Acharya Sushruta mentioned 21 Vatarmgata roga ( disorders of eye lids ) in his samhita along with their symptoms and management. Trick to learn Vatarmgata Roga:- श्याम संग बहल लगण में पं प्रक्लिन्न ने पोथी से अंज्जन विष से अर्श मे चोट करना बताया। कुंभ ने निमेष को शर्करा बंधन लगाया जिससे पक्ष के अर्बुद […]
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अणु तेल (Anu tail) शरीर में सूक्ष्म से सूक्ष्म स्त्रोतों में जाकर रोगों को नष्ट करता है। अणु तेल को नस्य (Nasya treatment) {Nasya refers to nasal instillation of drops of the oil} में और इंद्रियों को बल प्रदान करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसका सबसे बड़ा असर बाहरी संक्रमण को शरीर के […]
लक्ष्मीविलास रस (Lakshmivilas Ras) सभी योगों के राजा के रूप में प्रसिद्ध है। इसके सेवन से क्षय, त्रिदोषोत्पन्न पाण्डुु (Anemia) , कामला (Jaundice) , सभी प्रकार के वातविकार, शोथ (Oedema), प्रतिश्याय (Common Cold), शुक्रक्षय, अर्श (Piles), शूल, कुष्ठ, अग्निमान्द्य, सन्निपात ज्वर, श्वास एवं कास जैसे रोगों को नष्ट कर देता है। इससे शरीर में तरुणाई […]
योगेन्द्र रस (Yogendra Ras) आयुर्वेदिक औषधियों में एक उत्कृष्ट और वीर्यवान वातशामक औषध है। यह विशेषतः ह्रदय, मस्तिष्क, वातवहानाड़ियाँ, मन और रक्त पर अपना प्रभाव दर्शाता है। इसके सेवन से वातवहानाड़ियाँ सबल होती है; अतः जीर्ण (पुराना) वातविकार के साथ पित्त प्रकोपजन्य दाह (जलन), व्याकुलता, निद्रानाश, मुखपाक (मुंह में छाले), अपचन आदि लक्षण हो, तब विशेष लाभदायक है। जीर्ण वातविकार, अपस्मार और उन्माद आदि रोगों […]
आनंद भैरव रस (Anand Bhairav Ras) बहुत ही प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि है इसका उपयोग ज्वर (Chronic Fever), अतिसार (Diarrhoea), आमवात (Rheumatoid arthritis), जुकाम (Common cold), खांसी (Cough) आदि में करना चाहिए। हिंगुलञ्च विषं व्योषं मरिचं टंकणं कणा। जातिकोषसमं चूर्णं जम्बीरद्रवमर्दितम्।। रक्तिमानां वटीं कुर्यात् खादेदार्द्रकसंयुताम्।। (र. सा. सं. ज्वर/ 104-105) घटक द्रव्य/ Ingredients:- (1) शुद्ध हिंगुल […]
चंद्रामृत रस (Chandramrit Ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार, दमा (Asthma), श्वास एवं ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में मुख्य औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है । इस औषधि में शुद्ध गंधक एवं शुद्ध पारद का मिश्रण होता है जिस कारण इस औषधि को बहुत ही कम मात्रा […]
प्रताप लंकेश्वर रस (Pratap Lankeshwar Ras)– एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से प्रसव के उपरांत महिलाओं में उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं एवं रोगों में प्रयोग की जाती हैै। इसका उपयोग पुराने बुखार, निमोनिया, मानसिक आघात, अतिसार (दस्त) आदि रोगों के उपचार में किया जाता है। प्रतापलङ्केशवर एष पश्य प्रतापमत्यत्र निजप्रतापात्। गदान् धनुर्वातमुखानशेषान् […]
चन्द्रप्रभा गुटिका (Chandraprabha Gutika) को चन्द्रप्रभा वटी भी कहा जाता है। इसके नाम से ही इसकी उपयोगिता का पता चलता है। ‘चन्द्र‘ यानी चंद्रमा, ‘प्रभा‘ यानी उसकी चमक, अर्थात् चंद्रप्रभा वटी के सेवन से शरीर में चंद्रमा जैसी कांति या चमक और बल पैदा होता है। इसलिए शारीरिक कमजोरी पैदा करने वाली लगभग बीमारियों में […]
गर्भपाल रस (Garbhpal ras) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं एवं महिला के गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही जीवनी शक्ति के रूप में प्रयोग की जाती है । जैसा कि इस औषधि के नाम से ही पता चलता है कि यह औषधि गर्भ को पालने वाली अर्थात […]
आयुर्वेद अनुसार वृश्चिक विष (Scorpions) को कीट विष के अंतर्गत माना है। आचार्य सुश्रुत ने इसे पित्त दोष प्रकोपक कहा है। वृश्चिक की उत्पत्ति – “त्रिविधा वृश्चिकाः प्रोक्ता मन्दमध्यमहाविषाः ।।” (सु.क.8/५६) बिच्छू तीन प्रकार के कहे गए है- मन्द विष वृश्चिक मध्य विष वृश्चिक महा विष वृश्चिक “गोशकृत्कोथजा मन्दा मध्याः काष्ठेष्टिकोद्भवाः। सर्पकोथोद्भवास्तीक्ष्णा ये चान्ये विषसंभवाः […]