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Kumar Bhritya

Pitra Graha | पितृ ग्रह – Signs and Management

इस बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग ( हृदय व संग्रह ) में मिलता है। लक्षण :- रोमांच बार बार डराना सहसा रोना ज्वर कास अतिसार वमन उबासी तृष्णा मुर्दे की गंध शॉफ जड़ता विव्रंता मुट्ठी बंद रखना नेत्रों में स्त्राव अरिष्ट लक्षण :- धात्री लाल कमल के वन में पहुंचकर कमल मलाओ से अपनी […]

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Neg Mesha Graha | नैगमेष ग्रह – Symptoms and Management

स्वरूप :- बकरे के समान मुख वाला, नेत्र व भौंहें चलायमान मर्जी अनुसार रूप धारण करने वाला महा यशस्वी पर्याय :- मेष उत्पति :- इस ग्रह की उत्पति पार्वती माता द्वारा कि गई थी। लक्षण :- मुख से फेन आना मध्य भाग मुड़ा हुआ सा होना ऊपर देखकर बेचैन होकर रॊधन करना हमेशा ज्वर रहना […]

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Shva Graha | श्व ग्रह : Bal Graha – Symptoms and Management

इस बाल ग्रह का वर्णन केवल अष्टांग हृदय में मिलता है। लक्षण :- कम्पन रोमांच होना स्वेद नेत्र बंद होना जिह्वा को काट लेना गले के अन्दर शब्द होना मल के समान गंध होना कुत्ते के समान चिल्लाना चिकित्सा :- इंद्रायण, ब्राह्मी, कटेरी दोनों, सारीवा, नेत्र बाला, कदम्ब, तुलसी मंजरी, कनेर का फूल इनसे पीसकर […]

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Mukh Mandika Graha | मुख मंडिका ग्रह : Bal Graha

पर्याय :- वक्त्रमण्डिका मुखमण्डित मुखमण्डनिका मुखमण्डिका परिचारिका मुखार्चिका उत्पति :- एक बार भगवान कार्तिकेय जब महादेव के समीप खेल रहे थे और उस समय गंधर्व, अप्सराएं व लोग शिव जी का अलंकर कर रहे थे उस समय कार्तिकेय ने माता पार्वती से कहा कि उन्हें भी शिव जी की तरह चंद्रमा रूपी आभूषण चाहिए, जब […]

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Shshti Graha | षष्ठी ग्रह : Bal Graha – Symptoms and Management

निदान :- प्रसूता स्त्रियों के स्नेहपान साठी चावल व मछली खाने से अधिक भोजन करने से विरूद्ध भोजन अजीर्ण भोजन करने से आक्रांत का समय :- अष्टांग संग्रह में 6 ठी रात को बालक की रक्षा विशेष रूप से करने को कहा है, बलि देकर रात्रि को बंधु बांधवों के साथ मिलकर जागरण करना चाहिए। […]

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Rasnadi Guggulu | रास्नादि गुग्गुलु – Dosage and Indications

गुग्गुलु–रास्नामृतैरण्डसुराविधं तुल्येन गाढं च पुरेण मद्यं | खादेत्समीरी सशिरोगदी च नाडीव्रणी चापि भगन्दरी च ।। ( योगरत्नाकर वात व्याधि ) सामग्री- रास्ना (Pluchea lanceolata) गिलोय (Tinospora cordifolia) एरण्डमूल (Ricinus communis) देवदारु (Deodar cedar) सोंठ (Zingiber officinale) शुद्ध गुग्गुलु (Commiphora wightii) विधि- रास्ना, गिलोय, एरण्डमूल, देवदारु, सोंठ- प्रत्येक 1-1 भाग लेकर कपड़छन चूर्ण करें। अब शुद्ध […]

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Shakuni Graha | शकुनी ग्रह : Bal Graha – Signs and Management

स्वरूप :- आकाश में रहने वाला सर्व अलंकारों से युक्त लोह समान वर्ण अधो मुख व तीक्ष्ण मुखी भयंकर दर्शन वाली लंबा शरीर पिंगल नेत्र शंकुवत लंबे कर्ण ग्रह का दूध पर प्रभाव :- दूध का स्वाद कटु, तिक्त हो जाता है। आक्रमण का समय :- 6 दिन, 6 थे महीने या 6 थे वर्ष […]

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Skand Apasmar Graha | स्कन्द अपस्मार ग्रह : Bal Graha

स्वरूप :- स्कन्द का मित्र विकृत आनन वाला विशाखा नाम से जाना जाता है पर्याय :- विशाख उत्पति :- इनकी उत्पति भगवान अग्नि के द्वारा किया गया था। लक्षण :- बार बार संज्ञा नाश होता रहता है होश में आने पर अति रोधन हलचल युक्त हाथ – पैर को नाचता है अव्यक्त शब्द के साथ […]

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Punarnavadi Guggulu | पुनर्नवादि गुग्गुलु – Dosage and Indications

पुनर्नवा मूल शतं विशुद्धं रुबूकमूलञ्च तथा प्रयोज्य। दत्त्वा पलं षोडशकञ्च शुण्ठ्याः सङ्कुट्य सम्यग्विपचेद् घटेऽपाम् ।। पलानि चाष्टावथ कौशिकस्य तेनाष्टशेषेण पुनः पचेत्तु। एरण्डतैलं कुडवञ्च दद्याद् दत्त्वा त्रिवृच्चूर्णपलानि पञ्च ।। निकुम्भचूर्णस्य पलं गुडूच्याः पलद्वयं चार्द्धपलं पलं वा फलत्रयत्र्यूषणचित्रकाणि सिन्धूत्थभल्लातविडङ्गकानि।। कर्ष तथा माक्षिकधातुचूर्ण पुनर्नवायाः पलमेव चूर्णम् । चूर्णानि दत्त्वा ह्यवतार्य शीतं खादेन्नरः कर्षसमप्रमाणम्।। वातासृजं वृद्धिगदञ्च सप्त जयत्यवश्यं त्वथ […]

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Skanda Graha | स्कन्द ग्रह : Bal Graha – Symptoms, Management

स्वरूप :- जो तपस्चर्या, तेज, यश व स्वस्थ शरीर से निधान है ग्रहों व देवताओं के सेनापति महादेव, अग्नि, गंगा, उमा व कृतिका के पुत्र है लाल माला, लाल वस्त्र, लाल चंदन व लाल शरीर धारी। पर्याय :- कुमार कार्तिकेय गुह उत्पति :- इनकी उत्पति भगवान शिव द्वारा की गई थी ग्रह का दूध पर […]