आहार ही प्राण है ऐसा वर्णन हमारे उपनिषद् में मिलता है परन्तु अजीर्ण जब उत्पन्न होता है जब भोजन को मात्रा में नहीं किया जाए तो अजीर्ण का कारण होता है, ऐसा ही माधव निदान में वर्णन मिलता है और कहा गया है :- अनात्म वंत: पशुवद् भुञ्जते येऽप्रमाणत:। रोगानीकस्य ते मूलम जीर्णं प्राप्नुवन्ति हि।। […]