaldisease) | वातव्याधि(neurologicaldisease) | वातव्याधि(neurologicaldisease) | |
2. | अपस्मार(epilepsy) | प्रमेह(diabetes Mellitus) | अशमरी(stones) | |
3. | कुष्ठी(skin disease) | कुष्ठ(skin disease) | कुष्ठ(skin disease) | |
4. | शोथ(oedemas) | अर्श(piles or hemorrhoids) | प्रमेह(diabetes Mellitus) | |
5. | उदर(abdominal swellings) | भगन्दर(fistula) | उदर रोग(abdominal swellings) | |
6. | गुल्म(painful lump) | अशमरी(stones) | भगन्दर(fistula) | |
7. | मधुमेह(Diabetes mellitus) | मूढ़गर्भ | अर्श(piles or hemorrhoids) | |
8. | राजयक्ष्मा(tuberculosis) | उदर रोग(abdominal swellings) | ग्रहणी(malabsorption syndrome) |
रक्तपित्त:-
आचार्य चरक ने अष्टमहागद के अन्तर्गत रक्तपित्त की गणना नहीं की है परन्तु रक्तपित्त व्याधि चिकित्सा में महागद अर्थात् अत्यन्त कष्टकारी होना वर्णित किया है।
“महागदं महावेगमग्निवच्छीघ्रकारी च।”
■रक्तपित्त एक ऐसा महारोग है जिसका वेग, अधिक तीव्र होता है और अग्नि जिस प्रकार तृण समुदाय को शीघ्र ही नष्ट कर देती है उसी प्रकार शीघ्र ही शरीर को नष्ट कर देता है।
2 replies on “Asth Mahagadh (अष्ट महागद )- 8 Most Dangerous Diseases”
charak has not described anywhere ashtmahagada
Plz. Check charak chikitsa 4/5 for rakta pitta
And charak indriya sthana 9/8-9 for rest 8 diseases.