In today’s fast-paced world, the prevalence of Prameha (urinary disorders) is rising, largely due to lifestyle changes. You or someone you know might already be dealing with this condition or showing early signs. In this post, I’ve gathered essential information on Prameha to help you understand it better. If you find this helpful, please share […]
Category: Rare collection
How did King Nimi became Videha Nimi :- There is a tale about King Nimi in Vishnu Purana, Shrimad Bhagwat and Linga Purana that he was the son of Suryavanshi king Ishavaku. When he saw his father’s affection towards the elder son (Kakustha). So he didn’t liked it and left Avadha. He went to tirhuta […]
As an Ayurvedic Student/ practitioner or Ayurveda lover, you might have heared a lot about च्यावन मंत्र (Chyavan Mantra) but you might haven’t found what exactly it is or how and when to use it. But after reading this post you will come to know all the details about च्यावन मंत्र (Chyavan Mantra). Hope you […]
आचार्य हारित ने भूत विद्या आधाय के अंतर्गत 10 क्षुद्र ग्रहों ( Graha ) का वर्णन किया है जो कि शिशु को आक्रनंत करते है परन्तु इनके नाम व लक्षण बाल ग्रह से बिल्कुल अलग है, उसके साथ साथ में आचार्य ने बाल रोग अध्याय में बाल ग्रह जैसा और आचार्य ने वर्णन किया है […]
आहार ही प्राण है ऐसा वर्णन हमारे उपनिषद् में मिलता है परन्तु अजीर्ण जब उत्पन्न होता है जब भोजन को मात्रा में नहीं किया जाए तो अजीर्ण का कारण होता है, ऐसा ही माधव निदान में वर्णन मिलता है और कहा गया है :- अनात्म वंत: पशुवद् भुञ्जते येऽप्रमाणत:। रोगानीकस्य ते मूलम जीर्णं प्राप्नुवन्ति हि।। […]
क्या आपने भी कभी सोचा था कि हर दिन में 6 ऋतु हो सकती है और उस हिसाब से क्या करना चाहिए इसी बात का उत्तर आचार्य हारीत ने दिया है और प्रतिदिन में षड् ऋतु बताई है आज हम इसे के बारे बात करेंगे। प्राह्ने वर्षा ऋतुं वदन्ति निपुणास्तस्मिन्निशीथे शरत् प्रोक्तः शैशिरिकस्ततो हिमऋतुः सूर्योदयादग्रतः […]
हारीत संहिता में नक्षत्र के अनुसार रोग की मर्यादा बताई है कि रोग अगर इस नक्षत्र में होता है तो वह कितने दिन तक चलेगा, यह ही आचार्य रत्न प्रभा ने अपनी चक्रदत्त की टीका में भी बताया है ( 1/292 ) व उसके साथ साथ अष्टांग संग्रह निदान (1/21-33 ) में भी यही वर्णन […]
आयुर्वेद का ज्योतिष शास्त्र के साथ एक गहरा सम्बन्ध है, आचार्यों ने सर्व प्रथम रोगी की आयु जानने के लिए कहा है और विभिन्न आचार्यों ने आयुर्वेद के सामान ही ज्योतिष शास्त्र को फल प्रद कहा है। आज इसी के संभंद में हम आचार्य हारीत की हारीत संहिता में वर्णित रोग व विभिन्न नक्षत्र के […]
जनपद विध्वंश के विषय पर आचार्य चरक ने विमान स्थान के दूसरे अध्याय में बहुत अच्छी प्रकार से व्याख्या की है परन्तु आचार्य भेल ने सूत्र सूत्र स्थान पर वर्णन किया है एक ओर चीज़ जो चरक से बिल्कुल अलग है यह है कि याहा पर भगवान पुनर्वसु ने पांचाल देश में होने वाली महामारी […]