निरुक्ति:- धातु स्निह् + घञ् प्रत्यय (suffix) = ‘स्नेह’ शब्द गुण:- गुरु शीत सर स्निग्ध मन्द सूक्ष्म मृदु द्रव (अ.सं. सू.25/4) स्नेह योनि:- स्थावर जङ्गम ( च. सू .13/9 -11) स्थावर स्नेह योनि= जो स्नेह पौधों तथा प्राकृतिक जमीन से मिले हों, जैसे – तिल चिरौंजी विभीतकी हरीतकी सरसों बिल्व मूली अलसी पिस्ता रक्त एरण्ड […]