एकविंशति गुग्गुलु (Ekvimshati Guggulu) एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिससे अनेक प्रकार की रोगों का नाश होता है।
चित्रकं त्रिफला व्योषमजाजी कारवी वचा। सैन्धवातिविषाकुष्ठं चव्यैला च यवासकम् ॥ विडङ्गान्यजमोदा च मुस्ता चामरदारु च । यावन्त्येतानि सर्वाणि तावन्मानन्तु गुग्गुलोः ॥ सङ्कट्य सर्पिषा सा्द्धं गुटिकां कारयेद्धिषक । प्रातर्भोजनकाले च खादेदग्निबलं यथा ॥ हन्त्यष्टादश कुष्ठानि कृमिदुष्टव्रणानि च । ग्रहण्योंविकारांश्च मुखामयगलग्रहान् ॥ गृध्रसीमथ भग्नञ्च गुल्मं चापि नियच्छति । व्याधीन्कोष्ठगतांश्चापि जयेद्विष्णुरिवासुरान् ।। (भाव प्रकाश मध्यम कुष्ठ 54/67-72)
सामग्री/ Ingredients:-
- चित्रक (Plumbago zeylanicum)
- त्रिफला (Terminalia chebula, Terminalia bellirica, Phyllanthus emblica)
- त्रिकटु (Zingiber officinale, Piper nigrum, Piper longum)
- काला जीरा (Black cumin)
- कलौंजी (Fennel flower)
- वच (Acorus calamus)
- सैंन्धव लवण
- अतिविषा (Aconitum heterophylla)
- कुष्ठ (Sausurea lappa)
- चव्य (Piper retrofractum)
- इलायची (Cardamom)
- यवक्षार
- वायविडंग (Embelia ribes)
- अजमोदा (Carum roxburghianum)
- नागरमोथा (Cyprus rotundus)
- देवदारु (Deodar cedar)
- गुग्गुलु (Commiphora wightii)
विधि:-
- प्रत्येक द्रव्य समान भाग चूर्ण कर लें। (गुग्गुल छोड़कर)
- अब इन द्रव्यों के समान भाग गुग्गुल कूट लें।
- इन सबका मिश्रण कर कूटकर घी मिलाकर 4-4 रत्ती की एकविंशति गुग्गुलु (Ekvimshati Guggulu) की गोलियां बना लें।
मात्रा व अनुपान:-
2-4 गोली प्रातः सायं नीम की छाल के क्वाथ या गर्म जल से लें।
गुण व उपयोग:-
- यह (Ekvimshati Guggulu) सब प्रकार के कुष्ठ, कृमि, दाद, व्रण, संग्रहणी, अर्श, मुख रोग आदि व्याधि नाशक है।
- इसके प्रयोग से त्वचा व रक्त विकारों में विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- यह रक्त की शुद्धि करता है।
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