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घृत कल्पना बनाने की विधि | Procedure to make Medicated Ghee

आज हम आयुर्वेद के अनुसार घृत ( Medicated Ghee ) बनाना सीखेगें जो कि स्नेह कल्पना के अन्तर्गत आता है और यह विधि 4 चरणों में पूर्ण होती है जो कि इस प्रकार है :-

  1. सर्व प्रथम घी को आम दोष से रहित करते है, और उसके साथ औषधिक गुण ग्रहण करने के लिए तैयार किया जाता है जो कि घृत मूर्च्छन के अन्तर्गत आता है।
  2. इस चरण में घृत का पाक उस औषधि के साथ करते है जिसके गुण हमे घृत में डालते है ( सभी द्रव्य जिनकी जितनी मात्रा आयुर्वेद में वर्णित है। )
  3. इसके बाद में आता है घृत पाक परीक्षा इसमें हम यह देखते है कि घृत में औषधि के गुण आए है या नहीं।
  4. और फिर अंत में आता है घृत में सुगंध व स्वाद वर्धक द्रव्यो का मिलना जिनसे घृत ( medicated ) के गुणों में कोई क्षती न पहुंचे।
  5. यह सब होने के बाद में हम आपको त्रिफला घृत के example से यह विधि बताएंगे ताकि आपको ओर अच्छे से समझ आय।

कुछ सामान्य नियम :-

यहां पर हम उन विषयों के बारे में बताएंगे जो आचार्यों ने शास्त्रोत घृत बनने के समय न बताया हो की कौनसी वस्तु किस मात्रा में लेनी है तो क्या करे।

  • स्नेह से 4 गुना द्रव और स्नेह का चतुर्थांंश (1/4) कल्क लेकर स्नेहपाक किया जाता है।
  • सभी आचार्यों के मतानुसार जहाँ पर जल, स्नेह, औषध का मान निर्दिष्ट नहीं किया हो, वहाँ पर
    • औषध से स्नेह ➡ 4 गुना
    • स्नेह से जल ➡ 4 गुना लेकर स्नेह पाक करने का सामान्य नियम बताया है।
  • स्नेहपाक में जहाँ – 5 से ज्यादा द्रव पदार्थ डालने का निर्देश हो ➡ हर एक द्रव स्नेह के समान मात्रा में डाले
  • यदि 5 से कम द्रव हो तो – सभी द्रव द्रव्य को मिलाकर चुतर्गुण ही डाले जाते हैं।

घृत मूर्च्छन :-

  • Acc. To भैषज्यरत्नावली ( 5/1285)-
    • 1 प्रस्थ (768ml) घृत को स्टील के पात्र में डालकर ➡मन्द अग्नि पर गर्म करके ➡पात्र चूल्हे से उतार कर घृत थोड़ा सा ठण्डा करे
    • हरीतकी, बिभीतकी, आमलकी , नागरमोथा, हरिद्रा , मातुलुङ्ग नींबू स्वरस ➡ प्रत्येक द्रव्य 1 पल लेकर उसका कल्क बनाकर घी में धीरे धीरे डाला जाता है।
    • 768 ml जल डालकर ➡ मन्द अग्नि पर जल और फेन रहित होने तक➡घृत को पकाकर मूर्च्छन किया जाता है।
  • घृत मूर्च्छन करने पर घृत – आमदोष रहित , वीर्यवान और सुख दाय हो जाता है।

घृत पाक –

इसमें 4 गुना जल लेकर मंद अग्नि पर पाक किया जाता है तब तक की घृत पाक के लक्षण ना आजाये।

घृत पाक परीक्षा-

  1. स्नेह का कल्क हाथ की अंगुली से मसलने पर वर्ती (लम्बी लम्बी गोल) बन जाना।
  2. अग्नि में डालने पर चट् चट् शब्द का नहीं होना।
  3. घृत पाक के समय – फेन आकर शान्त हो जाना।
  4. उचित गन्ध, वर्ण एवं रस की उत्पत्ति होना।

गन्ध द्रव्य:-

  • केशर
  • श्वेतचन्दन
  • अगर
  • जटामांसी
  • कंकोल
  • सूक्ष्मैला
  • तेजपत्र
  • कस्तूरी
  • उशीर
  • नागरमोथा
  • मेथी
  • लवंग

त्रिफला घृत:-

Triphala ghrita
Triphala Ghrita

घटक द्रव्य:-

स्नेह द्रव्यमूर्च्छित गोघृत768ml
द्रव द्रव्य त्रिफला क्वाथ768 ml
वासा स्वरस768ml
भृङ्गराज स्वरस768ml
बकरी का दूध768ml
कल्क द्रव्यहरीतकी12 gm
विभितकी12 gm
आमलकी12 gm
पिप्पली12 gm
द्राक्षा12 gm
श्वेतचन्दन12 gm
सैंधव लवण12 gm
बला12 gm
काकोली12 gm
क्षीरककोली12 gm
मेदा12 gm
मरिच12 gm
शुण्ठी 12 gm
शर्करा12 gm
पुण्डरीक12 gm
कमल12 gm
पुनर्नवा12 gm
हरिद्रा12 gm
दारुहरिद्रा12 gm
मधुयष्टी12 gm

निर्माण विधि:-

  • सबसे पहले स्टील के पात्र में गोघृत डालकर गर्म किया जाता है।
  • कल्क द्रव्यों का कल्क बनाकर थोडा – थोड़ा गोघृत में डाला जाता है।
  • त्रिफला क्वाथ , वासा स्वरस , भृङ्गराज स्वरस और बकरी का दूध को डालकर स्नेहपाक किया जाता है।
  • स्नेहपाक की परीक्षा करके सिद्ध त्रिफला घृत के पात्र को चूल्हे से नीचे उतार कर छानकर उचित पात्र में रख लें।

पानार्थ मात्रा :-

1 पल (48gram)

नस्यार्थ मात्रा :-

4 – 6 drops.

अनुपान:-

मिश्री युक्त गोदुग्ध

उपयोग :-

  • नेत्र रोग में
    • नकुलान्ध्य
    • रात्र्यन्धता
    • नेत्रस्राव
    • तिमिर

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