बालक के जन्म के पश्चात पहले 24 घंटे में यदि प्रसूता में
500 मि. ली. से अधिक रक्त स्त्राव हो जाए जिससे उसकी
हालत गम्भीर रूप धारण कर ले तो उसे प्रसवोत्तर रक्तस्राव
की संज्ञा दी जाती है।
इसके दो प्रधान कारण निम्न हैं-
1. प्रसवकाल के उपस्थित होने पर भी प्रजनन पथ के प्रर्याप्त रूप में विस्तीर्ण न होने के कारण बालक के जन्म के साथ सम्बद्ध अंगों की विदीण हो जाना।
2. अपरा को जबरदस्ती निकालने की कोशिश करना या उसके निकलते समय कुछ अंश का अन्दर ही रह जाना।
उपचार
प्रसूता को तत्काल कोई गर्भ संकोचक औषधि नहीं देनी चाहिए। यदि अपरा का कोई अंश भीतर रह गया है तो शीघ्र अतिशीघ्र बाहर निकालने का प्रयास करना चाहिए।
Pulse rate, temperature और रक्तस्राव की मात्रा का निरंतर ध्यान रखना चाहिए।
Blood transfusion may be required.
Clinical definition of Postpartum Haemorrhage
Any amount of bleeding from or into the genital tract following the birth of baby upto the end of puerperium which adversely affect the condition of patient
evidenced by rise in pulse rate and falling
blood pressure.
◾Causes-
- Atonic uterus
- Traumatic Uterus
- Retained tissues
- Blood coagulopathy
- Some drugs
Management of third stage bleeding
Principles-
- To empty uterus
- To replace the blood
- To ensure effective haemostasis
Steps of Management-
◾Placental site bleeding-
- To palpate the fundus and massage Uterus.
- To start crystalloid solution
- To give oxytocin
- To catheterise bladder
- To give any antibiotics
◾ Management of traumatic bleeding
Uterovaginal canal is to be explored under general anaesthesia after the placenta is expelled and haemostatic sutures are placed on the offending sites.
Secondary Postpartum Haemorrhage
प्रसव के 24 घंटे बाद से लेकर प्रसूति काल के अंत तक स्त्री के अपत्यपथ से होने वाला रक्तस्राव ।
◾कारण –
- गर्भाशय में रुका हुआ अपरा का कुछ अंश
- संक्रमण
◾उपचार –
- Ergometrine meleate (0.5mg)
- Blood transfusion
- Some antibiotic
◾Diagnosis- USG