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कपास ( Kapas)-Gossypium herbaceum Comparitive review

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Botanical name:- Gossypium herbaceum
Syn:- Gossypium album
Family name :- Malvaceae
Vernacular names :

Sanskrit name :- कार्पास, तुण्डकेशि
Hindi name:- कपास ,रूई, बिनौला।
Kannad:- hatti हत्ती
Udiya :- karpaso
Punjabi :- रुई

Comparative review name:-
Nameभाव प्रकाशमदनपालकैदेव
कार्पासी**
तुण्डकेशी*
सुमद्रान्ता*
कपास***
आच्छादनफला*
ग्राहमा*
वेग्ना*
पटदा*
बंधफला*
भद्रा*
कार्पासिका*
तूल*
पिचव्य*
बादर*
पिचु*
पटशूल*
कापसि*
छादवनी*
नंदनवन*
Classical Mentions :-

Bhavparkash :- कर्पूरादि वर्ग
Kaidev :- औषधि वर्ग
Madanpal :- अभयादि वर्ग

kapas flower
External morphology :-

It is a herb with 0.60 -2.5 cm high .(झाड़ीदार)
Leaves- its leaves likse hand’s palm but smaller in size, divided in to 3- 7 parts. Stem : thick,smooth ,strong ,hairy with branches.
Flowers: घंटाकर (like bell’s shape),yellow colour ,in middle purple colour flowers.
Fruit: rounded in shape , green in colour,
Seeds: inside every fruit 5to 7 seeds are surrounded with cotton.black to red browinsh colour seeds.Rounded in shape .
◆इसका पुष्पकाल और फलकाल शीतकाल से ग्रीष्मकाल तक होता है।

kapas flower with cotton
Ras panchak :-

रस : कटु , कषाय (मूलत्वक)मधुर (बीज)।
गुण: लघु,तीक्ष्ण।(मूलत्वक), स्निग्द(बीज)।
वीर्य : उष्ण।
विपाक: कटु (मूलत्वक),मधुर(बीज)।

Chemical constituent:-

Seeds- sugar, Pphosphorus(P),protien, calcium, iron, vitamin A,B,C,D,E .Gossypin, alcohol,resins, oils, phenol.

kapas in fields
आयुर्वेदीय गुण-कर्म और प्रभाव:-

●कपास मधुर, उष्ण ,लघु,पित्तवर्धक,वतकफशमक,रुचिकारक। तथा तृष्णा,दाह ,व्रण ,क्षत नाशक होता है।
बीज :- मधुर उष्ण,गुरु,लघु,स्निग्ध,वातकफशमक,कफवर्धक,वृष्य होता है। ●फल:- कषाय मधुर वतलाफशमक होता है।
सार:- anti platelet aggregation प्रभाव प्रदर्शित करता है।

Comparative review Gunn:-
Gunnभाव प्रकाशमदनपालकैदेव
लघु***
उष्ण**
मधुर**
वातनाशक**
स्निग्ध***
कफ कारक***
वातनाशक (पत्ते)*
गुरु (‌बीज)*
औषधीय प्रयोग ,मात्रा एवं विधि:-

शिरो रोग:-
1.अरुंषिका:कपास से निर्मित तैल को सिट पर लगाने से अरुंषिका (रुसी)नष्ट हो जाती है।
2.कपास की मोंगी को पीसकर मशतक पर लेप करने से मश्तक पीड़ा का शमन होता है।
नेत्र रोग:- कपास के पत्तों को पीसकर दही में मिलाकर नेत्र के बाहर लगाने से नेत्र रोग शमन होता है।
कर्ण रोग :-जमुंपत्र स्वरस,आम पत्रस्वरस ,कपित्थ तथा कपास फल स्वरस को सामान मात्र में लेकर मधु मिलाकर 1-2 बूंद कान में डालने से बहना बन्द हो जाता है।
अग्निमाद्यः:- 2-4ग्राम चूर्ण कआपस पुष्प चूर्ण मइ शाहद मिलाकर सेवन करने से जठराग्नि दीप्त होती है।
शोथ :- रुई ,कपास का मूल से निर्मित भस्म कओ लगाने से सूजन में लाभ होता है।

Comparative review karm :-
Karmभाव प्रकाशमदनपालकैदेव
रक्तवर्धक*
मूत्रवर्धक**
कान फुनसी*
कर्णनाद**
कान‌ से पीब आना*
वृष्य***
दुगंधनाशक**
रक्तशोधक*
कर्ण पिडिका*
स्तन्यजनक*
Part used :- मूल,मूल त्वक्,कांडत्वक, पत्र,बीज,पुष्प।
Dose:– चूर्ण 3-6ग्राम ,क्वाथ ;20-50ml ,तैल 10 – 25 ml

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