Categories
Plants

Rudraksha / रुद्राक्ष (Elencarpun vermis) : Benefits, Uses

Botanical name = Elencarpun vermis Family = Elaeocarpaceae

Vernicular Names:-

  • संस्कृत – रुद्राक्षम्, भूत नाशनम्, शिवाक्षम्, शर्वाक्षम, पावनम्, नीलकंठाक्षम, शिवप्रिया:
  • हिन्दी – रुद्राक, रुद्राक्ष, रुद्राकी
  • English name – Utrasum bead tree of India, India oil fruit
  • उड़िया – रुद्राख्यां
  • कन्नड – रुद्राक्ष
  • गुजराती – रुद्राक्ष
  • तमिल – रुद्राकाई
  • तेलुगु – रुद्राक्ष
  • बंगाली – रुद्राक्याा
  • नेपाली – रुद्राक्ष्या
  • मलयालम – कट्टाकरा, मलांकर
  • मराठी – रूद्राक्ष

Classical Mentions:

  • राज निघण्टु : आम्रादि वर्ग
  • पर्याय: सद्राक्ष, शिवाक्ष, भूतनाशम, शर्वाक्ष, पावन, नीलकण्ठाक्ष, हराक्ष, शिवप्रिय।
  • गुण: अम्ल, उष्ण, वातनाशक, कफहर।
  • कर्म: शिरःशूल, रुच्य, भूतबाधा, ग्रहबाधा नाशक, विष विकार।

परिचय / Introduction:-

विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष (Rudraksha) की माला धारण करने से मनुष्य-शरीर के प्राण-तत्वों का नियमन होता है और कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है। इसकी माला को पहनने से हृदय विकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है।

प्राप्ति स्थान / Habitat:-

विश्व में नेपाल, म्यांमार, इंग्लैण्ड, बांग्लादेश एवं मलेशिया में पाया जाता है। भारत में यह मुख्यत: बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, आसाम एवं महाराष्ट्र में पाया जाता है।

Rudraksha

External Morphology:-

  • It is a tall, medium-sized tree up to 18-20 m.
  • Its outer surface has greyish color.
  • Leaves are almost rectangular, simple, long, smooth and at the end of branches. Leaves measures 12.5-15 cm. long and 5 cm. in width.
  • Its flowers are white in colour where some varieties have pink colour as well. Its seeds are called Rudraksh or Rudraksha.
  • The fruits are spherical, 1.3–2 cm. diameter are purple in color and green in raw condition.
  • Its Floral period lasts from February to June.
Rudraksha

Chemical Constituents:-

Its leaves contains Piliocarpin, Isopiliocarpine, Rudracin base, Palmitic acid, Isopoietic acid and Linoleic acid.

आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव:-

  • गुण – गुरु, स्निग्ध
  • रस – मधुर
  • विपाक – मधुर
  • वीर्य – शीत
  • प्रभाव – यह मनोविकार, रक्तभार, अपस्मार, उन्माद, मसूरिका (Measles), यकृत रोग व ज्वर नाशक होता है।इसके फल अम्ल, उष्ण, कफवातशामक तथा रुचिकारक होते हैं। इसके बीज पापशामक तथा स्वास्थ्य संरक्षक होते हैं।
Rudraksha seeds

प्रयोज्यांग/ Part used:-

फल

मात्रा / Dosage:-

  • चिकित्सक के परामर्शानुसार।
  • बीजों की आकृति व स्वरूप के आधार पर तथा उत्पत्ति भेद से इसकी कई प्रजातियां है। पर मुख्यतया रुद्राक्ष (Rudraksha) के रूप में Elaeocarpus serratus का प्रयोग किया जाता है।

औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं विधि / Therapeutic Uses:-

  1. शिरोरोग – रुद्राक्ष बीज-चूर्ण का प्रयोग मस्तिष्क दौर्बाल्य तथा शिरो रोग की चिकित्सा में किया जाता हैं।
  2. रक्तभाराधिक्य – रुद्राक्ष (Rudraksha) शरीर से स्पर्श रक्तभाराधिक्य आदि ह्रदय-रोग को नियन्त्रित रखता है।
  3. मसूरिका – गोदुग्ध के साथ रुद्राक्ष को पीसकर, सेवन करने से मसूरिका का शमन होता है।
  4. पित्तज-विकार – रुद्राक्ष को दूध में घिसकर पिलाने से पित्तज विकारों में लाभ होता हैं।
  5. मानसविकार – रुद्राक्ष-फल के गूदे का प्रयोग अपस्मार (मिरगी) में हितकर है।
  6. रुद्राक्ष का प्रयोग अपतंत्रक, अनिद्रा तथा आक्षेप (दौरे) की चिकित्सा में किया जाता हैं।
  7. दाह – रुद्राक्ष के फलों को पीसकर लगाने से दाह (जलन) का शमन होता है।

Leave a Reply