Ever wondered what’s the use of Christmas tree? Or why do we decorate it? Why this ritual was made by our ancestors ? As you all are reading this post, the similar questions ⁉️ or one of them must have triggered your mind like mine had. So, today in this post, i will let you […]
Month: December 2020
वात, त्रिदोषों में से एक दोष है व ‘आरि’ का अर्थ होता है- शत्रु, जब इन दोनों शब्दों को मिला देते है। तो अर्थ बनता है — “वात का शत्रु”। इस योग में प्रधान रूप से गुग्गुलु होने की वज़ह से वातारि गुग्गुलु (Vatari Guggulu) नाम बना। वातारितैलसंयुक्तं गन्धकं पुरसंयुतम्। फलत्रययुतं कृत्वा पिट्टयित्वा चिरं रुजि […]
आयुर्वेद के आठ अंगों को अष्टांग आयुर्वेद (Astang Ayurved) भी कहा जाता है। कायबालग्रहोर्ध्वाङ्गशल्यदंष्ट्राज़रावृषान् । अष्टावङ्गानि तस्याहुश्चिकित्सा येषु संश्रिता ।। (अ. हृ. सू १/५) काय चिकित्सा बाल चिकित्सा ग्रह चिकित्सा / भूत विद्या ऊर्ध्वजत्रुगत चिकित्सा / शालाक्य चिकित्सा शल्य चिकित्सा दंष्ट्रा चिकित्सा/ अगद / विष चिकित्सा जरा चिकित्सा / रसायन वृष्य / वाजीकरण तस्यायुर्वेदस्याङ्गान्यष्टौ, तद्यथा-कार्यचिकित्सा, […]
स्वर्ण प्राशन (Swarn Prashan) का अर्थ है – स्वर्ण को चटाना। यह कर्म नवजात शिशु में किया जाता है। स्वर्ण को जल के साथ खूब घिसकर चटाया जाता है। स्वर्ण बल्य, जीवनीय तथा ओजोवर्धक या रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला है परन्तु केवल एक दिन इसका प्रयोग करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं […]