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Swasthavrit Yoga

Gomukhasana ( गोमुखासन )- Cow’s Face Pose

इस आसन में आसनाभ्यासी का शरीर गाय मुख सदृश लगने लगता है अत: इसको गोमुखासन (Cow’s face posture) कहते हैं। विधि :- ★दोनों पैरों को सामने की तरफ फैला कर बैठ जाते हैं फिर बायें पैर को मोड़कर इस प्रकार रखते हैं कि बायें पैर की ऐडी दायीं नितम्ब के नीचे आ जाय। ★ पुनः […]

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Swasthavrit Yoga

Matsyasna ( मतस्यासन् ) – Fish Pose, its indications

◆शरीर मछली की भाँति जल में तैरने से ही इसे मत्स्यासन कहा गया है। स्थिति – उत्तान तानासन। विधि ;– 1, उतान ताड़ासन की स्थिति से। 2. दाहिने पैर को बायीं जाँघ पर और बाएँ पैर को दाहिनी जाँघ पर रखें इस प्रकार यहाँ पद्मासन जैसी स्थिति बन जाती है। 3 .दोनों हाथों से सहारा […]

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Astang Hridya Charak Samhita Sushrut Samhita Swasthavrit

Ritucharya / ऋतुचर्या : Science of Seasonal Habits for Well Being

प्रस्तुति : कालो हि नाम भगवान् स्वयम् भूरनादिमध्यनिधनोऽत्र।।। काल को भगवान कहा जाता है, जो किसी से उत्पन्न ना हो। काल आदि, मध्य और अंत रहित है।  काल विभाजन  काल विभाग इस प्रकार है- अक्षिनिमेष-1 मात्रा 15 मात्रा-1 काष्ठा 30 काष्ठा-1 कला 2 नाड़ीका-1 मुहूर्त 4 याम-1 दिन 4 याम-1 रात 15 दिन रात-1 पक्ष […]

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Swasthavrit

Madhay, Sandhya, Ratri Charya ( मध्य, संध्या, रात्रि चर्या )

मध्याह्न चर्या इष्ट प्रियजनों , शिष्ट, सभ्य जनों के साथ, त्रिगुन युक्त कथाओं, जिसमें धर्म, अर्थ एवं काम का वर्णन किया गया है उन ग्रन्थों को पढ़ते दिन के मध्याहन को व्यतीत करना चाहिए। इसके साथ सद्वृत के साथ  वर्णन किया गया कि सामाजिक एवं व्यवहारिक नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करना चाहिए। हिंसा, चोरी, अन्यथा […]

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Swasthavrit

Ritucharya for Vasant Ritu (वसंत ऋतुचर्या) : Spring Season

वसंत ऋतु आदनकाल की ऋतु है। इस ऋतु में गर्मी पड़ना शुरू होती है और इस ऋतु में सूर्य की गर्मी की वजह से पहले का सिंचित कफ पिघलने लगा जाता है और इसी वजह से इस मौसम में कफ के रोग अधिक देखे जाते है जैसे कास, जुखाम आदि। पर्याय:- पुष्प समय, सुरभि (शब्द […]

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Sharir Rachna Swasthavrit Tricks

Shat Chakra with trick to Learn ( षट् चक्र ) : तंत्र शरीर

AFTER READING SHAT CHAKRA WITH TRICK, READ NADI VIGYAN. षट्चक्रं षोडशाधारं त्रिलक्षं व्योमपञ्चकम्।स्वदेहे यो न जानाति कथं वैद्यः स उच्यते ॥ एतानि षटू च चक्राणि यो जानाति स वैद्यराट् / वैद्यभाक् ॥ जो वैद्य अपनी देह में स्थित छ: चक्रों, 16 आधार, 3 लक्षण व्योम पंच को नहीं जानता वह वैद्य किस प्रकार का ?? […]