Categories
Charak Samhita Tricks

Charak Samhita Purvad chapter Name Learn Trick

सूत्र स्थान चतुष्क :-

सूत्र स्थान में आचार्य ने 4-4 अध्याय के 7 चतुष्क बनाए गए और अंतिम 2 अध्याय को संग्रहअध्याय कहा गया है।

औषधि, स्वस्थ मनुष्य को निर्देशानुसार ही लेनी चाहिए व कलपना करनी चहिए की रोग होने पर योजना पूर्वक अन्न संग्रह करके रखें ।
  1. औषधि – औषध चतुष्क
    • औषध प्रयोग से दीर्घ जीवन का मार्ग आरंभ से प्राप्त होता है वीरे।
      • औषध – औषध चतुष्क
      • दीर्घ जीवन – दीर्घजीवनियाध्याय
      • मार्ग – अपामार्ग तंडुलीयाध्याय
      • आरंभ – आरग्वधीय
      • वीरे – षड्विरेचनशताश्रितीय
  2. स्वस्थ – स्वास्थ्य चतुष्क
    • मात्र शीत पदार्थ व वेग धारण न करने से इन्द्रियां स्वस्थ रहेगी।
      • मात्र – मात्रशितीय
      • शीतल – तस्यशितीय
      • वेग धारण – न वेगधारणीय
      • इन्द्रिय – इन्द्रियोपक्रमणीय
      • स्वस्थ – स्वास्थ्य चतुष्क
  3. निर्देश – निर्देश चतुष्क
    • खुद की मति से अपनी तृष्णा की बात करो।
      • खुद – खुड्डिकाचतुष्पाद
      • मति – महाचतुष्पाद
      • तृष्णा – तिस्त्रेषणीय
      • वात – वातकलाकलीय
  4. कलपना – कलपना चतुष्क
    • स्नेह स्वेद कल्पना चिकित्सा प्रमुख है।
      • स्नेह – स्नेह अध्याय
      • स्वेद – स्वेद अध्याय
      • कल्पना – उपकलपनिय व (कलपना चतुष्क)
      • चिकित्सा प्रमुख – चिकित्साप्राभृतिय
  5. रोग – रोग चतुष्क
    • किंतु शिर में उत्पन त्रिशोथ अष्ठ महारोग के कारण है।
      • किंतु शिर – कियंत: शिरसीय
      • त्रिशोथ – त्रिशोथिय
      • अष्ठ – अष्टोदरीय
      • महारोग – महारोग अध्याय
  6. योजना – योजना चतुष्क
    • योजना पूर्वक अष्ठ निंदित ब्राह्मण ने संतो का शोणित (रक्त) बहाया।
      • योजना पूर्वक – योजना चतुष्क
      • अष्ठनिंदित – अष्टोनिंदितीय
      • ब्राह्मण – लंड्गणबृहंणीय
      • संतो – संतर्पणीय
      • शोणित – विधिशोणितय
  7. अन्न – अन्नपान चतुष्क
    • सजन्न पुरूष आत्रेय की अन्नपान की विविधता को पहचानता है।
      • सजन्न पुरूष – यज्ज: पुरूषिय
      • आत्रेय – आत्रेयभद्रकापिय अध्याय
      • अन्नपान – अन्नपानविधि
      • विविधता – विविधशीतपितीय
  8. संग्रह – संग्रह अध्याय
    • प्राणों की रक्षा हेतु दश महाविद्या का संग्रह करो।
      • प्राणो – दशप्राणायतनीय
      • दश महाविद्या – दशमहामूलीय
      • संग्रह – संग्रह अध्याय

निदान स्थान नाम याद की ट्रिक :-

जब मादा में रक्तज गुल्म प्रचुर मात्रा में बड जाता हैं तब कुष्ठ शरीर को शोषित कर मादा को मार डालता है।
  1. जब – ज्वर
  2. रक्तज – रक्तपित्त
  3. गुल्म – गुल्म
  4. प्र – प्रमेह
  5. कुष्ठ – कुष्ठ
  6. शोषित – शोष
  7. मादा – उन्माद
  8. मार – अपस्मार

शरीर स्थान ट्रीक :-

शादी के लिए कती ( बढ़िया ), अतुल्य और खुद से भी महत ( बड़ा) पुरुष , शरीर से भी और जाती में भी दुंदा है पति देव ने।
  1. कती – कतिधापुरूषिय
  2. अतुल्य – अतुल्यगोत्रिय
  3. खुद – खुड्डिका गर्भावक्रांति
  4. महत – महती गर्भावक्रांति
  5. पुरुष – पुरूष विचय
  6. शरीर – शरीर विचय
  7. शरीर – शरीर संख्यां
  8. जाती – जातिसुत्रिय
ओर स्थानों की ट्रीक जल्दी ही बनाई जाएगी stay tunned…..