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Kumar Bhritya

Skand Apasmar Graha | स्कन्द अपस्मार ग्रह : Bal Graha

स्वरूप :-

  • स्कन्द का मित्र
  • विकृत आनन वाला
  • विशाखा नाम से जाना जाता है

पर्याय :-

  • विशाख

उत्पति :-

इनकी उत्पति भगवान अग्नि के द्वारा किया गया था।

लक्षण :-

  • बार बार संज्ञा नाश होता रहता है
    • होश में आने पर अति रोधन
  • हलचल युक्त हाथ – पैर को नाचता है
  • अव्यक्त शब्द के साथ मूत्र करता है
  • उबासी लेते वक्त मुख से फेन आता है
  • केश व ग्रीवा झुका कर रखता है
  • अंग मोड़ते वक्त व उबासी लेते वक्त मल – मूत्र की इश्चा होती है
  • अपनी जिह्वा को काटना
  • ज्वर
  • निद्रा नाश
  • शरीर में पुय व रक्त की गंध आना

अरिष्ट लक्षण :-

  • स्वपन में माता लाल पुष्प व वस्त्र धारण करके व शरीर पर रक्त चंदन का लेप करके भूतो के साथ नृत्य करे।

चिकित्सा :-

  • श्रीफल, सिरस, सफेद ढूप व सुरसा आदि गण के काढ़े से परिषचन
  • मूत्र अष्टक से सिद्ध तैल से मालिश।
  • बच व हींग का लेप
  • काकोल्यादि घृत दुध के साथ
  • जबासा, सेमर, कुंदरु, करंज को गले में बांधना चाहिए
  • कच्चे व पकाए हुए मांस, मदिरा, रक्त, दूध, मूंग, भात की बड के पेड़ के नीचे बलि देनी चाहिए।
  • चोहराए पर स्नान करवये और निम्न मंत्र पढ़े :-
    • स्कन्दापस्मारसंज्ञो यः स्कन्दस्य दयितः सखा । विशाखः स शिशोरस्य शिवायास्तु शुभाननः ॥
    • स्कन्द अपस्मार नामक बालग्रह, जो स्कन्द का प्रिय सखा है और जिसे विशाख भी कहते है, तथा जो सुन्दर मुख वाला है, वह इस बालक की रक्षा करे।।

It can be correlated with epilepsy in allopathy.

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