औटाये हुआ जल :- धीरे – धीरे औटाते हुए फेन रहित एवं निर्मल होने पर उसे क्वाथित या औटाया हुआ समक्षे । यह दोषों को दूर करने वाला, लघु, पाचक, वात – कफ ज्वर संबंधित ज्वर रोगी के हितकर होता है। ( भावप्रकाश संहिता ) यह अग्नि दीपक, जमे हुए कफ को खण्ड- खण्ड करने […]
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