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Dravya Guna Syllabus

Gorochan – Jangham dravya / गोरोचन – जंघम द्रव्य

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गोरचन (Gorochan):-

गोरचना रसे तिकाता उष्णविर्य च पचानी।
हंति वातकफ पांडु कामाला शिवेत्रिय च ।। ( यादव जी)
गोरोचना तू मंड्गल्या वन्घा गोरी च रोचना ।
गोरोचना हिमा तिकाता वश्या मदलकंटिदा ।।
विषालक्ष्मीग्रहोन्मादभ्रस्त्रवशतासुहत् । ( भाव प्रकाश कपूर आदि वर्ग)

हिंदी नाम: गोरोचन (Gorochan)
English name: Gall stone
संस्कृत नाम: गोपित, गोरोचना, रोचना,गोरी, रोचाना, मधलया

गोरोचन (Gorochan) गाय या बैल के पिताश्य में होने वाली पथरी होती है। जब गाय या बैल मर जाते है तब मरे हुए पशुओं के पिताश्य से गरोचन निकाल लेते हैं। जीवित गाय, बैल के पिताश्य से भी छेदन करके गोरोचन निकाल लेते हैं।
यह दिखने में गोल, छोटे बेर या सुपारी से नींबू के आकार का होता है। यह हल्का एवं किंचित मृदु होता है।

वर्ण: पीत या धूसर पीत या रक्त आभ नारंगी
इसमें मृदु सुगंध व रस में तिक्त प्रतीत होता है।
रस: तिक्त
गुण: लघु, रुक्ष
वीर्य: उष्ण (Yadav Ji), शीत (Bhavprakash)
विपाक: कटु
दोष-कर्म: वातकफ शामक
प्रभाव: मेध्य, दीपन, अनुलोमन, यकृतुटेजक, लेखन, शोथ हन, अश्मारिहन, पोस्टिक।
उपयोग: विष हर, उन्माद, अपस्मार, मनासरोग, शिरोरोग, जीर्ण ज्वार, वृकाष्मारी कांति बढ़ाने वाला, अलक्ष्मी नाशक, ग्रहबाधा, शतज रक्तस्राव व ग्रवस्त्रव दूर करने वाला, मृदु विरेचक, आर्तावजनक।

योग / Use :-

अपश्मार मेह ½gm गुलाब अर्क मेह पीसकर पीना चाहिए।

मात्रा / Dose :-

1 – 4 रती ।

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