Botanical Name : Pueraria tuberosa Family Name : Fabaceae
पर्याय :-
हिंदी– विदारीकन्द, बिलाईकंद, सुराल, पतालकोहड़ा तेलगु– दरिगुम्मडि बंगाली– शीमिया मराठी– बेदंरिया, बेल, बींदरी
Classical Mentions :-
Charak :-बल्य, बृंहणीय, वणर्य, कण्ठय, स्नेहोपग, मधुरस्कंध
Shusrut :- विदारिगंधादि, वल्ली पंचमूल
Vaghbhat :- विदार्यादि वर्ग
Bhavparkash :- कर्पूरादि वर्ग (2 भेद)
Dhanvantri :- गुडुचयादि वर्ग
Raj :- मूलकादि वर्ग
Chandu :- विदार्यादि वर्ग (2 भेद)
Kaidev :- औषधि वर्ग (2 भेद)
Madanpal :- अभयादि वर्ग (2 भेद)
Comparative review name :-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
विदारी | * | * | * | * | * | * |
स्वादुकंदा | * | * | * | * | * | * |
क्रोष्टी | * | |||||
सिता | * | * | ||||
इशुगंधा | * | |||||
पयस्विनी | * | |||||
विदारिका | * | * | ||||
कूष्माण्डकी | * | |||||
कंदवल्ली | * | * | ||||
वृक्षकंदा | * | * | ||||
पलाशिका | * | * | ||||
गजवाजिप्रिया | * | |||||
वृक्षवल्ली | * | * | ||||
विडालिका | * | * | ||||
कंदपलाश | * | |||||
श्रेष्ठकंदक | * | |||||
श्र्ंगालिको | * | |||||
वृष्यपर्णी | * | |||||
मृगोली | * | |||||
कृष्णवल्लिका | * | |||||
वृष्यकंदा | * | * | * | |||
वृष्या | * | |||||
विपारिका | * | |||||
शुक्ला | * | * | ||||
श्रृगालिका | * | * | * | |||
विडाली | * | |||||
तृष्यवल्लिका | * | |||||
भूकूष्माण्डी | * | |||||
स्वादुलता | * | |||||
गजेष्टा | * | |||||
वारिवल्लभा | * | |||||
केदफला | * | |||||
वृष्यवल्ली | * | |||||
विदालिका | * | |||||
पलाशका | * |
अन्य जाती :-
Name | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
क्षीरवल्ली | * | |||||
क्षीरशुकला | * | |||||
इक्षुविदारी | * | * | ||||
क्षीरविदारी | * | * | ||||
शुक्ला | * | |||||
क्षीरशुक्ला | * | * | * | |||
क्षीरकंदा | * | * | * | |||
इशुपणी | * | |||||
इशुकंदा | * | |||||
इक्षुवल्ली | * | * | ||||
महाश्वेता | * | |||||
इशुगंधिका | * | * | ||||
पयस्विनी | * | * | ||||
महाश्वेत | * |
बाह्य स्वरूप :-
विदारीकंद (Vidarikand) की चक्रारोही सुविस्तृत लताएं होती हैं। कांड – मोटा तथा छिद्रल। पत्तियां – पलाश की तरह त्रिपत्रक। पत्र – 4-5 इंच लंबे, 3-4 इंच चौड़े व अग्रभाग पर नुकीले। पुष्प – नीले या बैंगनी रंग के (नवंबर – दिसंबर)। कलियां – 2-3 इंच लंबी और रोमश। बीज – 3-6.
Chemical constituents :-
Vidarikand contains carbohydrates, protein and resins.
गुण- कर्म :-
विदारीकन्द (Vidarikand) मधुर, स्निग्ध, शीतल, शुक्र-स्तन्य जनन, बृंहण, मूत्रल, बल्य, वाजीकर, दाह प्रशमन व रसायन है।
Comparative review Gunn :-
Gunn | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
मधुर | * | * | * | * | * | |
स्निग्ध | * | * | * | * | * | |
शीत | * | * | * | * | * | |
गुरू | * | * | * | * | * | |
वात पित्त नाशक | * | * | * | |||
मधुर ( फूल) | * | |||||
मधुर विपाक ( फूल) | * | |||||
वातपित्तनाशक ( फूल) | * | |||||
शीत ( फूल) | * | |||||
गुरू ( फूल) | * | * | ||||
कफकारक | * | * | ||||
पित्त शामक | * | * | ||||
वातशामक | * |
औषधीय प्रयोग :-
- यकृत प्लीहा वृद्धि- विदारीकन्द (Vidarikand) के 5 ग्राम चूर्ण की फंकी सुबह-शाम जल के साथ लेने से यकृत प्लीहा की वृद्धि रुक जाती है।
- रक्तशुद्धि- विदारीकन्द का शाक बनाकर खाने से रक्त शुद्ध होकर रक्त विकार दूर होते है।
- भस्मक रोग- भस्मक रोग में 250 ग्राम दूध में विदारीकन्द का रस 10 ग्राम डालकर उबालकर पिलाने से भस्मक रोग मिटता है।
- बवासीर- कंद के चूर्ण को तिल के तेल में समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। 1 चम्मच चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में 3 बार दूध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में खून आना बंद हो जाता है।
- मासिक धर्म- विदारीकन्द 1 चम्मच चूर्ण को घेर और शक्कर के साथ चटाने से मासिक धर्म में अधिक रक्त का जाना बन्द हो जाता है।
- पित्त शूल- विदारीकन्द के 10 ग्राम रस में शहद 2 चम्मच मिलाकर सुबह – शाम भूखे पेट पिलाने से पित्तशूल मिटती है।
- पुरूषार्थ- विदारीकन्द के 3 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम स्वरस में ही मिलाकर घी 5 ग्राम और मधु 10 ग्राम के साथ सुबह – शाम सेवन करने से पुरूषार्थ बढ़ता है।
• पुरूषार्थ और रसायन कार्य-
- पौष्टिक और रसायन कार्य के लिए विदारीकन्द (Vidarikand) 3-6 ग्राम तक चूर्ण को 10 ग्राम घी में मिलाकर, मिश्रण को 250 ग्राम दूध में उबाल लें तथा दूध को मिश्री में मिलाकर सेवन करने से शरीर पुष्ट होता है।
- विदारीकन्द के 1 ग्राम चूर्ण को मधु के साथ सुबह – शाम चटाने से भी बच्चो की दुर्बलता मिटती है
- विदारीकन्द के चूर्ण की 3-6 ग्राम मात्रा को उष्ण दूध के साथ फंकी लेने से बुढ़ापा जल्दी नहीं आता।
- बच्चों का शरीर पुष्ट करने के लिए विदारीकन्द के 1 ग्राम चूर्ण को मुनक्का के साथ प्रतिदिन देने से बच्चों का शरीर पुष्ट होता
Comparative review Karm :-
Karm | भाव प्रकाश | Dhanvantri | मदनपाल | राज | कैदेव | चंदु |
बृंहन | * | |||||
दुग्दवर्धक | * | * | * | * | ||
शुक्रवर्धक | * | * | * | * | ||
मूत्रकारक | * | * | * | |||
जीवनीय | * | * | ||||
बलकारक | * | * | * | * | ||
वर्णय | * | * | * | |||
रसायन | * | * | ||||
रक्तदोष | * | * | * | |||
दाह | * | * | ||||
स्वर हितकर | * | |||||
स्तन्यवर्धक | * | * | ||||
वृष्य ( फूल) | * | |||||
गर्भप्रद | * | |||||
रक्तपित्त | * | |||||
वात विकार | * | |||||
रक्त विकार | * |
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