किसी औषध-योग को बनाते समय उसमें पड़ने वाले किसी द्रव्य के न मिलने पर उसके स्थान पर उसके समान गुण-धर्मवाले या मिलते-जुलते गुण-धर्मवाले अन्य द्रव्य का उपयोग किया जाता है, इसे अभाव प्रतिनिधि द्रव्य कहा जाता है (substitute) ऐसा विधान आयुर्वेद शास्त्र के अनेक ग्रन्थों में वर्णित है। इसके संदर्भ में आचार्य भाव प्रकाश ने […]