★ इस निघण्टु (Dhanvantari Nighantu) के रचियता ने भगवान धन्वंतरि को आदिदेव और आयुर्वेद के उपदेष्टा मानकर इस ग्रन्थ का नामकरण ‘धन्वंतरि निघण्टु’ किया है।
- भगवान धन्वंतरि, इस ग्रन्थ के रचियता नहींं है।
- पूना की अनेक पांडुलिपियों में इसका कर्ता महेंद्र भोगिक लिखा है।
- वर्तमान में प्रचलित धन्वंतरि निघण्टु में “द्रव्यालि” नामक ग्रन्थ भी मिला हुआ है।
- ग्रन्थ के उपक्रम और उपसंहार पद्योंं से स्पष्ट है कि इस ग्रन्थ का आद्य भाग द्रव्यालि है तथा परवर्ती भाग धन्वंतरि निघण्टु है।
- द्रव्यालि के लेखक का नाम कहींं भी नहींं मिलता।
★ वस्तुतः इस ग्रन्थ (Dhanvantari Nighantu) के रचयिता का नाम अस्पष्ट और अनिर्णीत है।
कर्ता का परिचय:-
- महेंद्र भोगिक स्थाण्वीश्वर के निवासी थे।
- वर्तमान में यह स्थान Haryana के Kurukshetra जिले में ‘थानेसर’ नाम से प्रसिद्ध है।
- इनके पिता का नाम ‘कृष्ण भोगिक‘ था।
Dates:– 10 वीं to 13 वीं सदी का मानना उचित है ।
● पूर्ववर्ती भाग ( द्रव्यशाली ग्रन्थ भाग ) द्रव्यों का पर्यायों के मध्यम से वर्णन करने हेतु लिखा गया था& परवर्ती भाग (धन्वंतरि निघण्टु ग्रन्थ ) में द्रव्यों के गुण कर्मों का निरूपण था।
● द्रव्यावलि में कुल 373 द्रव्यों का विवषण है।
तदोपरान्त 410 द्रव्यों को 7 वर्गो में बांटकर उनका वर्णन किया है।
Following are these groups:-
- गुडुच्यादि वर्ग- 128 द्रव्य
- शतपुषपादि वर्ग- 54 द्रव्य
- चंदनादि वर्ग- 79द्रव्य
- करवीरादि वर्ग- 75 द्रव्य
- आम्रादि वर्ग- 74 वर्ग
- सुवर्णादि वर्ग- 123 द्रव्य
- मिश्रकादि वर्ग- 59 द्रव्य
मौलिकाऐं :-
- धन्वंतरि निघण्टु = 1st Nighantu.
- अहिफेन का सर्वप्रथम वर्णन- अफूक नाम से Nighantu.
- करवीर – श्वेत तथा रक्त जाति।
- Only 1 type of कर्पूर
- कुपिलु शब्द for तिन्दुक not for कुचले।
- महानिम्ब को निम्ब विशेष कहकर।
- गाजर – गृन्जर नाम सर्वप्रथम अम्वर का वर्णन as अग्निजार।
One reply on “Dhanvantari Nighantu / धन्वंतरि निघण्टु – Acc. To B.A.M.S. Syllabus”
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