• 50 महाकषाय (Mahakashaya) हैं :- 1) हृदय महाकषाय: आम अमलवेतस आम्रा बेर बड़ी बेर दाड़िम करौंदा बड़हल वृक्षामल मातुलूँग 2) श्वाशहर महाकषाय: अगरु चोपचीनी तुलसी छोटी इलायची हींग जीवंती भूम्यालकि कचूर पुष्करमूल अमलवेतस 3) कासहर महाकषाय: आमलकी हरीतकी पीप्पली मुनक्का दुरालाभा कंटकारी कर्कट्श्रृंगी श्वेतपुनर्नवा रक्त पुनर्नवा भूम्यालकि 4) जीवनीय महाकषाय: जीवक ऋष्भक मेदा महामेदा […]
Category: Syllabus
Dravyagun ke syllabus me ish topic ka bas pariksha wala part hai. भेषज अर्थात् :- औषध को यहां कारण कहा गया है व उसकी परीक्षा व भेदों का वर्णन इस श्लोक में किया गया है।औषध :-धतुसामय की स्थिति लेने के लिए प्रयतनशील चिकित्सक के लिए जो भी साधक साधन होता है उसे भेषज कहते है। […]
दशेमनी गण का अर्थ होता है 10-10 के जोड़ों में बताए गए गन ( महाकषाय) Dashemani gana commonly known as Mahakashays. These are mentioned in Charak Samhita Sutrasthan chapter 4.Their are total no. Of 50 Mahakashays mentioned which cover nearly 272 plants, servral plants had been mentioned in more then one Mahakashay. As part of […]
● Raj Nighantu is also called as राजा निघण्टु।(Raja Nighantu). Author:- पंडित नर हरी । This Nighantu is also known as अभिधान चूडामाणि / निघण्टु राज / द्रव्य अभिधान गुण संग्रह। # The author states the Importance of Nighantu as:- ” निघण्टुना बिना वैद्योः विद्वान् व्याकरणम् विना।आयुधं च विना योद्धा त्रयो हास्सय भाजनम्।। “ अर्थात:- […]
★ इस निघण्टु (Dhanvantari Nighantu) के रचियता ने भगवान धन्वंतरि को आदिदेव और आयुर्वेद के उपदेष्टा मानकर इस ग्रन्थ का नामकरण ‘धन्वंतरि निघण्टु’ किया है। भगवान धन्वंतरि, इस ग्रन्थ के रचियता नहींं है। पूना की अनेक पांडुलिपियों में इसका कर्ता महेंद्र भोगिक लिखा है। वर्तमान में प्रचलित धन्वंतरि निघण्टु में “द्रव्यालि” नामक ग्रन्थ भी मिला […]
निघण्टु एक वैदिक शब्दकोष है।जिसमें वैदिक वाड्गंमय में आये गूढार्थ शब्दों के पर्यायों के द्वारा व्याख्या की गई है। भाव प्रकाश निघण्टु 1-Written by भाव मिश्र in 16वीं शताब्दी। 2 It is 3rd book among लघुत्र्रीय। 3-It is the bridge between mid evil period & modern period. 4- In संहिता portion, he has given its […]
लवण रस वीर्य योग गुण व कर्म सौवर्चल लवण लवण तीक्ष्ण,उष्ण शंखवटी, चंदनबलाअबलारस,व्रज शार कटु विपाकि,विशध ,रुचिकर,शूल ,अनाह, कृमिघ्न,गुल्म ,अजीर्ण,दीपन सैन्धव लवण लवण तीक्ष्ण हींगवाशटिक चुर्ण, पिप्पली आदिचूर्ण,पिप्पलिमूलआदि चूर्ण पित्त हर ,दीपन व पाचन ,नेत्ररोग, धातुओं की पुष्टी करना विड लवण लवण तीक्ष्ण,उष्ण लवणभास्कर चूर्ण, चित्रकाअदि वटी, शंखवटी,पिप्पलिमूलआदि चूर्ण तीक्ष्ण ,रूचिकर, दीपन ,उष्ण,गुल्म ,शूल ,पारद […]
प्रस्तुत वर्ग का भावप्रकाश के आधार पर वर्णन किय है।जीवन को निरोग रखने के लिये जिसने पौष्टिक पदार्थ को और उनमें दूध भी प्रधान रूप से आवश्यक अंग है। गुण ●गुण दुग्ध मधुर सनी, वात तथा पित्तनाशक दस्तावरशौध जपन्न करनेवाला शीतल. सर्व प्राणियों के अनुकूल जी रूप पुरा खलनायक बुद्धि को उत्पन्न करने वाला, अत्यंत […]
मांस वर्ग (Mass Vargha) मांस एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। इसका अधिकांश भाग शरीर में शोषित हो जाता है। अत बलदायक व वीर्यवर्द्धक होता है। कुछ ऐसे प्राणी भी होते है ,जिनके किसी विशेष स्थान का मांस मक्षण के लिये उत्तम माना जाता है, जैसे जांगलवर्ग में जघाल पशु। दूध के अतिरिक्त पौष्टिक खाद्य द्रव्यों […]
वैरोधिक आहार (Virodhik Ahaar) आचार्य चरक ने सूत्र स्थान के 25वे अध्याय (यज्ज: पुरूषीय अध्याय) में संभाशा परिषद् में 18 प्रकार का बताया है। इनके विरूद्ध होने पर खाना, शरीर के लिए अहितकर होता है । पथ्य पथोऽनपेत यद्यच्चोक्तं मनसः प्रियम् । यच्चाप्रियमपथ्यं च नियतं तत्र लक्षयेत् ॥ ४५ ॥मात्राकालक्रियाभूमिदेहदोषगुणान्तरम् । प्राप्य तत्तद्धि दृश्यन्ते ते […]