Categories
Ras Shastra

Swarjika kshara | स्वर्जिकाक्षार : Medicinal Properties, Uses

Name:-

  • संस्कृत – स्वर्जिकाक्षारः
  • हिन्दी – सज्जीक्षार

पर्याय:-

  • ref.:( र.त. 13/42-44)
  • स्वर्जि
  • स्वर्जी
  • स्वर्जिका
  • सर्जि
  • सर्जिका
  • रूचक
  • कपोत
  • सौवर्चल
  • सुखवर्च

परिचय:-

पंजाब एवं सिन्ध प्रान्त में लाना नमक क्षारयुक्त वनस्पति को जलाकर सज्जीक्षार (Swarjika kshara) बनाया जाता है।

निर्माण:-

  • Ref: ( र .त.13/45-47)
  • छोटी दुरालभा के पञ्चाङ्ग को ➡धूप में सुखाने के बाद जलाकर राख बना दें
  • इस राख को स्वच्छ पात्र में 8 गुने जल में घोलकर थोड़ी देर रखें
  • ऊपर का स्वच्छ जल निथार कर गाढ़े वस्त्र से 7-8 बार छानकर ➡ एक स्वच्छ पात्र में अग्नि पर चढ़ाकर जल सुखाएं
  • जब गाढ़ा हो जाए तब अग्नि से उतार कर सुखाकर रख लें
  • श्वेतवर्ण का स्वर्जिकाक्षार (Swarjika kshara) प्राप्त हो जाता है।

मात्रा:-

3-12 रत्ती।

अनुपान:-

मधु, दूध ,जल

गुण:-

  • रस – कटु
  • गुण – तीक्ष्ण,रुक्ष, लघु
  • वीर्य – उष्ण
  • पाचक, दीपन
  • श्वास, कास, गुल्म, आध्मान, उदररोग, कृमिरोग, वायु का प्रकोप नाश करने वाला होता है।

Leave a Reply