निदान :-
- प्रसूता स्त्रियों के स्नेहपान
- साठी चावल व मछली खाने से
- अधिक भोजन करने से
- विरूद्ध भोजन
- अजीर्ण भोजन करने से
आक्रांत का समय :-
अष्टांग संग्रह में 6 ठी रात को बालक की रक्षा विशेष रूप से करने को कहा है, बलि देकर रात्रि को बंधु बांधवों के साथ मिलकर जागरण करना चाहिए। इसी कारण से 6 टी रात बनने की प्रथा चल रही है।
ग्रह का दूध पर प्रभाव :-
दूध का षष्ठी ग्रह से दूषित होने पर त्रिदोष जन्य लक्षण मिलते है।
लक्षण :-
इस ग्रह से आसाध्य अनुषङ्गी रोग होता है।
चिकित्सा :-
- मित आहार का सेवन करना
- तपस्य करना
- भगवान शिव व स्कन्द को संतुष्ट करना
- भोजन पचने पर ही भोजन का सेवन करना
- पंचकर्म
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