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Days of Public Health Importance

There is a list of several Health Care Days celebrated throughout the world to honour various Health Care Professionals, educate people about various diseases, to stop critics regarding person with disease; so here is a list of various days :- Date Day 30 January Anti – Leprosy Day 4 February World Cancer Day 12 February […]

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Stree evam Prastuti Tantra Swasthavrit

Rajasvalya Charya ( रज: स्वला चर्या ) Menstrual Hygiene

परिभाषा :- महीने-महीने में स्त्रियों के जो रज:स्राव होता है, उस समय वो स्त्रियाँ रज:स्वला कहलाती हैं। रज स्वला स्त्री को जिस प्रकार आहर विहार रखना चाहिए उसका विस्तार पूर्वक व्याख्यान हम इस चर्या में करेंगे। रज: स्वला स्त्री के करने योग्य एवम् त्याज्य कर्म आचार्य चरक द्वारा = रजोदर्शन के समय से लेकर तीन […]

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Importance of Charya ( विभिन्न चर्या का महत्त्व )

आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन – “स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा एवम् रोगी के रोग का निवारण करना“ इस मुख्य प्रयोजन की सफलता पूर्वक पूरा होने के लिक विभिन्न चर्या का वर्णन आचार्यों ने किया है चर्या का अर्थ होता है आचरण यानि आहार, विहार जो की इस लोक में ही नहीं परलोक में भी […]

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Vajraasan and Supta Vajraasan ( वज्रासन व सुप्ता वज्रासन )

Vajraasan: *स्थिति-दण्डासन विधि-1. दण्डासन स्थिति में पैरों को लम्बा फैलाए। 3.बायें हाथ से बायें पैर को मोड़कर बायें नितम्ब के पास रखें। एडी बाहर की ओर निकली हुई तथा पन्जा नितम्ब से लगा रहना चाहिए। पैर का तलवा ऊपर की ओर रहना चाहिए। इसी प्रकार दाहिने पैर को मोड़े। घुटने को मिलाकर, उन पर हाथ […]

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Svastikaasan and Sukhaasan ( स्वस्तिकासन व सुखासन )

Svastikaasan इस आसन में पैरों की आकृति स्वस्तिक जैसे बन जाने से इसे स्वास्तिकासन कहा गया है। * स्थिति-दण्डासन विधि- 1. दण्डासन स्थिति में दायें पैर की एडी को सीवनी नाड़ी से लगावें और पञ्जा जंघा से मिला हुआ रहना चाहिए। 3.बायें पैर को उठाकर दायें पैर के जांघ मूल में रखें। दोनों हाथों को […]

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Padmasana, Siddhaasana(पद्मासन व सिद्धासन )

Padmaasan: उत्तानों चरों कृत्वा ऊरुसंस्थौ प्रयत्नतः। ऊरुमध्ये तथोत्तानो पाणी कृत्वा ततो दृशौ।। नासाग्रे विन्यसेद् राजदन्तमूले तु जिह्वया। उत्तम्भ्य चिबुकं वक्षस्युत्याप्य पवनं शनैः।। इदं पद्मासनं प्रोक्तं…I (ह. यो. प्र. 1/45-46) पद्म (पद्म) शब्द कमल का पर्यायवाची है। पैरों तथा हाथों की आकृति कमल की पंखुड़ियों जैसी बनने से इसे पद्मासन कहते हैं । *स्थिति-दण्डासन विधि 1. […]

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Dincharya ( दिन चर्या ) : स्वस्थ जीवन के लिए एक आयुर्वेदिक तरीका

दिन का अर्थ है प्रतिदिन और चर्या का अर्थ है आचरण।यहाँ चरण का उल्लेख करते समय यह भी कहा गया है कि आचाराल्लभते आयुः । अर्थात आचार से आयु प्राप्त होती है। निरुक्ती :- प्रतिदिन कर्तव्या चर्या दिनचर्या। प्रतिदिन करने योग्य चर्या दिनचर्या कहलाती है।आचार शब्द से आहार व विहार दोनों का ग्रहण होता है […]

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ऋतु सन्धि (Ritu sandhi), ऋतु हरितकी व ऋतु विपर्यय

परिभाषा: ऋत्वोरन्त्यादिसप्ताहावृतुसन्धिरिति स्मृतः। (अ.ह. सू. 4/15)दो ऋतु के जोड़ को ऋतु संधि कहते है। वर्तमान ऋतु का अन्तिम सप्ताह और आने वाली ऋतु का प्रथम सप्ताह अर्थात यह चौदह दिन (14 दिन) का समय ऋतु संधि है। ऋतु सन्धि चर्या :तत्रपूर्वो विधिस्त्याज्यः सेवनीयोऽपरः क्रमात्। असात्म्यजा हि रोगाः स्युः सहसा त्यागशीलनात्।। (अ.इ.सू. 4/6)ऋतु सन्धि में वर्तमान […]

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Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) – Sun Salutation

“तं विद्यात् दुःख संयोगो वियोगं योग संजितम्। ” (भगवद्गीता) 6/23।। सभी प्रकार के (शारीरिक एवं मानसिक) वेदना के सम्बन्ध से विमुक्त होना ही योग कहलाता है। ◆ जब पुरुष अपने मन, बुद्धि , इन्द्रियों की चंचलता को स्थिर कर लेता है, तब वह व्यक्ति इस संसार के व्यामोह से उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के […]

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Bhujangasana (भुजंगासन / सर्पासन ) -Cobra pose

फन उठाये हुए कृष्णसर्प के समान आकृति बनने से इसे भुजङ्गासन या सर्पासन कहा गया है। स्थिति- अधोमुख तानासन। विधि :– 1.पेट के बल लेट कर, हाथ और पैर लम्बे करके जमीन पर टिका हुये रहे। 2. पश्चात् दोनों हाथों की कुहनियाँ को मोड़कर अंगुलियों को कन्धे के पास रखें। 3 .धीरे-धीरे ठुड्डी को ऊपर उठाते […]