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Sanskrit

Shabdroop | शब्दरूप – Basics of Sanskrit Grammar

◾बालक (अकारान्त पुल्लिंग)– सभी पुल्लिंग संंज्ञाओं के शब्दरूप (Shabdroop) इसी तरह बनेंगे। उदाहरण- राम, सुर, असुर, मानव, गज, क्षत्रिय, छात्र, शिष्य, विद्यालय, वृृक्ष, सूर्य, अश्व, आदि। विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा बालकः बालकौ बालकाः द्वितीया बालकम् बालकौ बालकान् तृतीया बालकेन बालकाभ्याम् बालकैः चतुर्थी बालकाय बालकाभ्याम् बालकेभ्यः पञ्चमी बालकात् बालकाभ्याम् बालकेभ्यः षष्ठी बालकस्य बालकयोः बालकानाम् सप्तमी […]

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Bhaishajya kalpana

घृत कल्पना बनाने की विधि | Procedure to make Medicated Ghee

आज हम आयुर्वेद के अनुसार घृत ( Medicated Ghee ) बनाना सीखेगें जो कि स्नेह कल्पना के अन्तर्गत आता है और यह विधि 4 चरणों में पूर्ण होती है जो कि इस प्रकार है :- सर्व प्रथम घी को आम दोष से रहित करते है, और उसके साथ औषधिक गुण ग्रहण करने के लिए तैयार […]

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Vidangaadi Guggulu | विडङ्गादि गुग्गुलु – it’s Preparation and Uses

इस गुग्गुलु में वाय विडंग व गुग्गुलु के प्रधान होने के साथ, अन्य द्रव्योट के होने की वजह से इसका नाम आचार्यों ने विडङ्गादि गुग्गुलु ( Vidangaadi Guggulu ) रखा। विडङ्गत्रिफलाव्योषचूर्ण गुग्गुलुना समम्। सर्पिषा वटिकां कुर्यात्स्वादेद्वा हितभोजनः। दुष्टवणापचीमेहकुष्टनाडीविशोधनः (आरग्वधादिवर्तिः) आरग्वधनिशाकोलचूर्णाज्यक्षोद्रसंयुता। सूत्रवर्तिर्वणे योज्या शोधनी गति नाशिनी (गुग्गुल वादिलेपः) गुग्गुलुस्त्रिफलाव्योधैः समांशैश्षान्य-योजितः। नाडीदुष्टवणं चापि जयेदपि भगन्दरम्॥ ( बसव. […]

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Gugulu

Amrita Guggulu | अमृता गुग्गुलु – it’s preparation and uses

गुडूची (अमृता) व गुग्गुलु इस योग के मुख्य द्रव्य होने से इस योग को अमृता गुग्गुलु ( Amrita guggulu ) कहा जाता है। प्रस्थमेकं गुडुच्याश्च अर्द्प्रस्थं च गुग्गुलोः । प्रत्येकं त्रिफलायास्तु तत्प्रमाणं विनिर्दिशेत । सर्वमेकत्र सङ्कट्य क्वाथयेन्नल्वणेऽम्भसि ॥ पादशेषं परिस्ाव्य कषायं प्राहयेद्धिषक् । पुनः पर्चत्कयायन्तु यावत्सान्द्रत्वमागतम् ॥ दन्तीव्योषविडङ्गानि गुडूचीत्रिफलात्वचः ततःश्चान्द्धपलं चूर्णं गृहीयाच्च प्रतिप्रति ।।कर्षन्तु त्रिवृतायाश्च […]

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Bhaishajya kalpana

Sneh Kalpana | स्नेह कल्पना : परिभाषा, विधि, भेद, मात्रा

निरुक्ति:- धातु स्निह् + घञ् प्रत्यय (suffix) = ‘स्नेह’ शब्द गुण:- गुरु शीत सर स्निग्ध मन्द सूक्ष्म मृदु द्रव (अ.सं. सू.25/4) स्नेह योनि:- स्थावर जङ्गम ( च. सू .13/9 -11) स्थावर स्नेह योनि= जो स्नेह पौधों तथा प्राकृतिक जमीन से मिले हों, जैसे – तिल चिरौंजी विभीतकी हरीतकी सरसों बिल्व मूली अलसी पिस्ता रक्त एरण्ड […]