सर्व शरीर के प्रभावित होने से इस आसन को सर्वाङ्गासन (Sarvangasana) कहा जाता है। स्थिति:- उत्तान तानासन। विधि:- पीठ के बल देना चाहिए। दोनों पैरों की एड़ी पंजे को मिलाये। धीर-धीर दोनों पैरों को जमीन से ऊपर उठाना चाहिए, हाथ कन्धे के समानान्तर सीध फेलाये। धीर-धीरे पैरों को 30 डिग्री तक उठाकर, कछ सैकण्ड इस […]
Month: June 2020
Before starting Today’s topic that is Similarities between Purush (Human) and lok (Environment), we should understand the need why this principle was considered by Ayurvedic Acharya’s?? Why should we also consider it? The main reason to deplict and elaborate this topic from Ayurvedic texts is that a person after understanding the similarities, will not harm […]
Name :- संस्कृत तार्क्ष्यम् हिन्दी पन्ना English Emerald Hardness= 7.50 Relative density= 2.71 Chemical representation= Be3 Al2 (SiO3)6 पर्याय :- मरकत तार्क्ष्य गडमणि बुधरत्न हरिद्रत्न रौहिणेय परिचय :- मरकत (Markat) हरे वर्ण का, चमक युक्त पारदर्शक और षट्कोणीय स्फटिक रूप का होता है। प्राप्ति स्थान:- Asia Kashmir, Punjab Bihar Tamil nadu Australia Types :- On […]
निरुक्ती :- अधारणीय वातदोष के वेगों को धारण करने (रोकने) से जो उसका मार्ग-परिवर्तन हो गया है अर्थात् जो प्रतिकूल मार्ग की ओर प्रवृत्त हो गया है, उसी को उदावर्त (Udavart) कहते हैं। निदान :- अपान वायु, मल, मूत्र, उबासी, आंसू, छीक, डकार, वमन, इन्द्रिय, शुक्र, भूख, प्यास, श्वास, उच्छवास क्रिया, निद्रा आदि वेगों को […]
आमरस अथवा आम धीरे-धीरे इकट्ठा होकर प्रकृति वात दोष द्वारा बांधकर, जब स्वाभाविक रूप से नहीं निकल पाता है। तो उस विकार को आनाह (Anaha) कहते हैं। भेद :- भेद लक्षण आमज बार बार प्यास लगना, जुखाम होना, सिर में जलन, आमाशय में शूल, शरीर में भारीपन, हृदय की गति शीलता में रुकावट, बार-बार डकार […]