प्रस्तुत वर्ग का भावप्रकाश के आधार पर वर्णन किय है।जीवन को निरोग रखने के लिये जिसने पौष्टिक पदार्थ को और उनमें दूध भी प्रधान रूप से आवश्यक अंग है।
गुण
●गुण दुग्ध मधुर सनी, वात तथा पित्तनाशक दस्तावर
शौध जपन्न करनेवाला शीतल. सर्व प्राणियों के अनुकूल जी रूप पुरा खलनायक बुद्धि को उत्पन्न करने वाला, अत्यंत वाजीकरण रसायन और विरेचन वामन क्रिया एवं वस्ति क्रिया के अनुकूल एवं ओजवर्धक है। ●जो कुब धतयाला क्षीण हुआ मूख से दुर्बल अथवा मैथुन से दुर्बल हो उस दो दप अत्यंत हितकारी है।
गाय का दुग्ध
गाय | रस | गुण | कर्म |
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काली गाय | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला ,अधिक गुणवाला | वात नाशक |
पीली गाय | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला वात पित्त रक्त विकार को भी नष्ट करता है। | दूध-पित्त व दात का नाश करने वाला। |
सफेद गाय | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला वात पित्त रक्त विकार को भी नष्ट करता है। | दूध कफ की वृद्धि करनेवाला एवं भारी होता है। |
लाल तथा चितकबरी | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला वात पित्त रक्त विकार को भी नष्ट करता है। | दूध दात का विनाश करने वला होता है। |
सद्य प्रसूता और बच्या रहित गाय | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला वात पित्त रक्त विकार को भी नष्ट करता है। | दूध लेने बछड़े वाली है बिना डिब्बे वाली गाय का दूध त्रिदोष को दूर करने वाला होता है। |
बाखडी गाय | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला वात पित्त रक्त विकार को भी नष्ट करता है। | दूध तीनों दोषों का नाश करनेवाला तृप्तिकारक एवं बल देने वाला होता है। |
देश-विशेष से गाय | मधुर | दूध को पीन से बुद्धि बढ़ाने वाला वात पित्त रक्त विकार को भी नष्ट करता है। | जांगल देश आनूप देश पर्वतो पर चरनेवाली गाय का दूध क्रमश एक से एक अधिक भारी होता है जिस स्थान में गाय आहार करती है उसके अनुसार दूध में स्निग्धता आती है आहार विशेष से गाय के दूध के गुण पोडा अन्न जानेवाली गायो का दूध भारी कफकारक बलवर्द्धक अत्यंत दृश्य और निरोग मनुष्य के लिये जारी है। |
अन्य दुग्ध
जानवर | रस | गुण | कर्म |
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बकरी का दूध | मधुर | शीतल,हल्का | *अतिसार सय खांसी तथा ज्वर का नाश करनेवाला है,चरपरे एवं कड़वे पदार्थों को खाती है। पानी थोडा पीती है और फिरने भैैंस का दूध यह गाय के दूध की अपेक्षा मीठा स्निग्ध होता है। *भारी निद्रा लानेवाला क्षुधावर्धक एवं शीतल होता है। *बकरी का दूध कसैला मधुर शीतल ग्राही हल्का और रक्त अतिसार, खांसी तथा ज्वर का नाश करनेवाला है। *अधिक श्रम करती है। इस कारण ही बकरी का दूध सम्पूर्ण रागा दूर करता है। |
हिरनी का दूध | – | – | हिरनी का दूध जंगल में उत्पन्न हुई हिरनी आदि का दूध समान गुणवाला होता है। |
भेड़ का दूध | कषाय | स्वादिष्ट ,स्निगध ,उष्ण | पथरी का नर करनेवाला । हृदय को अप्रिय तृप्तिदायक दृश्य वीर्यक्क कफ एवं पित्त कारक वात से उत्पन्न हुई खासी तथा वात रोग में हितकारी होता है |
घोडी का दूध | – | रूखा, गरम | बलदायक शोथ तथा वात पित नाश करने बाली खटटा भारी तथा हल्का स्वादिष्ट है। |
एक खुर वाले सभी गुओं के दूध | – | गुण ऐसा ही होता है। | – |
ऊटनी का दूध | हल्का मधुर, कषाय | अग्नि उत्तेजक | आफ अफारी, सूजन तथा उदर सम्बन्धी रोगों को दूर करने वाला है,पास्ता या दूध पुष्टिकारक मबर कसैला भारी वृष्य बल को लानेवाल,गौतम रिजर्व नेत्रों के लिये हितकारी और दृढ़ता को करने वाला होता है। |
श्री का दूध | – | हल्का शीतल | वातपित्त नेत्रों क शूल तथा अभिधा नाशक है और नस्य देने में तथा आर्यन कार्य में उतन होता है। |
गाय का धारोष्ण दूध | – | शीतल हल्का | अन के समान अग्निवर्धक और तीनों दोषों का नाश करने वाला है गाय का दूध दुर लेने पर *आरोग्य पीने योग्य है और भैंस का दूध दही लेने पर शीतल गया हो वहा प्रशंसनीय होता है। |
तत्काल प्रसूता गाय भैंस का दूध | – | पीयूष, किलाट, क्षीर शाक , | भैंस के दूध को पीयूष ज्यात खास कहते है। जो दूध जलकर नष्ट हो गया हो, पिंड बन गया हो उसको किलाट अथवा खोआ कहते है। जो दूध कच्चा ही जमकर खोये के समान हो गया है। *पुष्टिकारक,बलवर्धक भारी कफकारक हृदय को प्रिय वात तथा विद्रधि रोग वाले को बहुत उत्तम हैं। पूरा सहित मोरट हल्का बलदायक रुचिवर्धन और मुखशोधक दृष्णादाह, रक्तपित्त तथा ज्वरनाशक है। *शीतल वृष्य पित्त रक्त विकार वातनाशक तृप्तिकारक तथा ज्वरनाशक है। |
खांड पड़ा हुआ दूध | – | – | कफकारक वातनाशक है। बूरा अथवा मिश्री पढ़ा हआ दूध वीर्यवर्धक त्रिदोषनाशक है। |
गुड़ पड़ा हुआ दूध | – | – | मूत्रकिरच्छनाशक और पित्त तथा कफ को अत्यन्त बढ़ानेवाला है। |