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Ras Shastra

Vaikrant / वैक्रान्त – Tourmaline : Maha Ras

AFTER READING VAIKRANT, READ PARAD. नाम :- संस्कृत =वैक्रान्त हिंदी =वैक्रान्त English =Tourmaline ●विशिष्ट गुरुत्व = 3-3.2 ●काठिन्य = 7-7.5 Chemical formula = K2OAl2O3. 6SiO2 Synonyms / पर्याय :- वैक्रान्त, विक्रांत, जीर्णवज्रक, कुवज्रक, क्षुद्रकुलिश एवं चूर्णवज्र। इतिहास :- सर्वप्रथम कौटिल्य अर्थशास्त्र में वैकृंतक धातु के नाम से इसका उल्लेख मिलता है। कौटिल्य अर्थशास्त्र के 33 […]

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Ras Shastra

Parad ( पारद ) / Mercury : Ras

रसशास्त्र में रस शब्द से पारद (Parad) का ही ग्रहण किया जाता है। संस्कृत – पारदः हिंदी – पारा English – Mercury Latin – Hydrargirum Melting point= ( -35.87℃) Freezing point= (-)36℃ Atomic no.= 80 Mass no.= 200 Synonyms :- रस रसेन्द्र सूत पारद मिश्रक निरुक्ति :- 1. रस :- स्वर्णादि सभी धातुओं एवं अभ्रकादि […]

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Ras Shastra Syllabus

Abhrak ( अभ्रक ) : Mica According to B.A.M.S. Syllabus

अभ्रक (Abhrak) के नाम :- संस्कृत अभरकम् English Mica Hindi अभ्रक विशिष्ट गुरुत्व = 3 काठिन्य (Hardness) = 2.5 – 3 Synonyms :- बहुपत्र, वज्र, गगन (र .त.), गौरीतेज (र.र.स) प्राप्ति स्थान (Habitat) = राजस्थान के भीलवाड़ा जिलों में, बिहार, झारखंड आदि । अभ्रक के ग्राह्यी लक्षण :- “स्निग्धं पृथुदलं वर्णसंयुक्तं भारतोऽधिकम्। सुखनिर्मोच्यपत्रं च तदभ्रमं […]

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Bhaishajya kalpana Syllabus

Treatment related to Eyes (नेत्रोपचारार्थ कल्पना)

आयुर्वेद में नेत्र रोगों की चिकित्सा के लिए सेक, आश्चोयत्न, पिणडी, विडालक, तर्पण, पुट पाक औेर अंजन का उल्लेख किया गया है। जिन के द्वारा विविध प्रकार के नेत्र रोगों का उपचार किया जाता है। 1.सेक: – अभिष्यंद आदि समस्त प्रकार के नेत्र रोगों में जिस विधि द्वारा सूक्ष्म धारा से सिंचन .किया जाता है,उसे […]

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Dravya Guna Syllabus

Mutrastak and khseerastak gann (मुत्राष्टक तथा क्षीराष्टक गण)

मूत्रष्टक और क्षीराष्टक गण मूत्र के रस मूत्र के गुण दुग्ध के रस दुग्ध के गुण अवि तिक्त स्निग्ध पित अविरोधि मधुर,लवण अश्मरी नाशक अजा मधुर ,कषाय पथ्य,दोषनाशक कषाय ,मधुर रस ग्राही कर्म गो मधुर क्रिमी, कुष्ठ नाशक मधुर रस जीवनीय, बल्य महिष मधुर अर्श,शोफ,उदर रोग नाशक अधिक मधुर,शीतल निद्रकारक,अभिष्यंदी हथिनी लवण क्रिमी, कुष्ठ हितकर […]

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Charak Samhita Dravya Guna Syllabus

Mahakashaya / महाकषाय – Acc. To B.A.M.S. Syllabus

• 50 महाकषाय (Mahakashaya) हैं :- 1) हृदय महाकषाय: आम अमलवेतस आम्रा बेर बड़ी बेर दाड़िम करौंदा बड़हल वृक्षामल मातुलूँग 2) श्वाशहर महाकषाय: अगरु चोपचीनी तुलसी छोटी इलायची हींग जीवंती भूम्यालकि कचूर पुष्करमूल अमलवेतस 3) कासहर महाकषाय: आमलकी हरीतकी पीप्पली मुनक्का दुरालाभा कंटकारी कर्कट्श्रृंगी श्वेतपुनर्नवा रक्त पुनर्नवा भूम्यालकि 4) जीवनीय महाकषाय: जीवक ऋष्भक मेदा महामेदा […]

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Dravya Guna Syllabus

Raj Nighantu / राज निघण्टु -Acc. To B.A.M.S. Slyabus

● Raj Nighantu is also called as राजा निघण्टु।(Raja Nighantu). Author:- पंडित नर हरी । This Nighantu is also known as अभिधान चूडामाणि / निघण्टु राज / द्रव्य अभिधान गुण संग्रह। # The author states the Importance of Nighantu as:- ” निघण्टुना बिना वैद्योः विद्वान् व्याकरणम् विना।आयुधं च विना योद्धा त्रयो हास्सय भाजनम्।। “ अर्थात:- […]

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Dravya Guna Syllabus

Dhanvantari Nighantu / धन्वंतरि निघण्टु – Acc. To B.A.M.S. Syllabus

★ इस निघण्टु (Dhanvantari Nighantu) के रचियता ने भगवान धन्वंतरि को आदिदेव और आयुर्वेद के उपदेष्टा मानकर इस ग्रन्थ का नामकरण ‘धन्वंतरि निघण्टु’ किया है। भगवान धन्वंतरि, इस ग्रन्थ के रचियता नहींं है। पूना की अनेक पांडुलिपियों में इसका कर्ता महेंद्र भोगिक लिखा है। वर्तमान में प्रचलित धन्वंतरि निघण्टु में “द्रव्यालि” नामक ग्रन्थ भी मिला […]

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Dravya Guna Syllabus

Bhav prakash nighantu(भावप्रकाश निघण्टु)

निघण्टु एक वैदिक शब्दकोष है।जिसमें वैदिक वाड्गंमय में आये गूढार्थ शब्दों के पर्यायों के द्वारा व्याख्या की गई है। भाव प्रकाश निघण्टु 1-Written by भाव मिश्र in 16वीं शताब्दी। 2 It is 3rd book among लघुत्र्रीय। 3-It is the bridge between mid evil period & modern period. 4- In संहिता portion, he has given its […]

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Kriya Sharir

Vatadi dosha Ke Sthan / वातादि दोषों के स्थान

वात के स्थान (vaat ke sthan):- वस्तिः पुरीषाधानं कटिः, सक्थिनी पादावस्थीनि च वातस्थानानि।तत्रापि पक्वाशयो विशेषेण वातस्थानम्।।(च० सू० 20/7)तत्र समासेन वातः श्रोणि गुड संश्रयः ।।( Su. Sa. Su 21/7)पक्वाशयः कटिसक्यिश्रोत्रास्थिस्पर्शनेन्द्रियम्।स्थानं वातस्य, तत्रापि पक्वाधान विशेषतः ।।(As. Hr. Su. 12/1) चरक संहिता सुश्रुत संहिता अष्टांग हृदय वस्ति गुद पक्वाशय पुरिषाधान श्रोणि कटि कटि(pelvic region) – सक्थि सक्थिनी(जँघा) – […]