रावन कृत कुमारभृतय व भैषज्य रत्नावली ने 12 मातृकाएं ( Matrikaye ) का वर्णन किया है जो कि बालको को आक्रांत करती है 1 दिन की उम्र से लेकर 12 वर्ष की आयु तक, इन 12 में से 6 बाल ग्रह से अलग है, आज इसी कारण हम आपको उन सबसे रूबा रूह करवाएंगे जो […]
Author: rohitgera1999
स्वरूप :- मलिन वस्त्र पहने हुए मलिं शरीर वाले रुक्ष केश शून्य मकान में रहने वाली खराब दर्शन वाली दुर्गन्ध युक्त विकराल स्वरूप वाली बादलों के समान कृष्ण वर्ण पर्याय :- मलजा पूतना क्रौज्जी वैश्वदेवी पावनी उत्पति व कर्म निर्धारण :- दुंदुभी नामक रक्षक से युद्ध करने में कार्तिकेय का वर्ण नष्ट हो गया और […]
स्वरूप :- विविध वस्त्र धारण करने वाली चित्र – विचित्र, चंदन माला धारण करने वाली कानों में जिसके कुण्डल हिलते हो श्याम वर्ण जो रेवती की पूजा करेगे उन्हें कभी भी भूत का भय नहीं होगा 6 मुख वाली सदा प्रसन्न वरदान मुद्रा के साथ पर्याय :- लंबा कराल विनता बहुपुत्रिका रेवती शुष्क नामा वारूणी […]
इस बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग ( हृदय व संग्रह ) में मिलता है। लक्षण :- रोमांच बार बार डराना सहसा रोना ज्वर कास अतिसार वमन उबासी तृष्णा मुर्दे की गंध शॉफ जड़ता विव्रंता मुट्ठी बंद रखना नेत्रों में स्त्राव अरिष्ट लक्षण :- धात्री लाल कमल के वन में पहुंचकर कमल मलाओ से अपनी […]
स्वरूप :- बकरे के समान मुख वाला, नेत्र व भौंहें चलायमान मर्जी अनुसार रूप धारण करने वाला महा यशस्वी पर्याय :- मेष उत्पति :- इस ग्रह की उत्पति पार्वती माता द्वारा कि गई थी। लक्षण :- मुख से फेन आना मध्य भाग मुड़ा हुआ सा होना ऊपर देखकर बेचैन होकर रॊधन करना हमेशा ज्वर रहना […]
इस बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग हृदय में मिलता है। लक्षण :- कम्पन रोमांच होना स्वेद नेत्र बंद होना जिह्वा को काट लेना गले के अन्दर शब्द होना मल के समान गंध होना कुत्ते के समान चिल्लाना चिकित्सा :- इंद्रायण, ब्राह्मी, कटेरी दोनों, सारीवा, नेत्र बाला, कदम्ब, तुलसी मंजरी, कनेर का फूल इनसे पीसकर […]
पर्याय :- वक्त्रमण्डिका मुखमण्डित मुखमण्डनिका मुखमण्डिका परिचारिका मुखार्चिका उत्पति :- एक बार भगवान कार्तिकेय जब महादेव के समीप खेल रहे थे और उस समय गंधर्व, अप्सराएं व लोग शिव जी का अलंकर कर रहे थे उस समय कार्तिकेय ने माता पार्वती से कहा कि उन्हें भी शिव जी की तरह चंद्रमा रूपी आभूषण चाहिए, जब […]
निदान :- प्रसूता स्त्रियों के स्नेहपान साठी चावल व मछली खाने से अधिक भोजन करने से विरूद्ध भोजन अजीर्ण भोजन करने से आक्रांत का समय :- अष्टांग संग्रह में 6 ठी रात को बालक की रक्षा विशेष रूप से करने को कहा है, बलि देकर रात्रि को बंधु बांधवों के साथ मिलकर जागरण करना चाहिए। […]
स्वरूप :- आकाश में रहने वाला सर्व अलंकारों से युक्त लोह समान वर्ण अधो मुख व तीक्ष्ण मुखी भयंकर दर्शन वाली लंबा शरीर पिंगल नेत्र शंकुवत लंबे कर्ण ग्रह का दूध पर प्रभाव :- दूध का स्वाद कटु, तिक्त हो जाता है। आक्रमण का समय :- 6 दिन, 6 थे महीने या 6 थे वर्ष […]
स्वरूप :- स्कन्द का मित्र विकृत आनन वाला विशाखा नाम से जाना जाता है पर्याय :- विशाख उत्पति :- इनकी उत्पति भगवान अग्नि के द्वारा किया गया था। लक्षण :- बार बार संज्ञा नाश होता रहता है होश में आने पर अति रोधन हलचल युक्त हाथ – पैर को नाचता है अव्यक्त शब्द के साथ […]