इसमें शूक धान्य (Shukh Dhanya) और शमी धान्य (Shami Dhanya) का वर्णन दिया गया है। शूकधान्यवर्ग (Shukh Dhanya) :- महाशालि कलम (जो उखाड़ कर पुनः प्रतिरोपित जाता है, जैसे रोपा धान) शकुनाहृत तूर्णक दीर्घशूक गौर धान्य (गौरिया) पाण्डुक,पाल सुगन्धिक (बासमती) लोहवाल सारिका प्रमोदक पतंग तथा जपनीय रक्तशाली (लाल धान) ● ये सभी प्रकार के चावल […]
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अभ्रक (Abhrak) के नाम :- संस्कृत अभरकम् English Mica Hindi अभ्रक विशिष्ट गुरुत्व = 3 काठिन्य (Hardness) = 2.5 – 3 Synonyms :- बहुपत्र, वज्र, गगन (र .त.), गौरीतेज (र.र.स) प्राप्ति स्थान (Habitat) = राजस्थान के भीलवाड़ा जिलों में, बिहार, झारखंड आदि । अभ्रक के ग्राह्यी लक्षण :- “स्निग्धं पृथुदलं वर्णसंयुक्तं भारतोऽधिकम्। सुखनिर्मोच्यपत्रं च तदभ्रमं […]
Tail Vargha ( तैल वर्ग )
तैल वर्ग आयुर्वेद में अन्य द्रव्यों की तरह तैलप्रधान वानस्पति के द्रव्यों के तैल का भी विशेष उपयोग बताया गया है। व्याधिनाशक अनेक प्रकार के सिद्ध तैल तैयार किये जाते है तथा दैनिक जीवन में आहार उपयोगी तेल का आहार मे प्रयोग भी किया जाता है। प्रयोग में लाये जानेवाले तेल के ज्ञान की आवश्यकता […]
AFTER READING DRUGS, VISIT TAIL VARG. **THIS POST IS JUST FOR NOTES NEEDED DURING EXAM TIME, FOR DETAILED ASPECT, VISIT EACH ARTICLE INDIVIDUALLY. • Antidiarrheal : Treatment of motion of stool three or more watery stool in 24hrs or excess of water in feaces. Eg. ORS, Pectin, Loperamide. • Antiemetic : Drugs are used to […]
** यहां पर बताए गए भेद माधव निदान के अनुसार है और यहां पर उन्ही रोगों के भेदों के बारे में बताया है जो कि B.A.M.S. रोग निदान (Pathology) के syllabus में है। Exam time में भेद याद करने में आसानी होगी इसे। Rog Bhed/Types अरुचि 2 शारीरिक (4 वात, पित्त, कफ, सन्निपातज), मानसिक ( […]
आयुर्वेद में नेत्र रोगों की चिकित्सा के लिए सेक, आश्चोयत्न, पिणडी, विडालक, तर्पण, पुट पाक औेर अंजन का उल्लेख किया गया है। जिन के द्वारा विविध प्रकार के नेत्र रोगों का उपचार किया जाता है। 1.सेक: – अभिष्यंद आदि समस्त प्रकार के नेत्र रोगों में जिस विधि द्वारा सूक्ष्म धारा से सिंचन .किया जाता है,उसे […]
मूत्रष्टक और क्षीराष्टक गण मूत्र के रस मूत्र के गुण दुग्ध के रस दुग्ध के गुण अवि तिक्त स्निग्ध पित अविरोधि मधुर,लवण अश्मरी नाशक अजा मधुर ,कषाय पथ्य,दोषनाशक कषाय ,मधुर रस ग्राही कर्म गो मधुर क्रिमी, कुष्ठ नाशक मधुर रस जीवनीय, बल्य महिष मधुर अर्श,शोफ,उदर रोग नाशक अधिक मधुर,शीतल निद्रकारक,अभिष्यंदी हथिनी लवण क्रिमी, कुष्ठ हितकर […]
पर्याय :- मधु, माक्षिक, माधवीक,क्षोद्र सारघ, माध्वीक, वरटी वांत। गुण :- शीत, लघु, स्वादिष्ट, रुक्ष, ग्राही, नेत्र हितकर, अग्नि वर्धक, स्वर हितकर, व्रण शोधक व रोपक, सुकुमार कारक, सूक्ष्म, स्रोतस शोधक, मधुर कषाय रस युक्त, वर्ण कारक, मेद्य, वृष्य, विश्द, रोचक, योगवाही, वातकारक, कुष्ठ, अर्श, कास, पित्त कफ शामक, प्रमेह, कलांती, कृमि, मेद, तृष्णा, वमन, […]
इक्षु के भेद ट्रीक :- पर्याय :- इक्षु, असिपत्र, गुढमल, मधचतृण, भूरिरस, दी्घच्छदगुण :- रस मधुर, मधुर विपाक, स्निग्ध,गुरु, शीत वीर्य, रक्तपित्त शामक, बलकारक, वृष्य, कफकारक, मूत्रकारक भेद :- 13 पांडव वंश के भीम ने शत वर्ष पहले नेपाल के नील कौशिक और मनोगुप्त के दीर्घ सूची पत्र में लिखे कांड को कंतार में टपका […]
लघु पंचमूल :- बाहर खड़ी गो के कण्ठ में पर्णी। बाहर – बृहतीगो – गोक्षुरकण्ठ – कण्टकारीपर्णी – शालपर्णी व पृश्नपर्णी बृहत पंचमूल :- पाटलिपुत्र में शयोनाक नामक सर्प के बिल पर अग्नि लगने से गम्भीर हो गया। पाटलिपुत्र – पाटलाशयोनाक – शयोनाकबिल – बिल्वअग्नि – अग्निमंथगम्भीर – गंभारी वल्ली पंचमूल :- मेष राशि की […]