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Dravya Guna Plants

Guduchi – Tinospora cordifolia Comparitive Review

Botanical name- Tinospora cordifolia

Family- Menispermaceae

  • हिंदी – गिलोय, गुरूच, गुडुची
  • उड़िया – गुलंचा
  • कन्नड़ – अमृतवल्ली, युगानी वल्ली
  • गुजराती – गुलवेल
  • तमिल – अमृदवल्ली

Comparitive Review Name :-

NameMadanpal Dhanvantri Raj NighantuKaidevBhav Prakash
गुडूची*****
कुण्डली*****
छिन्ना*****
वयस्था*****
अमृतवल्लरी****
छिन्नोद्भवा**
छिन्नरुहा****
ज्वर विनाशिनी**
वत्सादनी*****
जीवंती***
चक्रलक्षणा****
अमृता****
छिन्नोद्भवा***
अमृतलता***
धारा**
सोमवल्ली**
नागकुमारी**
च्छित्रांभी*
मधुपर्णी***
तन्त्रिका**
देवनिर्मिता*
मण्डली*
सौम्या**
विशल्या*
अमृतसम्भवा**
पिण्डामृता*
बहुच्छिन्ना*
कंदरोहिणी*
रसायनी***
मृत्तिका*
चंद्रहासा*****
भिषिग्जिता*
ज्वरारि*
श्यामा*
वरा*
सुरकृता*
मधुपर्णीका*
सोमलतिका*
विशल्या*
यिषक्प्रिया*
जीवंतिका*
नागकुमारिका*
छन्दिका*
धीरा*
देवनिर्भिता*
NameDhanvantri Raj NighantuKaidev
कंदगुडूची***
कंदोद्भवा**
कंदा*
अमृतकंदा***
गुडूचिका*
पिण्ड गुडूचिका*
बहुच्छिन्ना*
बहुरुहा*
पिण्डालु*
शटीरुपा*
विच्छिला*

Habitat- Evergreen climber found upto 1000 metre above sea level, in forest, villages, mountains etc.

Classical Mentions :-

अथर्व वेद – 5/4/3
भाव प्रकाश निघंटु – गुडूचयादि वर्ग
मदनपाल निघंटु – अभयादि वर्ग
धनवंत्रि निघंटु – गुडूचयादि वर्ग
राज निघंटु – गुडूचयादि वर्ग
कैदेव निघंटु – ओषद्धि वर्ग

उत्पति :-

जब राम और रावण का युद्ध हुए था और रावण की मृत्यु होने पर 1000 नेत्रों वाले देवताओं के राजा इन्द्र भगवान राम के उपर अति प्रसन्न होकर युद्ध में मरे हुए वानरों को पुन: जीवित करने के लिए उन्होंने अमृत वर्षा की जिससे जो बूंदे पृथ्वी पर गिरी उससे गिलोय की उत्पति हुई।

External morphology-

  • lower stem part is thick
  • outer part of stem is light brown, covered with paper like layers
  • Leaves heart like shaped and smooth
  • flowering in summer season, yellow coloured in bunches
  • its green fruits are also in groups, which get red when ripen
  • seeds- white, smooth, somewhat bent.

Chemical constituents- Besides 1.2% starch, it contains many bitter biological constituents. It contains giloyin named glycoside and tinosporin, pamarin and tinosporic acid. It also contains cardiol, cardioside and tinosporidin. It has a volatile oil, and fat, alcohol and many fatty acids.

गुण – धर्म व प्रयोग –

  • यह त्रिदोषशामक है। स्निग्ध होने से वात शामक, कषाय व तिक्त होने से कफ व पित्त शामक है। यह कुष्ठघन, वेदनस्थापन, तृष्णानिग्रहन, छर्दी निग्रहन, दीपन, पाचन, अनुलोम व कृमिघ्न है। खांसी, दौर्बल्यता, प्रमेह, मधुमेह, व अनेक प्रकार के ज्वर में उत्तम कार्य करती है।
  • गुडुची का पत्र शाक कषाय, तिक्त, कटु, मधु, उष्ण वीर्य, लघु, रसायन, अग्निदीपक, बलकारक, चक्षुष्य तथा पथ्य होता है।
  • गुडुची सत् मधुर, लघु, त्रिदोषशामक, पथ्य, दीपन, धातुवर्धक, मेध्य, वयस्थापक होता है।

अनुपान भेद से त्रिदोष शामक :-

  • घृत – वात
  • ऐरंड तैल – वात रक्त
  • मधु – कफ
  • शकर / सिता – पित्त
  • गुड – विबंद
  • शुंठी – आम वात

Comparitive Review Gunn :-

GunnMadanpal Dhanvantri Raj NighantuKaidevBhav Prakash
कटु तिक्त कषाय***
तिक्त कषाय**
तीक्ष्ण*
लघु***
गुरु***
उष्ण****
मधुर विपाक***
त्रिदोषशामक***
कफवातशामक*
वातनाशक*
पित्त शोषक*
guguchi
NameDhanvantri Raj NighantuKaidev
कटु*
उष्ण**
त्रिदोषनाशक***
लघु*
kand guduchi gunn

औषधीय प्रयोग व मात्रा

  • कर्ण रोग – गिलोय को जल में घिसकर गुनगुना करके कर्ण में 2-2 बूंद दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है।
  • वमन – गिलोय के 125-250 मिली हिम में 15-30 ग्राम तक शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से कष्ट्साध्य वमन भी बन्द हो जाता है।
  • कामला – गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर छानकर प्रातः काल पीने से कामला में लाभ होता है।
  • प्रमेह – 10 मिली गिलोय स्वरस को पीने से प्रमेह में लाभ होता है।
  • वातरक्त – गिलोय के 20-30 मिली क्वाथ को सुबह शाम पीने से गठिया में लाभ होता है।
  • कुष्ठ – 10-20 मिली गिलोय स्वरस को दिन में 2-3 बार कुछ महीने तक नियमित पिलाने से कुष्ठ में लाभ होता है।
  • वातज ज्वर के शमन के लिए गुडुची श्रेष्ठ है।
  • गुडुची के स्वरस तथा कल्क से सिद्घ घृत का प्रयोग करने से जीर्ण ज्वर का शमन होता है।
  • मलेरिया में गुडुची स्वरस का प्रयोग अत्यंत लाभदायक है।

Comparitive Review Karm :-

GunnMadanpal Dhanvantri Raj NighantuKaidevBhav Prakash
अग्नि दीपक**
रसायन***
संग्रही****
बल्य**
कामला***
कुष्ठ****
कास***
ज्वर*****
पित्त विकार*
कृमि रोग****
रक्त विकार*
अर्श**
आयु वर्धक*
मेध्य*
तृष्णा****
पांडु****
वातरक्त****
वमन***
प्रमेह****
मेद शोषक*
कण्डू*
विसर्प*
दाह***
पीडा**
भ्रम*
आम दोष**
ह्रदय रोग**
मूत्रकृच्छ*
NameDhanvantri Raj NighantuKaidev
विष**
भूत बाधा**
ज्वर*
पलित**
स्वादिष्ट*
पथ्य*
नेत्र हितकर*
kand guduchi

प्रयोज्यांग – पत्र, कांड, गिलोय सत् तथा पंचांग

मात्रा – स्वरस 20 मिली, क्वाथ 20-30 मिली

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