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Ras Shastra

Gairik ( गैरिक ): Ochre – Up ras Varg (Fe2 O3)

नाम:-

संस्कृतगैरिक
हिंदीगेरू
EnglishOchre or haematite

Chemical formula:- Fe2O3

विशिष्ट गुरुत्व:- 4.5-5

पर्याय:- गैरिक, गैरय, रक्तधातु, लौहधातु, गिरि मृतिका।

Types:-

रसरत्नसमुच्चय रसार्णवआयुर्वेदप्रकाशकर
१.पाषाण गैरिक : कठिन: ताम्रवर्ण१.रक्त१.स्वर्ण गैरिक
२.सुवर्ण गैरिक: स्निग्ध: रक्तवर्ण२.हेम२.सामान्य गैरिक
३.केवल३.पाषाण गैरिक

habitat:

All over India , Bengal, Punjab, madhyapradesh , Rajasthan

गैरिक ग्राह्याग्राह्यत्व:-

●स्वर्ण गैरिक स्निग्ध, मसृण एवं अत्यन्त मृदु तथा औषध कार्य के लिए स्वर्ण गैरिक श्रेष्ठ होता है।

●पाषाण गैरिक रूक्ष, कठिन एवं साधारण रक्तवर्ण होता है।

●अतः औषधकार्य के लिए सर्वत्र स्वर्ण गैरिक ही लेना चाहिए।

स्वर्ण गैरिक का सुन्दर रक्तवर्ण सुनारों द्वारा रंग चढाने के काम में लिया जाता है। स्वर्ण गैरिक इतना मृदु होता है कि हाथ में लेने पर हाथ लाल हो जाता है।

जबकि पाषाण गरिक को छूने पर हाथ में रंग नहीं लगता है।

गैरिक शोधन

(1) गैरिक में गोदुग्ध की भावना देने पर शुद्ध हो जाता है।

(2) गैरिक को गोघृत में भोजन करने पर शुद्ध हो जाता है।

सत्वपातन-

गैरिक का मारण एवं सत्त्वपातन नहीं होता है। क्योंकि आचार्य नन्दी ने इसे सत्त्व रूप होने के कारण सत्त्वपातन नहीं करने का निर्देश दिया हैं, किन्तु रसरत्नसमुच्चय कारने गैरिक के सत्त्वपातन के लिए कहा है।

जिसमें क्षार एवं अम्लवर्ग के सभी द्रव्यों के साथ स्वेदन एवं मर्दन करके मूषा में रखकर धमन करने पर गैरिक का सत्त्व लौह निकलता है।

यह पारद में मिल जाता है। और गैरिक से गुणों में श्रेष्ठ होता है।

शुद्ध गैरिक गुण:

स्वर्ण गैरिक● स्निग्ध, ●मधुर, ●शीतवीर्य, कषाय, नेत्र, दाह, ●रक्तपित्त, ●कफ विकार,● हिक्का,● विषनाशक, ●कण्डू, ●दर्दनाक,● व्रण रोपण, पित्त ज्वरनाशक, अग्निदग्ध शामक होता है।

●पाषाणगैरिक भी हिक्का, दरिद्रता, विषनाशक एवं स्वर्ण गैरिक से अल्प गुणवाला होता है।

गैरिक मात्रा:-2 से 4 रत्ती तक।

शुद्ध गैरिक के योग:-

1) कामदुधा रस

2) पुष्यानुग चूर्ण

(3) गैरिकाद्य प्रलेप

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