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शिरीष (Shirish)- Albizia lebbeck Comparitive Review

वैज्ञानिक नाम – Albizia lebbeck
कुलनाम – Mimosaceae

अंग्रेजी नाम – Siris tree
पंजाबी – सरीह, सिरस
तेलगु – दिरसेनमु, दिरासना
मराठी – शेवगा, शेगटा

Comparative review name:-
Nameभाव प्रकाशDhanvantriमदनपालराज कैदेवचंदु
शिरीष******
भण्डिल***
भण्डी***
कपीतन***
शुकपुष्प****
शड्खिनीफल*
शुक्रप्रिय***
श्यामवर्ण*
शीतपुष्प*
मण्डिक***
मृदुपुष्पक*
शुकेष्ट*
बहिपुष्प**
विषहन्ता*
सपुष्पक*
उछानक*
मधुपुष्प**
वृत्तपुष्प**
विप्र*
शुकाभपुष्प*
विषहर*
शिखिनीफल**
शुकवृक्ष**
shirish
External Morphology : –

मध्यम आकार वृष
शाखाएं – चारों ओर फैली हुई
कांड त्वक – भूरे रंग की खुरदरी विदीर्ण, बाह्य स्तर पर लंबे – लंबे चप्पड़ो से युक्त
अंतर छाल – रक्त, कड़ी व खुरदरी केन्द्र में सफेद रंग की
पत्र – द्विधा पक्षवत, इमली के पत्तों जैसे परंतु उनसे कुछ बड़े
पुष्प – अवृन्त तथा पीताभ श्वेत चंवर जैसे सुगन्धित
शिम्बी – 4-5 इंच लंबी चपटी, पतली
बीज – 6-22 तक
वर्षा काल में पुष्प और शरद काल में फल लगते हैं।

Chemical constituents

It’s bark contains saponin, tanin and resins.

गुण – धर्म

शिरीष त्रिदोष शामक, वेदनास्थापक, वर्ण्या, विष घन, शिरोविरेचन तथा चक्षुष्य है। यह स्तंभन, विसर्पघ्न, कासघ्न, वृष्य, कुष्ठघ्न और विषघ्न है। यह प्रमेह, पांडु रोगनाशक, कफ और मेद का शोधक है।

Comparative review Gunn:-
Nameभाव प्रकाशDhanvantriमदनपालराज कैदेवचंदु
मधचर तिक्त कषाय*
उष्ण***
लघु***
वातशामक***
तिक्त*
त्रिदोषशामक*
कटु*
शीत***
कफपित्तनाशक*
रूक्ष*
मधुर*
औषधीय प्रयोग –

मूर्च्छा – शिरीष के बीज और काली मिर्च समान भाग लेकर बकरी के मूत्र के साथ पीसकर आंख में  अंजन करने से सन्निपात मूर्च्छा मिटती है।
उन्माद – शिरीष के बीज और करंज के बीजों को पीसकर लेप करने से उन्माद, अपस्मार और नेत्र रोग मिटते है।
नेत्र विकार – शिरीष के पत्तों के रस का अंजन करने से नेत्र पीड़ा मिटती है।
2. शिरीष के पत्तों के रस में कपड़ा भिगोकर  सुखा लें। 3 बार भिगोकर सुखा लें। फिर इस कपड़े की बत्ती बनाकर चमेली के तेल में बना काजल बना लें।  इस काजल के प्रयोग से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
कर्ण पीड़ा – शिरीष के पत्ते और आम के पत्तों के रस को गुनगुना कर कान में टपकाने से पीड़ा मिटती है।
दंत रोग – शिरीष मूल की क्वाथ का गंडूष करने से तथा मूल त्वक चूर्ण से मंजन करने से मसूड़ों का रोग मिटता है और दांत मजबूत होते है।
गंडमाला – शिरीष के 6 ग्राम बीजों को पीसकर सुबह शाम फंकी लेने से गंडमाला की पेशियों की सूजन मिटती है। बीजों को पीसकर लेप करने से भी गंडमाला की सूजन उतरती है।
खांसी – पीले शिरीष के पत्तों को घी में भूनकर दिन में 3 बार देने से खांसी मिटती है।
अतिसार – शिरीष के बीजों के चूर्ण की फंकी दिन में 3 बार देने से अतिसार मिटता है।
जलोदर – शिरीष की छाल का क्वाथ पिलाने से जलोदर की सूजन उतरती है।
मूत्र विकार – शिरीष के 10 ग्राम पत्तों को घोट – छानकर, मिश्री मिलाकर सुबह शाम पीने से मूत्र कृच्छ मिटता है।
अर्श – 1. शिरीष तेल का लेप करने से अर्श मिटता है।
2. 6 ग्राम शिरीष के बीज और 3 ग्राम कलियारी की जड़ को पानी से पीसकर लेप करने से अर्श मिटता है।
3. कली यारी की जड़, दंती मूल और चीता समान भाग लेकर  पीसकर लेप करने से अर्श का नाश होता है।
चर्म रोग – 1. कृमि, कुष्ठ आदि चर्म रोग तथा दुष्ट व्रणों में शिरीष का तेल लगाने से लाभ होता है।
2. शिरीष के पत्तों की पुल्टिस बनाकर फोड़े फुंसियों और सूजन के ऊपर बांधने से लाभ होता है।
3. शिरीष के बीज अर्बुद और गांठ को दबाते हैं।
व्रण – शिरीष की छाल, रसांजान और हरड़ का चूर्ण छिड़कें या मधु मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
विस्फोटक – शिरीष की छाल, जटामांसी, हल्दी, और कमल सम भाग ठंडे जल में पीसकर लेप करने से विस्फोटक नष्ट होते हैं।
विष विकार – 1. शिरीष की छाल, मूल छाल, बीज और फूलों के चूर्ण को गोमूत्र के साथ दिन में 3 बार पिलाने से सब प्रकार के विष विकार में लाभ होता है।
2. शिरीष की जड़, छाल, पत्र, पुष्प, और बीजों को गौमूत्र में पीसकर लेप करने से  सब प्रकार के विष विकार नष्ट होते है।
मंडूक विष – शिरीष के बीजों को थुहर के दूध में पीसकर लेप करने से मंडूर के दंश का विष नष्ट होता है।
कीट दंश – शिरीष के पुष्पों को पीसकर विषैले जीवों के दंश पर लेप करने से लाभ होता है।
शक्ति वर्धक – इसकी छाल का चूर्ण 1-3 ग्राम तक घी के साथ मिलाकर सुबह शाम खाने से शक्ति बढ़ती है।

Comparative review Karm:-
Nameभाव प्रकाशDhanvantriमदनपालराज कैदेवचंदु
शोथ***
विसर्प****
कास***
व्रण**
विष******
कुष्ठ**
कण्डू**
श्वास*
त्वचा रोग*
रक्त विकार*
पामा*
विष‌‌ व्रण*
वर्णय*

4 replies on “शिरीष (Shirish)- Albizia lebbeck Comparitive Review”

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