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Immunity & Ayurveda | व्याधिक्षमत्व : The Key to a Healthy Life

व्याधिक्षमत्व or Immunity दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘व्याधि‘ = विविधं दुःखमादधातीति व्याधि:।। (च० चि० 1/5); अर्थात् आयुर्वेद में दुख का नाम ही व्याधि है। ‘क्षमत्व’ का अर्थ होता है = बनाना, गुस्सा रोकना, चुप रहना, या लड़ना (अमरकोष) व्याधिक्षमत्व को सर्वप्रथम चक्रपाणि ने बताया है। व्याधिक्षमत्वं व्याधिबल विशेधित्वं व्याध्युत्पाद प्रतिवन्धकत्वमिति यावत् ।। (च० […]

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Swarn Prashan (स्वर्ण प्राशन) – Gold drops Immunity booster

स्वर्ण प्राशन (Swarn Prashan) का अर्थ है – स्वर्ण को चटाना। यह‌ कर्म नवजात शिशु में किया जाता है। स्वर्ण को जल के साथ खूब घिसकर चटाया जाता है। स्वर्ण बल्य, जीवनीय तथा ओजोवर्धक या रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला है परन्तु केवल एक दिन इसका प्रयोग करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं […]

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Kshudra Graha ( क्षुद्र ग्रह ) – According to Harit samhita

आचार्य हारित ने भूत विद्या आधाय के अंतर्गत 10 क्षुद्र ग्रहों ( Graha ) का वर्णन किया है जो कि शिशु को आक्रनंत करते है परन्तु इनके नाम व लक्षण बाल ग्रह से बिल्कुल अलग है, उसके साथ साथ में आचार्य ने बाल रोग अध्याय में बाल ग्रह जैसा और आचार्य ने वर्णन किया है […]

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Matrikaye | मातृकाएं – Symptoms, Management

रावन कृत कुमारभृतय व भैषज्य रत्नावली ने 12 मातृकाएं ( Matrikaye ) का वर्णन किया है जो कि बालको को आक्रांत करती है 1 दिन की उम्र से लेकर 12 वर्ष की आयु तक, इन 12 में से 6 बाल ग्रह से अलग है, आज इसी कारण हम आपको उन सबसे रूबा रूह करवाएंगे जो […]

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Putna Graha | पूतना ग्रह : Bal Graha – Symptoms and Management

स्वरूप :- मलिन वस्त्र पहने हुए मलिं शरीर वाले रुक्ष केश शून्य मकान में रहने वाली खराब दर्शन वाली दुर्गन्ध युक्त विकराल स्वरूप वाली बादलों के समान कृष्ण वर्ण पर्याय :- मलजा पूतना क्रौज्जी वैश्वदेवी पावनी उत्पति व कर्म निर्धारण :- दुंदुभी नामक रक्षक से युद्ध करने में कार्तिकेय का वर्ण नष्ट हो गया और […]

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Revati Graha | रेवती ग्रह : Bal Graha – Symptoms and Management

स्वरूप :- विविध वस्त्र धारण करने वाली चित्र – विचित्र, चंदन माला धारण करने वाली कानों में जिसके कुण्डल हिलते हो श्याम वर्ण जो रेवती की पूजा करेगे उन्हें कभी भी भूत का भय नहीं होगा 6 मुख वाली सदा प्रसन्न वरदान मुद्रा के साथ पर्याय :- लंबा कराल विनता बहुपुत्रिका रेवती शुष्क नामा वारूणी […]

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Pitra Graha | पितृ ग्रह – Signs and Management

इस बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग ( हृदय व संग्रह ) में मिलता है। लक्षण :- रोमांच बार बार डराना सहसा रोना ज्वर कास अतिसार वमन उबासी तृष्णा मुर्दे की गंध शॉफ जड़ता विव्रंता मुट्ठी बंद रखना नेत्रों में स्त्राव अरिष्ट लक्षण :- धात्री लाल कमल के वन में पहुंचकर कमल मलाओ से अपनी […]

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Neg Mesha Graha | नैगमेष ग्रह – Symptoms and Management

स्वरूप :- बकरे के समान मुख वाला, नेत्र व भौंहें चलायमान मर्जी अनुसार रूप धारण करने वाला महा यशस्वी पर्याय :- मेष उत्पति :- इस ग्रह की उत्पति पार्वती माता द्वारा कि गई थी। लक्षण :- मुख से फेन आना मध्य भाग मुड़ा हुआ सा होना ऊपर देखकर बेचैन होकर रॊधन करना हमेशा ज्वर रहना […]

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Shva Graha | श्व ग्रह : Bal Graha – Symptoms and Management

इस बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग हृदय में मिलता है। लक्षण :- कम्पन रोमांच होना स्वेद नेत्र बंद होना जिह्वा को काट लेना गले के अन्दर शब्द होना मल के समान गंध होना कुत्ते के समान चिल्लाना चिकित्सा :- इंद्रायण, ब्राह्मी, कटेरी दोनों, सारीवा, नेत्र बाला, कदम्ब, तुलसी मंजरी, कनेर का फूल इनसे पीसकर […]

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Mukh Mandika Graha | मुख मंडिका ग्रह : Bal Graha

पर्याय :- वक्त्रमण्डिका मुखमण्डित मुखमण्डनिका मुखमण्डिका परिचारिका मुखार्चिका उत्पति :- एक बार भगवान कार्तिकेय जब महादेव के समीप खेल रहे थे और उस समय गंधर्व, अप्सराएं व लोग शिव जी का अलंकर कर रहे थे उस समय कार्तिकेय ने माता पार्वती से कहा कि उन्हें भी शिव जी की तरह चंद्रमा रूपी आभूषण चाहिए, जब […]