रोग | कारण | लक्षण | साध्यता |
वात कुण्डलिका | रूक्षता व मूत्र के वेग को रोकने के कारण वात दोष बस्ति में मूत्र के साथ मिलकर कुण्डलाकार होकर घूमता है | मूत्र थोड़ा थोड़ा पीड़ा के साथ निकलता है | साध्य |
वात अष्ठीला | कुपित हुए वात दोष गुद व वस्ति प्रदेश को रोक कर आधमन उत्पन्न कर, पत्थर के समान ग्रन्थि उत्पन्न कर देता है | मल व मूत्र दोनों मार्गो को रोक देता है | साध्य |
वात वस्ति | मूत्र के वेग को रोकने के कारण तो मूत्राशय के मुख को वात दोष रोक देता है | वस्ति व उदर में पीड़ा होती है | कष्ट साध्य |
वात मूत्रातीत | बहुत समय तक मूत्र के वेग को रोकने के बाद जब मूत्र त्याग करता है तो वह वेग के साथ नहीं निकलता | मूत्र धीरे धीरे निकलता है | |
वात मूत्र जठर | मूत्र के वेग के रुक जाने के कारण, कुपित होकर आपन वायु पेट को अत्यधिक फुला देता है | नाभि के नीचे अत्यन्त पीड़ा, वस्ती मुख में रुकावट | |
वात मूत्रोत्संग | मूत्रमार्ग अथवा लिंग में आए मूत्र को रोकने के कारण, फिर जोर लगाने पर मूत्र के साथ रक्त आता है | रक्त के साथ पीड़ा रहित धीरे धीरे मूत्र का आना | |
मूत्र क्षय | रुक्ष व थके हुए पुरुष की बस्ति में स्थित पित्त व वात दोष मूत्र का क्षय कर देते है | | |
मूत्र ग्रन्थि | वस्ति मुख के भीतर गोलाकार गांठ हो जाना | अश्मरी के सामन पीड़ा | |
मूत्र शुक्र रोग | मूत्र वेग को रोक कर जब मानव मैथुन कर्म करे | मूत्र के पीछे शुक्र का आना, मूत्र का सफेद रंग का होना | |
उष्ण वात | अधिक व्यायाम करने से, अधिक चलने से, धूप लेने से वात व पित्त दोष लिंग व गुद में दाह करते है | मूत्र हल्दी के रंग का, मूत्र में रक्त आना, लिंग व गुद में दाह | |
मूत्र साद | पित्त व कफ दोष वात के साथ मिलकर | पीला, सफेद गदा व जलन के साथ मूत्र त्याग, सुख जाने पर पीला पदार्थ का मिलना | |
विड विघात | रूखे व दुर्बल मनुष्य की मल धातु वात दोष के कारण मूत्र में चले जाना | मल युक्त मूत्र, अत्यन्त पीड़ा | |
वात वस्ति कुण्डल | जल्दी जल्दी चलने से, कूदने से, चोट लगने से बस्ती अपने स्थान से हठ कर गर्भ के समान भारी होकर, शूल, स्पर्दन, दाह होती है | विष के सामन हानिकारक, मूत्र की धारा निकलती है, ऐठन के समान पीड़ा | कफ दोष के कारण मुख रुके या पित्त दोष अत्यधिक बढ़ जाए तो आसाध्य, मूत्र मार्ग पूर्णता रुका न हो या मुडा न हो तो साध्य |
One reply on “Mutraghat Nidan ( मुत्रघात निदान ) : उत्पत्ति,भेद”
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