दारुणक (Darunaka) को Dandruff के नाम से भी जाना जाता है। जिस रोग में केश भूमि कठिन हो जाए, उसे दारुणक कहते है। इसका वर्णन निम्न आचार्यों ने किया है।
- दारुणेति कठिना। (माधव निदान क्षुद्र रोग 55/30) दारुण का अर्थ होता है कठिन। व जिस रोग में केश भूमि कठिन हो जाए, उसे दारुणक (Darunaka) कहते है।
- आचार्य हंसराज ने इस व्याधि को अरुंषिका कहा है।
- दारूणा कण्डुरा रूक्षा केशभूमिः प्रपाट्यते । कफवातप्रकोपेण विद्याद्दारूणकं तु तम् ।। (सु. नि. 13/34) अर्थात् कफ व वात के प्रकोप से केशों का स्थान स्पर्श में कठिन, कण्डूयुक्त, रूक्ष व फटा हुआ सा प्रतीत होता है। इसे दारूणक (Darunaka) रोग कहते है।
- आचार्य नीमी ने रक्त व पित्त का अनुबंध बताया है ।
चिकित्सा/ Treatment :-
- स्नेहन, स्वेदन के बाद शिर: सिरा वेदन, उसके बाद अवपीड नस्य, शिरो बस्ति, अभ्यंग।
- शिर प्रच्छालन
- पुरानी खल्ली व मुर्गे की बीट को गोमूत्र के साथ लेप
- खेर, नीम व जामुन के छिलके को पीसकर लेप
- कुरेया की छाल व सेंधव नमक का लेप
- पोस्ता दाना (खसखस) को दूध के साथ लेप
- आम की गिरी का चूर्ण व हरड़ सम भाग दूध के साथ लेप
- चित्रकादि तैल
- ललाट सिरा का वेदन करे, अभ्यंग स्नान।
- कोदो के तिनकों के क्षार जल से धोएं
- कण्टकार्यादि लेप
- भृङ्गराज तैल
Modern co-relation :-
It can be compared with Dandruff.