- उपरत्न वर्ग के पाषाणों में – रत्न की अपेक्षा काठिन्य, चमक और पारदर्शकता कम होती है।
- इसलिए इन्हें उपरत्न (Upratn) कहा जाता है।
- मूल्य भी कम होता है।
संख्या :-
आनन्दकन्दकार | 9 उपरत्न माने |
आयुर्वेदप्रकाश | 15 |
बृहद् योगतरंगिणीकार | 4 |
रसतरंगिणीकार | 6 |
प्रचलित परम्परा अनुसार रसतरंगिणीकार का मत अधिक प्रचलित है-
We have to read 10 Upratn (Semi Precious stones), according to Syllabus that is given by Indian Medical Council, New Delhi –
- वैक्रान्त
- सूर्यकान्त
- चन्द्रकान्त
- राजावर्त
- पैरोजक
- स्फटिक
- तृणकान्त
- पालक
- रुधिरपुत्तिका
- काँच
वैक्रान्त :-
- हीरक के स्थान पर प्रयुक्त होने के कारण इसे रत्न वर्ग में सम्मिलित किया गया है।
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4 replies on “Upratn ( उपरत्न ) : Semi Precious Gemstones”
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