प्रस्तुति : कालो हि नाम भगवान् स्वयम् भूरनादिमध्यनिधनोऽत्र।।। काल को भगवान कहा जाता है, जो किसी से उत्पन्न ना हो। काल आदि, मध्य और अंत रहित है। काल विभाजन काल विभाग इस प्रकार है- अक्षिनिमेष-1 मात्रा 15 मात्रा-1 काष्ठा 30 काष्ठा-1 कला 2 नाड़ीका-1 मुहूर्त 4 याम-1 दिन 4 याम-1 रात 15 दिन रात-1 पक्ष […]
Author: Bhawna Tourani
Belonging to Ajmer, Rajasthan. Currently persuading B.A.M.S. 3rd Prof. From Gaur Brahman Ayurvedic College. My Strong point is in Ayurvedic Portion so will help you in that. While Studying Ayurveda for last 2 years i developed hobby about learning about Ayurvedic medicines, also good at reading.
मध्याह्न चर्या इष्ट प्रियजनों , शिष्ट, सभ्य जनों के साथ, त्रिगुन युक्त कथाओं, जिसमें धर्म, अर्थ एवं काम का वर्णन किया गया है उन ग्रन्थों को पढ़ते दिन के मध्याहन को व्यतीत करना चाहिए। इसके साथ सद्वृत के साथ वर्णन किया गया कि सामाजिक एवं व्यवहारिक नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करना चाहिए। हिंसा, चोरी, अन्यथा […]
वसंत ऋतु आदनकाल की ऋतु है। इस ऋतु में गर्मी पड़ना शुरू होती है और इस ऋतु में सूर्य की गर्मी की वजह से पहले का सिंचित कफ पिघलने लगा जाता है और इसी वजह से इस मौसम में कफ के रोग अधिक देखे जाते है जैसे कास, जुखाम आदि। पर्याय:- पुष्प समय, सुरभि (शब्द […]
Prameh ( प्रमेह ) : Diabetes
मेदोवह स्रोतस की दुष्टी ही प्रमेह उत्पन करती है। मेदोवह स्त्रोतस परिचय-मेद धातु का वहन करने वाले स्रोत को मेदोवह स्रोतस कहते हैं। मेदोवह स्त्रोतस का प्राकृत कर्म– शरीर में स्नेहन, स्वेदन तथा शरीर को दृढ़ता प्रदान करना है।विकृत कर्म- प्रमेह विकृत होने पर स्थौल्यादि विकारों की उत्पत्ति होती है। मेदोवह स्रोतो दुष्टी के कारण– […]
जो सम्पूर्ण शरीर तथा मन को पीड़ित करता है, उसे शल्य (Shalay) हैं। आशुगमनार्थक ‘शल् धातु’ से यत् प्रत्यय जोड़कर शल्य शब्द निष्पन्न होता है। इस अध्याय में लोह आदि शल्य के लक्षणों तथा उनको निकालने के उपायों का वर्णन किया जायेगा। वक्रर्जुतिर्यगूध्ध्वाधः शल्यानां पञ्चधा गतिः। शल्य (Shalay) की गतियां = शरीरावयवों में प्रविष्ट होते […]
1. प्रवाल पिष्टी – best for calcium increment in human body मात्रा और अनुपान-125-1000mg घी और मख्खन के साथ 2. हरश्रृंगार के फूल एवम् पत्ते – घुटनों में दर्द के लिए उत्तम उपयोग विधी- गरम पानी में उबाल कर सेक करे 3. अविपत्तिकर चूर्ण- Used for acidity मात्रा और अनुपान- 12gm with cold water/ coconut […]