किसी औषध-योग को बनाते समय उसमें पड़ने वाले किसी द्रव्य के न मिलने पर उसके स्थान पर उसके समान गुण-धर्मवाले या मिलते-जुलते गुण-धर्मवाले अन्य द्रव्य का उपयोग किया जाता है, इसे अभाव प्रतिनिधि द्रव्य कहा जाता है (substitute) ऐसा विधान आयुर्वेद शास्त्र के अनेक ग्रन्थों में वर्णित है। इसके संदर्भ में आचार्य भाव प्रकाश ने […]
Author: rohitgera1999
Dravyagun ke syllabus me ish topic ka bas pariksha wala part hai. भेषज अर्थात् :- औषध को यहां कारण कहा गया है व उसकी परीक्षा व भेदों का वर्णन इस श्लोक में किया गया है।औषध :-धतुसामय की स्थिति लेने के लिए प्रयतनशील चिकित्सक के लिए जो भी साधक साधन होता है उसे भेषज कहते है। […]
दशेमनी गण का अर्थ होता है 10-10 के जोड़ों में बताए गए गन ( महाकषाय) Dashemani gana commonly known as Mahakashays. These are mentioned in Charak Samhita Sutrasthan chapter 4.Their are total no. Of 50 Mahakashays mentioned which cover nearly 272 plants, servral plants had been mentioned in more then one Mahakashay. As part of […]
Modern Interpretation of Vaat Prakriti :- Physical Features :- Hair :- Brown Coloured Dry , Damaged Hairs. May Contain Dandruff & Lices. Height :- More then Average Height (5.6 Feet in India) Build :- Thin, Less Fat & Muscles. Pindiya ( Inderbasti region) outwards then usual. Skin Rough & Dry. Cracked hands and Legs. Sound […]
आचार्य चरक ने केवल वात के भेदों का वर्णन किया था परंतु आचार्य भेल ने वात के साथ साथ पित्त के भी भेदों का वर्णन किया है परंतु वह वर्णन आजकल के पित्त के वर्णन से बिल्कुल अलग है। आचार्य सुश्रुत ने वात व पित्त दोनों के भेदों का वर्णन किया है व आचार्य वागभट्ट […]
अग्निः सोमो वायुः सत्त्वं रजस्तमः पञ्चेन्द्रियाणि भूतात्मेति प्राणाः ।। ३ ।। अग्नि, सोम, वायु, सत्व, रज, तम, पांच इन्द्रियाँ (ज्ञानेन्द्रियाँ) और भूतात्मा (जीवात्मा) ये प्राण हैं।यहां पर 12 प्राणों के बारे में बताया है । तस्य खल्वेवं प्रवृत्तस्य शुक्रशोणितस्या-(क्वचित् ‘शुक्रशोणितस्य’ पाठो न विद्यते) भिपच्यमानस्ययेव सन्तानिकाः सप्त त्वचा-(घट्ट त्वचा ‘पा.’) भवन्ति । तासां प्रथमा वभासिनी नाम, […]
त्रिफला में आमलकी, विभितकी, हरितकी होते है इस प्रश्न पर सभी आचार्यों का एक मत है परन्तु उसमे मात्रा में भेद है। परन्तु आजकल भाव प्रकाश के अनुसार प्रचिलित है। Bhag हरीतकि विभीतक आमलकी कैदेव 1 2 4 मदनपाल 3 6 12 भाव प्रकाश 1 1 1 सुषेण 1 2 4 Comparitive review name :- […]
Botanical name :- Terminalia belliricaFamily name :- Combretaceae Vernicular names :- हिन्दी- हल्ला, बहेड़ा, फिनास, बहरा, बहेराउर्दू- बहेरा (Bahera); असमिया- बौरी (Bauri)कोंकणी- गोटिन्ग (Goting)कन्नड़- तोड़े (Tore), तोरे (Tore)गुजराती- बेहेड़ा (Beheda), बेड़ा(Beda)तमिल- तरी (Tanri), तनितांडी (Tanitandi)तेलुगु- धोंडी (Hindi), तडिचेटटु (Tadichettu)बगाली- साग (Saag), बयड़ा (Bayada) नेपाली- बरों (Barro)मराठी- बहेड़ा (Behada), बहेड़ा (Behera)पंजाबी- बहिरा (Bahira), बहेड़ा (Baheda) मणिपुरी- […]
After reading this read Strotas and diseases with Trick आचार्य चरक ने स्रोतस की चिकित्या में उपयोगिता देखते हुए उसके विवेचन के लिए अलग अध्याय में बताया है । चरक विमान स्थान अध्याय 5 स्रोतोविमानं में बताया है। स्त्रोतस दो प्रकार के होते है:- बहिर्मुख स्रोतस :- यह शरीर के बाहर के द्वार होते है […]
वैरोधिक आहार (Virodhik Ahaar) आचार्य चरक ने सूत्र स्थान के 25वे अध्याय (यज्ज: पुरूषीय अध्याय) में संभाशा परिषद् में 18 प्रकार का बताया है। इनके विरूद्ध होने पर खाना, शरीर के लिए अहितकर होता है । पथ्य पथोऽनपेत यद्यच्चोक्तं मनसः प्रियम् । यच्चाप्रियमपथ्यं च नियतं तत्र लक्षयेत् ॥ ४५ ॥मात्राकालक्रियाभूमिदेहदोषगुणान्तरम् । प्राप्य तत्तद्धि दृश्यन्ते ते […]