Botanical Name : Nerium indicum, Thevetia peruviana, Thevetia neriifolia
Family Name: Apocynaceae
Vernacular names:-
Sanskrit – पीत्त करवीर, दिव्य पुष्प ।
Hindi – पीला कनेर (Kaner)
Gujarati – पीली कनेर
Kannnad – कड़ुकासी
English – Yellow oleander, Lucky nut tree, Exile tree.
Comparative review name:-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
करवीर | * | * | * | * | * | |
श्वेतपुष्प | * | * | * | * | * | |
शतकुम्भ | * | |||||
अश्वमारक | * | * | * | * | ||
सफेद कनेर | * | |||||
अश्वहन | * | * | * | |||
हयमार | * | * | * | |||
श्वेतकंद | * | |||||
प्रतिहास | * | * | * | * | ||
अश्वमोहक | * | |||||
महावीर | * | |||||
हयहन | * | |||||
वांतकंद | * | |||||
अश्वरोधक | * | |||||
हयारि | * | |||||
वीरक | * | |||||
कुंद | * | |||||
शकुंद | * | |||||
श्वेतपुष्पक | * | |||||
अश्वांतक | * | |||||
नखराहव | * | |||||
अश्वनाशक | * | |||||
स्थालादि | * | |||||
कुमुद | * | |||||
दिव्यपुष्प | * | |||||
हराप्रिय | * | |||||
गौरीपुष्प | * | |||||
सिद्धपुष्प | * | |||||
अश्वमार | * | |||||
हयमारक | * | |||||
संकुत | * | |||||
मीनकारव्य | * | |||||
अश्वरोहक | * | |||||
रातकुंभ | * | |||||
शतप्राश | * | |||||
अब्जनीजभृत् | * | |||||
कणवीर | * | |||||
अश्वहा | * | |||||
शतपुष्पक | * |
अन्य जातियां :-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
लाल कनेर | * | * | ||||
रक्त पुष्प | * | * | ||||
चण्डाल | * | * | ||||
लगुड | * | * | * | * | ||
करवीरक | * | * | ||||
चण्डक | * | * | ||||
चण्डातक | * | |||||
प्रचण्ड | * | * | * | |||
रक्त करवीर | * | |||||
रक्त प्रसव | * | |||||
गणेशकुसुम | * | |||||
क्रुर | * | |||||
भूतद्रावी | * | |||||
रविप्रिय | * | |||||
चण्डालिका | * | |||||
गुल्मिक | * | |||||
पवित्र | * | |||||
पापहा | * | |||||
चण्डाल | * | |||||
गुल्मक | * | |||||
विचंडिका | * | |||||
चण्ड | * | |||||
करवीर | * |
Name | राज | कैदेव |
पीत प्रसव | * | |
सुगन्धिकुसुम | * | |
पीत करवीर | * | |
पाघ्या | * | |
पाटालिका | * | |
अल्प पुष्पिका | * |
Name | राज |
कृष्ण कनेर | * |
कृष्ण कुसुम | * |
कनेर (Kaner) के पौधे भारतवर्ष में मंदिरों, उद्यानों, गृहवाटिकाओं में फूलों के लिए लगाये जाते हैं। इसकी दो प्रजातियां पायी जाती हैं; 1) श्वेत कनेर और 2) पीली कनेर। श्वेत, पीली कनेर सात्विक भाव जागती है, वहीं लाल (गुलाबी) कनेर को देखकर ऐसा भ्रम होता है कि यह बसंत और सावन का मिलन तो नहीं।
Classical Mentions :-
Bhavparkash :- कर्पूरादि वर्ग (2 भेद)
Dhanvantri :- करवीरादि वर्ग (2 भेद)
Raj :- करवीरादि वर्ग (4 भेद)
Chandu :- प्रकीर्ण औषधि वर्ग (2 भेद)
Kaidev :- औषधि वर्ग (3 भेद)
Madanpal :- अभयादि वर्ग (2 भेद)
पीली कनेर का उल्लेख चरक, सुश्रुत आदि ग्रंथों में नहीं हैं।
बाह्य स्वरुप / External morphology:-
कनेर (Kaner) का सदा हरित, सघन, सुन्दर 4-6 cm ऊँचा क्षुप तथा वृक्ष होता है।
पत्र 7.5-12.5 cm लंबे; रक्त कनेर के पत्र जैसे ही; पर उनसे पतले, छोटे, चमकीले और नुकीले होते हैं।
पुष्प घंटाकृति के, पीतवर्णयुक्त, गंधयुक्त, पाँच दलयुक्त ।
फल गोल; in Ripened stage : Light green in colour and after, it converts into Brown colour, तथा इनके अंदर त्रिकोणाकृति की गुठली युक्त होती है। गुठली के अंदर 2 पीतवर्णयुक्त बीज होते हैं ।
पुष्पकाल :- मार्च से जुलाई होता है फलकाल :- सम्पूर्ण वर्ष तक होता है।
Ras panchak :-
रस: कटु, तिक्त।
गुण: लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण ।
वीर्य: उष्ण।
विपाक: कटु।
Chemical constituents :-
कनेर (Kaner) के बीज और मूल में थिवीटीन, थिविफोलिन, थिवीसीड बिता- अम्योरिन, Neriodorein, Karabin, Scopoletin पाया जाता है।
इसके आक्षीर में केओकौक (Caochouc) पाया जाता है।
Comparative review Guna :-
Guna | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
तिक्त कषाय कटु | * | * | ||||
उष्ण | * | * | * | * | ||
कटु तिक्त | * | |||||
तिक्त कषाय | * | |||||
लघु | * | * |
Gunn Rakt | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव |
कटु | * | ||||
तीक्ष्ण | * | ||||
कटु विपाक | * | ||||
उष्ण | * |
आयुर्वेदीय गुण- कर्म और प्रभाव / Therapeutic Uses:-
- शिरोवेदना= कनेर(Kaner) के पुष्प तथा आंवले को कांजी में पीसकर मस्तक पर लेप करने से शिरशूल का नाश होता है।
- पालित्य= करवीर तथा दुग्धिका को कूटकर, दुग्ध से मिश्रित कर सिर पर लेप करने से पालित्य में लाभ होता है।
- इन्द्रलुप्त= इसके स्वरस को सिर में लगाने से इंद्रलुप्त में लाभ होता है।
- नेत्र रोग= पीले कनेर की जड़ को सौंफ और करंज के रस के साथ पीसकर आँख में लगाने से नजला, पलङकों का मोटापन,जाला आदि रोगो में लाभ होता है।
- मुख रोग= सफेद कनेर की डाली से दातुन करने से हिलते हुए दन्त मजबूत और दंतशूल का नाश होता है।
- हृदय रोग=100- 200 mg कनेर मूल की छाल भोजन के पश्चात सेवन करने से हृदय शूल का शमन होता है।
- उपदंश=सफेद कनेर की जड़ को पानी के साथ पीसकर उपदंश के घावों पर लगाने से लाभ होता है।
- अष्टिसम्बन्धी रोग=इसके पत्तों को पीसकर तैल में मिलाकर लेप करने से जोड़ों की पीड़ा का शमन होता है।
- त्वचा रोग =
- दाद= सफेद कनेर(Kaner) की मूल-छाल को तेल में पकाकर, छानकर लगाने से दाद, कुष्ट में लाभ होता है।पीले कनेर के पत्तों या फूलों को जैतून तेल में मिलाकर, मलहम बनाकर लगाने से हर प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
- उबटन=सफ़ेद कनेर के फूलो को पीसकर चेहरे पर मलने से चेहरे की कांत्ति बढ़ती है।
- विष चिकित्सा=50 mg कनेर की जड़ के महिन् चूर्ण को दूध के साथ कुछ हफ्ते तक दिन में दो बार खिलाते रहने से अफीम की आदत छूट जाती है।
- सर्पदंश=125 -250mg की मात्रा में या एक-दो करवीर के पत्र को थोड़े- थोड़े अंतर पर देते है, जिसके कारण वमन होकर विष उतर जाता है।
Comparative review Karma :-
Karma | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
व्रण लघुता कारक | * | |||||
नेत्र रोग | * | * | ||||
कुष्ठ | * | * | * | * | ||
व्रण | * | * | * | * | ||
कृमि | * | * | * | |||
खुजली | * | * | * | * | * | * |
खाने में विष | * | * | * | |||
ज्वर | * | |||||
विष विकार | * | |||||
विस्फोट | * | |||||
अश्व मारक | * | |||||
विष युक्त | * |
Raktadi Karm | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव |
चर्म रोग | * | ||||
विशोधक | * | ||||
वण्र | * | ||||
कण्डू | * | * | |||
विष विकार | * | ||||
नेत्र रोग | * | ||||
विष | * | ||||
खाने में विष | * |