तष्णादाहज्वरश्वासरक्तपित्तक्षतक्षयान्। वातपित्तमुदावर्त स्वरभेदं मदात्ययम् ।। १२५ ।।तिक्तास्यतामास्यशोषं कासं चाशु व्यपोहति। मट्टीका वाणी वृष्या मधुरा स्निग्ध शीतला || फल रस/गुण/कर्म 1.मुनक्का प्यास, दाह, ज्वर, श्वास, रक्तपित्त, उर क्षत, राजयक्ष्मा, वातविकार, पित्तविकार, दावत, स्वरभेद, मदात्यय, मुख का तीता होना, मुख का सूखना और खाँसी को शीघ्र दूर करता है।बबण, वीर्यवर्धक, रस में मधुर, स्निग्ध और शीतवीर्य होता […]
Categories