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Vaatadi Dosho ke Bhed ( वातादि दोषो के भेद ) With Trick To Learn

आचार्य चरक ने केवल वात के भेदों का वर्णन किया था परंतु आचार्य भेल ने वात के साथ साथ पित्त के भी भेदों का वर्णन किया है परंतु वह वर्णन आजकल के पित्त के वर्णन से बिल्कुल अलग है। आचार्य सुश्रुत ने वात व पित्त दोनों के भेदों का वर्णन किया है व आचार्य वागभट्ट […]

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Vatadi dosha Ke Sthan / वातादि दोषों के स्थान

वात के स्थान (vaat ke sthan):- वस्तिः पुरीषाधानं कटिः, सक्थिनी पादावस्थीनि च वातस्थानानि।तत्रापि पक्वाशयो विशेषेण वातस्थानम्।।(च० सू० 20/7)तत्र समासेन वातः श्रोणि गुड संश्रयः ।।( Su. Sa. Su 21/7)पक्वाशयः कटिसक्यिश्रोत्रास्थिस्पर्शनेन्द्रियम्।स्थानं वातस्य, तत्रापि पक्वाधान विशेषतः ।।(As. Hr. Su. 12/1) चरक संहिता सुश्रुत संहिता अष्टांग हृदय वस्ति गुद पक्वाशय पुरिषाधान श्रोणि कटि कटि(pelvic region) – सक्थि सक्थिनी(जँघा) – […]