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Modern Pharmacology

Important terms in Pharmacology – Science of Drugs

Pharmacology It is the science of drugs that deals with interaction of exo genously administered chemical molecules with living systems Any single chemical substance which can produce a biological response is a drug. Pharmacodynamics What the drug does to the body. This includes physiological and biochemical effects of drugs and their mechanism of action at […]

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Stree evam Prastuti Tantra Swasthavrit

Rajasvalya Charya ( रज: स्वला चर्या ) Menstrual Hygiene

परिभाषा :- महीने-महीने में स्त्रियों के जो रज:स्राव होता है, उस समय वो स्त्रियाँ रज:स्वला कहलाती हैं। रज स्वला स्त्री को जिस प्रकार आहर विहार रखना चाहिए उसका विस्तार पूर्वक व्याख्यान हम इस चर्या में करेंगे। रज: स्वला स्त्री के करने योग्य एवम् त्याज्य कर्म आचार्य चरक द्वारा = रजोदर्शन के समय से लेकर तीन […]

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Swasthavrit

Importance of Charya ( विभिन्न चर्या का महत्त्व )

आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन – “स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा एवम् रोगी के रोग का निवारण करना“ इस मुख्य प्रयोजन की सफलता पूर्वक पूरा होने के लिक विभिन्न चर्या का वर्णन आचार्यों ने किया है चर्या का अर्थ होता है आचरण यानि आहार, विहार जो की इस लोक में ही नहीं परलोक में भी […]

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Stree evam Prastuti Tantra

Garb and Garbhini Paricharya (गर्भ एवं गर्भिणी परिचर्या)

(Measures indicated for Embryo & Pregnant lady) पुत्रेष्टियज्ञ का पूर्वकर्म (Measures to be Adopted for Procuring Male Child) आचार्य चरक के अनुसार यदि स्त्री यह अभिलाषा रखती हो कि उसका पुत्र विशालकाय, गौरवर्ण, सिंह जितना ताकतवर, ओजस्वी, पवित्रात्मा और अच्छे मन का हो तो – रजोधर्म के चौथे दिन शुद्ध स्नान के दिन से ही […]

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Kumar Bhritya

Shishu Paricharya / शिशु-परिचर्या, कुमारधारणीयानि

आयु परीक्षण आयुष्मान या दिघ्रायू के लक्षण (1) केश-जो एक-एक अलग-अलग निकले हो, मृदु हो, अल्प हों, सिनीग्ध हों, जिनके मूल मजबूत एवम् काले हो। (2) त्वचा-स्थिर एवं मोटी अच्छी होती है। (3) सिर-स्वाभाविक आकृति से युक्त, पर कुछ प्रमाण से बड़ा हो, किन्तु देह अनुसार ही बड़ा हो और छाता के सदृश उतार-चढ़ाव युक्त […]

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Kumar Bhritya

Domains of Development

Normal development is a complex process . However, it is easy to under stand and assess development under the following five domain; i. Gross motor development ii. Fine motor skill development iii. Personal and social development and general understanding iv. Language v. Vision and hearing Gross Motor Development Motor development progresses to ultimate attainment of […]

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Kumar Bhritya

Navjaat shishu Paricharya / नवजात शिशु-परिचर्या

परिचर्या के विभिन्न कर्मों को करने का जो क्रम दिया गया है, यह सभी में अलग-अलग वर्णित है- Trick:- PSM की गर्भ पर नज़र। (चरक अनुसार) P – प्राण प्रत्यागमन S – स्नान M – मुख विशोधन गर्भ – गर्भोदक वमन पर – परिमार्जन – उल्वा परिमार्जन न – नालछेदन ज – जात कर्म र […]

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Kumar Bhritya

Pranpratyagman (प्राणप्रत्यागमन) – Resuscitation Process

विभिन्न आचार्यों ने अपने-अपने मत अनुसार अपरा (placenta) गिराने के बाद किए जाने वाले उपयुक्त कार्यों का वर्णन किया है। आचार्य चरक का मत = प्रसूता स्त्री की अपरा गिराने लिए कार्य होने के बाद कुमार लिए निम्नाङ्कित कार्य करने चाहिए। दो पत्थरों के टुकड़े को लेकर बालक के कान के मूल अर्थात् कान के […]

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Swasthavrit

Dincharya ( दिन चर्या ) : स्वस्थ जीवन के लिए एक आयुर्वेदिक तरीका

दिन का अर्थ है प्रतिदिन और चर्या का अर्थ है आचरण।यहाँ चरण का उल्लेख करते समय यह भी कहा गया है कि आचाराल्लभते आयुः । अर्थात आचार से आयु प्राप्त होती है। निरुक्ती :- प्रतिदिन कर्तव्या चर्या दिनचर्या। प्रतिदिन करने योग्य चर्या दिनचर्या कहलाती है।आचार शब्द से आहार व विहार दोनों का ग्रहण होता है […]

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Swasthavrit

ऋतु सन्धि (Ritu sandhi), ऋतु हरितकी व ऋतु विपर्यय

परिभाषा: ऋत्वोरन्त्यादिसप्ताहावृतुसन्धिरिति स्मृतः। (अ.ह. सू. 4/15)दो ऋतु के जोड़ को ऋतु संधि कहते है। वर्तमान ऋतु का अन्तिम सप्ताह और आने वाली ऋतु का प्रथम सप्ताह अर्थात यह चौदह दिन (14 दिन) का समय ऋतु संधि है। ऋतु सन्धि चर्या :तत्रपूर्वो विधिस्त्याज्यः सेवनीयोऽपरः क्रमात्। असात्म्यजा हि रोगाः स्युः सहसा त्यागशीलनात्।। (अ.इ.सू. 4/6)ऋतु सन्धि में वर्तमान […]